अमरीका में भारतीय मूल के लोग अब तकरीबन हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रहे हैं.

इन्हीं में से एक हैं भारतीय मूल के अमरीकी राजनीतिज्ञ उपेंद्र चिवुकुला, जो न्यू जर्सी की असेंबली के डिप्टी स्पीकर हैं। यही नहीं, करीब दो दशक पहले अपना राजनीतिक सफ़र शुरू करने वाले चिवुकुला अब अमरीकी संसद में भी दस्तक दे रहे हैं और अमरीकी प्रतिनिधि सभा का चुनाव लड़ रहे हैं।

अभी अमरीकी प्रतिनिधि सभा में कोई भी दक्षिण एशियाई मूल का सदस्य नहीं है और अगर चिवुकुला चुने जाते हैं तो यह इतिहास में सिर्फ तीसरे दक्षिण एशियाई मूल के सदस्य होंगे।

इंजीनियर

भारत में आंध्र प्रदेश के नेल्लोर के एक गांव में जन्में उपेंद्र चिवुकुला ने चेन्नई में इंजीनियरिंग की डिग्री ली फिर मुंबई में भाभा परमाणु अनुसंधान में उन्होंने नौकरी की कोशिश की लेकिन मिली नहीं। फिर उन्होंने दो साल तक मुंबई शहर के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में काम किया। उसके बाद 1974 में उपेंद्र चिवुकुला इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने अमरीका चले गए।

न्यू यॉर्क के सिटी कॉलेज में पढ़ाई के दिनों की याद करके वह कहते हैं,"शहर के हार्लेम के इलाके में हमारा कॉलेज था, लोग कहते थे कि यह बड़ा खतरनाक इलाका है यहां लूटपाट बहुत होती है। तो हम जरा चौकन्ने होकर रहते थे। "

उन्होंने आगे बताया, "बर्फबारी मैंने यहीं पहली बार देखी। इससे पहले सिर्फ़ फ़िल्मों में देखी थी। हैमबर्गर क्या है, हॉट डॉग क्या है हमें कुछ पता ही नहीं था। और उस समय 1 डॉलर के बदले में 8 रूपए मिलते थे तो जब हम यहां कॉफी पीने जाएं तो वह 50 सेंट यानी आधा डॉलर की होती थी, जो 4 रूपया बनता था, हम लोग सोचते थे कि यह बहुत महंगी कॉफी है और सिर्फ पानी पीकर रह जाते थे."

राजनीति में कदमउन्होंने पढ़ाई के बाद कुछ साल अमरीका में इंजीनियर के तौर पर नौकरी की फिर 1990 के दशक के शुरू में ही राजनीति की शुरूआत की। न्यू जर्सी में फ़्रेंकलिन टाउनशिप के इलाके में 1992 में चिवुकुला ने डेमोक्रेटिक पार्टी की सदस्यता ली और साल भर में वह पार्टी के अध्यक्ष बन गए।

उन्होंने शहर में पार्टी की लगातार हार के कारणों को जानने की कोशिश की और नई रणनीति बनाई। वह बताते हैं कि नौकरी के साथ राजनीतिक काम करने से उन्हे परिवार के लिए समय ही नहीं मिलता था। तो एक मौके पर उन्होंने राजनीति छोड़ने का भी सोचा था। लेकिन पार्टी ने उनको 1994 में चुनावी रणनीति बनाने का काम सौंप दिया और उनके सभी उम्मीदवार जीत भी गए।

शहर में उनके काम से पार्टी में जान आ गई। लोगों ने उनको बहुत सराहा और 1997 में वह शहर की काउंसिल के सदस्य भी चुन लिए गए, और 2000 में शहर के मेयर भी चुने गए। सन 2002 में न्यू जर्सी राज्य की असेंबली के लिए वह चुनाव में खड़े हुए, जो बड़ा चुनाव था और उनकी अगली चुनौती भी क्योंकि 11 सितंबर के हमलों के बाद यह चुनाव हो रहे थे।

भरोसावह कहते हैं, "उस समय लोग बाहर से आने वाले लोगों पर भरोसा नहीं करते थे। मैं अलग सा विदेशी जैसा दिखने और अलग तरह की बोली वाला था। चुनावी सलाहकार कहने लगे पता नहीं चुनाव में क्या होगा। मैंने कहा कि मेरा काम सबके सामने है वह मेरा काम देखें और तय करें कि मैं चुने जाने के लायक हूं या नहीं। और फिर जब नतीजा आया तो मुझे 60 प्रतिशत से अधिक वोट मिले। मैं बहुत खुश हुआ था."

पिछले दस साल से वह न्यू जर्सी राज्य की असेंबली के सदस्य हैं और पिछले 5 सालों से न्यू जर्सी की असेंबली के डिप्टी स्पीकर भी हैं। इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के पद पर पहले काम कर चुके चिवुकुला उस अनुभव का प्रयोग कर राज्य में दूरसंचार और सौर ऊर्जा जैसे मुद्दों पर काफी काम कर चुके हैं, जिससे अब सौर ऊर्जा के प्रयोग के लिए न्यू जर्सी अमरीका में पहले नंबर का राज्य बन गया है। राज्य असेंबली में चिवुकुला इकलौते दक्षिण एशियाई सदस्य हैं।

राजनीति में भारतीयलेकिन क्या उन्होंने अमरीका आने से पहले सोचा था कि राजनीति में वह इतने सक्रिय हो जाएंगे? चिवुकुला कहते हैं, "बिल्कुल नहीं। राजनीति के बारे में तो सोचा भी नहीं था। हम यहां आए थे कि पढ़ाई करेंगे, कुछ काम करेंगे, इंजीनियरिंग में नई चीज़ें सीखेंगे और अपना करियर बेहतर बनाएंगे। लेकिन बाद में सोचा कि अगर यहां रहना है तो राजनीति में भी हिस्सा लेना चाहिए और मुझे उसमें कामयाबी मिली अब तक."

वह बताते हैं कि जब उन्होंने राजनीति शुरू की तो अमरीका में भारतीय मूल के लोंगों की भी संख्या बहुत कम थी। लेकिन अब तो हालात बहुत बदल चुके हैं। अब तो दो राज्यों में भारतीय मूल के गवर्नर हैं और कई राज्यों के सदनों में विभिन्न स्तर पर भारतीय मूल के राजनीतिज्ञ चुने गए हैं। चिवुकुला अब पहली बार अमरीकी प्रतिनिधि सभा के चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं। औऱ उनके प्रतिद्वंद्वी हैं मौजूदा सांसद रिपब्लिकन पार्टी के लेनर्ड लेंस।

इस चुनाव के बारे में चिवुकुला कहते हैं, "मैं चाहता हूं कि अमरीकी संसद में पहुंच कर मैं अपने समुदाय के लिए जो मुद्दे अहम हैं जैसे इमिग्रेशन और वीजा के मुद्दे पर उनके बारे में कुछ कर सकूं। और अन्य मुद्दों के बारे में भी आवाज उठा सकूं। यह अजीब बात है कि दक्षिण एशियाई मूल के लोग इतने वर्षों से इस देश में अपना योगदान दे रहे हैं लेकिन इस समय अमरीकी संसद में एक भी दक्षिण एशियाई मूल का सदस्य नहीं है." न्यू जर्सी और न्यू यॉर्क के इलाके में भारतीय मूल के लोग चिवुकुला के चुनाव प्रचार और उसके लिए धन भी इकठठा करने में मदद कर रहे हैं।

Posted By: Inextlive