Kanpur News: इंडिया को यूथ की कंट्री कहा जाता है. यहां का फ्यूचर यूथ के हाथों में है. लेकिन अगर यही यूथ रास्ते से भटकना शुरु कर देें और शॉर्टकट से पैसा कमाकर रातो-रात अमीर होने की इच्छा रखने लगें तो स्थिति डेंजरस हो सकती है.

इंडिया को यूथ की कंट्री कहा जाता है। यहां का फ्यूचर यूथ के हाथों में है। लेकिन अगर यही यूथ रास्ते से भटकना शुरु कर देें और शॉर्टकट से पैसा कमाकर रातो-रात अमीर होने की इच्छा रखने लगें तो स्थिति डेंजरस हो सकती है। सिटी का कुछ यूथ तो 10वीं से ही अपने करियर को लेकर सजग हो जाता है और 12वीं के बाद फ्यूचर के हिसाब से कोर्स आदि को सिलेक्ट कर लेता है। वहीं, कुछ यूथ इस तरह का देखने को मिल रहा है जो कि पैसा कमाने का शॉर्टकट ढूंढ रहा है। कुछ शॉर्टकट मिलने और अर्निंग शुरू होते ही वह अपने फ्यूचर को उसी से चलाना चाह रहे हैैं। कुछ इसी तरह के मामले बीते दिनों चुन्नीगंज स्थित मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र में सामने आए हैैं। केंद्र में गार्जियन अपने बच्चों को काउंसिलिंग के लिए लेकर पहुंच रहे हैैं।

ट्रेडिंग और सट्टïे की लग रही लत
काउंसिलिंग के लिए आने वाले बच्चों में एक बात सिंपल देखी जा रही है कि वह लग्जरी लाइफ जीने के लिए शॉर्टकट से पैसा कमाना चाहते हैैं। शॉर्टकट से पैसा कमाने में स्टूडेंट्स की सबसे पहली पसंद ऑनलाइन ट्रेडिंग हैैं। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर व्लागर्स की ओर से चलाई जा रही कोचिंग में वह शेयर मार्केट की बारीकियों को सीख रहे हैैं। यदि एक या दो बार तुक्का फिट बैठा और अच्छी कमाई हो गई तो लत पड़ते देर नहीं लगती है। इसके अलावा दूसरा शॉर्टकट सट्टïा है। ऑनलाइन एप के जरिए क्रिकेट मैच और देश दुनिया में चल रहे गेम्स पर वह अपनी मनी को कई गुना करने के चक्कर में सट्टïा लगा रहे हैैं।

ग्रेजुएशन के लिए जुगाड़ वाला कॉलेज
शॉर्टकट से कमाई शुरू होते ही स्टूडेंट्स का पढ़ाई के प्रति रुझान कम हो जाता है। वह मैक्सिमम 12वीं के बाद इन्हीं शॉर्टकट से खुद को सैटल करने के बारे में सोचने लगते हैैं। गार्जियन के लाख कोशिश करने के बाद जब वह तैयार भी होते हैैं तो ग्रेजुएशन के लिए वह जुगाड़ वाले कॉलेज को ढूंढने लगते हैैं। उनका कहना होता है कि उनको ऐसा कॉलेज चाहिए जहां पढऩे के लिए न जाना पड़े। केवल एग्जाम देने जाए और उस दौरान भी मदद मिले।

दो साल में दो दर्जन से ज्यादा मामले
इस तरह के मामलों की बात करें तो बीते दो साल में इस तरह के लगभग दो दर्जन मामले मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र में काउंसिलिंग के लिए आ चुके हैैं। मनोवैज्ञानिक ने सभी की काउंसिलिंग की है। कुछ स्टूडेंट ऐसे भी निकले हैैं जो कि शॉर्टकट के अलावा अपनी पढ़ाई को आगे जारी रखने के लिए राजी हो गए हैैं।

कोट
गार्जियंस के साथ कुछ स्टूडेंट ऐसे आ रहे हैैं जो कि शार्टकट से पैसा कमाने के तरीके खोज रहे हैैं। कुछ तो कमाने भी लगे हैैं। शार्टकट से अर्निंग के चक्कर मेें बच्चों का पढ़ाई के प्रति रुझान घट रहा है। बच्चों की काउंसिलिंग करके उनको सही रास्ते पर लाया जा रहा है।
संध्या शुक्ला, साइकोलॉजिस्ट मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र
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केस वन -
कमाई शुरू हो गई तो पढऩा नहीं चाहता बेटा
लाजपत नगर में रहने वाले गवर्नमेंट इम्पलाई अपने 12वीं पास बेटे को लेकर पिता मनोविज्ञान केंद्र में आए। बताया कि इंस्टाग्राम से शेयर ट्रेडिंग से कमाई के वीडियो देखने के बाद बेटा, ऑनलाइन एप से डेली ट्रेडिंग करने लगा है। कमाई शुरू हो गई तो वह अब आगे की पढ़ाई नहीं करना चाहता है। इनकी दो सिटिंग हो चुकी हैं। काउंसिलिंग के बाद बच्चा अब पढ़ाई के लिए राजी हो गया है।
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केस दो -
एप के जरिए देश विदेश में सट्टा लगाता है
एक बिजनेसमैन अपने बेटे को लेकर केंद्र में आए और बताया कि 12वीं पास किए एक साल हो गया है। अब बेटा आगे की पढ़ाई ही नहीं करना चाहता है। वह एप से देश और विदेश में हो रहे गेम्स में सट्टïा लगाता है। कमाई हो गई तो बेहतर नहीं तो घर में कलह का माहौल रहता है। वह बहुत कहने पर जुगाड़ वाले कॉलेज से पढ़ाई की बात कह रहा है। जिससे रोज कॉलेज न जाना पड़े। बच्चे की काउंसिलिंग की जा रही है।

साइकोलाजिस्ट के सजेशन
- ये बात समझ लें, पैसा कमाने का कोई शॉर्टकट नहीं होता है
- पैसे कमाने की जगह इस समय अपने करियर पर फोकस करें
- एजुकेशन जीवन और आपको सभ्य बनाने के लिए जरूरी है।
- स्टूडेंट लाइफ में सोशल मीडिया से दूरी बना कर रखें
- एजुकेशन पूरी होने के बाद बेहतर जॉब से पैसा कमा सकते हैैं।
- शार्टकट वाले कामों में हमेशा जोखिम बना रहता है
- एजुकेशन से आपका मेंटल लेवल हाई होता है।
- सिर्फ पैसा कमाना ही जीवन की सफलता नहीं होती
- देश और समाज के प्रति भी आपकी जिम्मेदारी है
- पेरेंट्स अपने बच्चों की मॉनीटरिंग लगातार करते रहें

Posted By: Inextlive