एटीएस के साथ अब कानपुर कमिश्नरेट पुलिस की नजर भी शहर की विवादित जमीनों पर बसी अवैध बस्तियों पर पड़ गई है. झकरकटी काकादेव कल्याणपुर लाल बंग्ला सचेंडी चकेरी की एक दर्जन बस्तियों को पुलिस ने जांच के घेरे में ले लिया है. इन बस्तियों में रहने वालों की आईडी चेक की जा रही हैैं. इस जमीन पर बनी झोपडिय़ों में बिजली के मीटर तो लगे हैैं लेकिन ये मीटर किसके नाम हैैं किसी को नहीं पता. पूछने पर लोग एक दूसरे का चेहरा देखने लगते हैैं. पानी का कनेक्शन भी है जेट पंप भी लगा है इसके बाद भी लोगों को ये जानकारी नहीं है कि जिस जेट पंप से ये पानी ले रहे हैैं. उसको ऑपरेट कौन करता है? इन सभी बातों की जानकारी सभी को है लेकिन कोई भी नाम बताने को तैयार नहीं है. कुछ भी पूछने पर एक दूसरे की आंखों में देखने लगते हैैं और फिर चुप हो जाते हैैं. उडिय़ा और दूसरी भाषा में एक दूसरे को जवाब देते दिखाई देते हैैं.


कानपुर (ब्यूरो) इलाके के दबंगों की शह पर बसाई गईं बस्तियों में रहने वाले संदिग्ध समस्या की बड़ी वजह बन सकते हैैं। अवैध तरीके से रहने वाले असोम निवासी ये संदिग्ध आंखों के इशारे समझने में माहिर होते हैं। अपनों के बीच में उनका चेहरा देखकर ही सवालों का जवाब देते हैं.जब तक उनके बीच रहने वाला ङ्क्षहदी का जानकार नहीं आता तब तक चुप्पी साधे रहते हैं। इस काम में इनकी मदद बच्चे भी करते हैं। इन परिवारों के 5 से 10 साल तक के बच्चे आस पास की सडक़ों पर घूमते रहते हैैं। अगर किसी अंजान आदमी को देखते हैैं तो आपसे पहले बस्ती में पहुंचकर जानकारी दे देते हैैं और फिर सब कुछ सामान्य हो जाता है।आधार कार्ड और दूसरी आईडी


पहचान छिपाकर शहर की बस्तियों में रह रहे रोङ्क्षहग्या परिवारों का सूचना तंत्र चलाने वाले बच्चों ने वहां रहने वाले परिवारों को जानकारी दी। जैसे उन्हें पता ही था कि पुलिस मूल निवास के बारे में ही पूछने पहुंची हो। घरों से निकले लोग हाथों में अपना आधार कार्ड लेकर बाहर निकले और दिखाने लगे। अधिकतर पुरुष ङ्क्षहदी भाषा समझते थे, लेकिन एक भी महिला ङ्क्षहदी नहीं जानती। बस्ती के लोग पूरी तरह से ट्रेंड थे.जब महिलाओं से बातचीत करनी शुरू की तो एक भी सवाल का जबाव नहीं दे पाई। जितने समय इन महिलाओं से पूछताछ की उतने समय बराबर कोई न कोई वहां मौजूद रहकर उन्हें आंखों से इशारे करता रहा। इशारा मिलने के बाद ही महिलाएं जवाब दे रहीं थी। पूछताछ के दौरान वहां आये लोगों को बार-बार हटने को कहा गया, लेकिन वह लोग न तो हट रहे थे और महिलाओं से पूछे गए सवालों का खुद से जवाब दे रहे थे। बस्ती के अन्य लोगों का जवाब सुनकर महिलाएं भी उसे ही दोहरा रही थीं।सिर्फ किराया लेने आते हैैं दबंगझकरकटी के पास बसी बस्ती में जानकारी करने पर पता चला कि सोनू भइया महीने में केवल दो बार आते हैैं। एक बार 1 तारीख को तो दूसरी बार 15 तारीख को आते हैैं। साथ में बिजली और पानी का बिल भी ले जाते हैैं। जब बुधवार को पुलिस इस बस्ती में पहुंची तो हडक़ंप मच गया। यहां से भी आधार कार्ड एकत्र किए गए हैैं। इन्हें रहने का अधिकार किसने दिया? इसकी जांच की जा रही है।आधार कार्डों का हो रहा सत्यापन

जेसीपी आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि रोङ्क्षहग्या की आशंका पर बस्ती के लोगों के आधार कार्ड पुलिस ने जमा कराए थे। इन सभी आधार कार्डों का सत्यापन कराया जा रहा है। जिससे साफ होगा कि यह आधार कार्ड असली हैं या नकली। उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

Posted By: Inextlive