आईआईटी देगा डिप्रेशन का सॉल्यूशन
-जिंदगी में कई तरह की समस्याओं के चलते डिपे्रेशन का शिकार होने वाले लोगों की बढ़ रही तादाद
-म्यूजिकथैरेपी पर ह्यूमिनिटीज और सोशल साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर्स ने शुरू की एडवांस रिसर्च -म्यूजिक सुनने से सिर के न्यूरॉन्स हो जाते हैं एक्टिव, इंसान को होता है राहत का अहसास KANPUR: जीवनशैली में बदलाव के चलते लोग तनाव में ज्यादा आ रहे है। चिड़चिड़े भी हो रहे हैं। कई लोग इतने डिप्रेशन में चले जाते हैं कि अपनी जिंदगी ही खत्म कर लेते हैं। शहर में डिप्रेशन के कारण सुसाइड के रोजाना एक-दो मामले सामने आते हैं। अब इस समस्या को दूर करने के लिए आईआईआटी दवा की खोज कर रहा है। ह्यूमिनिटीज और सोशल साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर्स ने इस पर काम करना भी शुरू कर ि1दया है। म्यूजिक की तरफ रुझानकुछ लोग म्यूजिक सुनना पसंद करते हैं। इससे तनाव में कुछ हद तक राहत मिल जाती है। दरअसल, म्यूजिक को सुनने के बाद दिमाग के न्यूरॉन्स एक्टिव हो जाते हैं, इससे राहत मिलने का एहसास होता है। इन गानों से सिर के कौन से हिस्से के न्यूरॉन्स एक्टिव होते हैं और इनका असर कितनी देर तक रहता है। टेंशन और डिप्रेशन से बाहर निकलने में दर्द भरे गीतों का कितना रोल है। इन सब पर आईआईटी के एक्सपर्ट्स ने रिसर्च शुरू कर ि1दया है।
गजलों पर भी काम इसका मुख्य मकसद म्यूजिक थैरेपी को विकसित करना है, जिससे बढ़ते हुए डिप्रेशन को कम किया जा सकेगा। निराश व्यक्ति अपने विचार और अपनी बात को सांग्स के माध्यम से जता पाएगा। एक्सपर्ट्स इसी तरह के गीतों का दिमाग संग कनेक्शन को खोज रहे हैं। कई दुखभरे गाने, गजलों पर काम करना शुरू कर दिया है। दिमाग के नेटवर्क पर रिसर्च ह्यूमिनिटी एवं सोशल साइंस के एचओडी प्रो। बृज भूषण ने बताया कि इलेक्ट्रिकल इंजीनिय¨रग के प्रो। लक्ष्मीधर बेहरा और अन्य फैकल्टी मिलकर काम कर रहे हैं। इसमें सिर्फन्यूरॉन्स की सक्रियता ही नहीं, बल्कि पूरा नेटवर्क देखा जाएगा। म्यूजिक सुनने के बाद दिमाग में कितनी देर तक सक्रियता बनी रहती है। राग दरबारी पर हो चुकी रिसर्च प्रो। बृजभूषण, प्रो। लक्ष्मीधर बेहरा और अन्य फैकल्टी दो वर्ष पहले राग दरबारी पर रिसर्च कर चुके हैं। उसमें सिद्ध किया गया है कि कुछ देर राग दरबारी को सुनने के बाद बहुत ही तेजी से न्यूरॉन्स सक्रिय हो जाते हैं।