ककूड़े का निस्तारण और साफ-सफाई पूरे देश के लिए बड़ी चुनौती है. इस चुनौती से निपटने के लिए अब कानपुर आईआईटी आगे आया है. गार्बेज की सफाई के लिए आईआईटी ने काम शुरू कर दिया है. शुरुआत में गार्बेज क्लीनिंग के एरिया में काम करने वाले 20 स्टार्टअप को चुना गया है. इन स्टार्टअप्स को टेक्नोलॉजी और बिजनेस डेवलप करने के लिए प्रति स्टार्टअप 20 लाख रुपए दिए गए हैैं जिसकी कुल कीमत चार करोड़ रुपए है. आईआईटी से मिले फंड से इन स्टार्टअप्स को डेवलपमेंट के यूज में लाना होगा. यह काम आईआईटी के स्टार्टअप इंक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर एसआईआईसी और मिनिस्ट्री आफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स एमओएचयूए के संयुक्त तत्वाधान में चल रहे स्टार्टअप गेटवे फॉर गार्बेज फ्री सिटीज के तहत किया गया.

कानपुर (ब्यूरो) आईआईटी कानपुर ने एसआईआईसी के माध्यम से नोएडा में अपने आउटरीच सेंटर में बीते दिनों रिव्यू कमेटी की मीटिंग की। मीटिंग में एसआईआईसी के सीईओ डॉ। निखिल अग्रवाल ने एमओएचयूए और एसआईआईसी के बीच सहयोग के लक्ष्य पर जोर देकर मीटिंग को शुरू किया। इस मौके पर स्वच्छ भारत मिशन के डायरेक्टर बिनय कुमार झा, एसआईआईसी हेड प्रो। अंकुश शर्मा, प्रो। अमिताभ बंद्योपाध्याय, फूल स्टार्टअप के अंकित अग्रवाल आदि मौजूद रहे।

इसलिए एक स्टार्टअप को 20 लाख
एसआईआईसी और एमओएचयूए की ओर से चलाए गए इस प्रोग्राम का उद्देश्य टेक्नोलॉजी और सोशल इनोवेशन के एरिया में काम करने वाले स्टार्टअप्स की मदद करना है। यह सपोर्ट उन्हें इंडिया की वेस्ट मैनेजमेंट चैलेंजेस को सॉल्व करने में हेल्प करेगा।

एक साल तक आईआईटी देगा ट्रेनिंग
सिलेक्टेड स्टार्टअप्स को आईआईटी का एसआईआईसी एक साल तक ट्रेनिंग देगा। इस दौरान उनको दी जा रही टेक्निकल और फाइनेंशियल हेल्प से गार्बेज क्लीनिंग के लिए टेक्नोलॉजी और प्रोटोटाइप को रेडी करना है। तैयार टेक्निक्स को अलग अलग सिटीज में गार्बेज क्लीनिंग के काम में लगाकर उनका ट्रायल किया जाएगा। ट्रायल रिपोर्ट एमओएचयूए को सौंपी जाएगी।


गार्बेज क्लीनिंग के लिए इन स्टार्टअप्स को मिला फंड

श्वष्श2ह्म्ड्डश्च - यह एक अपशिष्ट प्रबंधन और एफएमसीजी आपूर्ति श्रृंखला मंच है, जो गार्बेज कलेक्शन, ट्रैकिंग, रीसाइक्लिंग और अप-साइक्लिंग के लिए वन-स्टॉप सॉल्यूशन देता है।

Posted By: Inextlive