कानपुर के आसपास इलाकों में बीते 10 सालों में कई पैसेंजर ट्रेनों के एक्सीडेंट हुए. जिनमें सैकड़ों पैसेंजर्स की जान भी गई लेकिन ट्रेन एक्सीडेंट का कारण व पैसेंजर्स की मौत का जिम्मेदार कौन है. इसका खुलासा आज तक नहीं हुआ है. इसका मुख्य कारण है कि रेलवे की जांच वर्षों चलती है. माहौल शांत होने व घटना लोगों के जहन से उतरने के बाद जांच रिपोर्ट ठंडे बस्ते में चली जाती है. 11 साल पहले कालका एक्सप्रेस हो या फिर चार साल पूर्व पुखरायां में इंदौर-पटना एक्सप्रेस एक्सीडेंट में हुई सैकड़ों पैसेंजर्स की मौत कारण सिर्फ राज बन कर रह गया है.

केस - 1
कानपुर के पनकी स्टेशन के पास 2 फरवरी 2010 को भिवानी-गोरखपुर, गोरखधाम एक्सप्रेस का एक्सीडेंट हुआ था। जिसमें 10 पैसेंजर्स की मौत और 40 से अधिक पैसेंजर्स इंजर्ड हुए थे। इसकी जांच रिपोर्ट आज तक नहीं आई। रेलवे बोर्ड ने आज तक इस ट्रेन एक्सीडेंट की रिपोर्ट का खुलासा ही नहीं किया।

केस-2
कानपुर-इटावा के बीच रूरा स्टेशन के पास 28 दिसंबर 2016 को अजमेर-सियालदाह एक्सप्रेस का एक्सीडेंट हुआ। जिसमें 2 पैसेंजर्स की मौत और दो दर्जन से अधिक पैसेंजर्स इंजर्ड हुए थे। इस दुर्घटना की भी जांच रिपोर्ट आज तक नहीं आई। रेलवे बोर्ड ने इस ट्रेन एक्सीडेंट की भी रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की। इससे पब्लिक को भी ट्रेन एक्सीडेंट में होने वाली मौत का कारण पता नहीं चल सका।

केस-3
कानपुर-प्रयागराज के बीच मलवा स्टेशन के पास कालका एक्सप्रेस ट्रेन का एक्सीडेंट 10 जुलाई 2011 को लगभग 10 साल पूर्व हुआ था। हादसा ऐसा था कि जिसने वहां का दृश्य देखा, उसको कई दिनों तक भुला नहीं पाया। एक्सीडेंट में 70 से अधिक पैसेंजर्स की मौत हो गई थी। सैकड़ों पैसेंजर्स घायल हो गए थे। इस ट्रेन एक्सीडेंट की भी जांच रिपोर्ट आज तक रेलवे ने सार्वजनिक नहीं की।

केस-4
कानपुर देहात स्थित पुखरायां में 20 नवंबर 2016 को लगभग चार साल पूर्व इंदौर-राजेंद्र नगर पटना एक्सप्रेस का एक्सीडेंट हुआ था। जिसमें मंजर तो कालका एक्सप्रेस एक्सीडेंट से भी खतरनाक था। घटनास्थल का मंजर देखने वाले के मुंह से एक बात ही निकल रही थी। मौतों का ऐसा मंजर जिंदगी में नहीं देखा। यह हादसा दिल्ली-हावड़ा रूट का अब तक का सबसे बड़ा हादसा था। एक्सीडेंट में 155 पैसेंजर की मौत हुई थी। 200 से अधिक पैसेंजर घायल हो गए थे। इसकी जांच रिपोर्ट भी आज तक नहीं आई है।

केस-5
कानपुर अनवरगंज-फर्रुखाबाद रूट में मंधना के पास 31 दिसंबर 2017 को आरी से ट्रैक को काट कर ट्रेन को डिरेल करने की साजिश रची गई थी। मौके से आरपीएफ व जांच टीम को लोहा काटने वाली आरी भी बरामद हुई थी। इस मामले की जांच रिपोर्ट भी अन्य घटनाओं की तरह विलुप्त हो चुकी हैं।

Posted By: Inextlive