साढ़ हादसे में 26 लोगों की मौत और लगातार हो रहे एक्सीडेंट्स के बाद रोड सेफ्टी को लेकर फिर से चर्चा तेज हो गई है. यानि सड़कों को सुरक्षित कैसे बनाया जाए? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इसे गंभीरता से लेते हुए अभियान चलाने के आदेश दिए हैं. लेकिन क्या सिर्फ ऐसे आदेशों और अभियान से हालात बदल जाएंगे? क्योंकि शहर की जो जमीनी हकीकत है उसे देखकर तो ऐसा कतई नहीं लगता. पूरे शहर की सड़कें गड्ढों से छलनी हो चुकी हैं? ये गड््ढे आए दिन हादसे का सबब बन रहे हैं. इसी वजह से शायद कानपुर रोड एक्सीडेंट में होने वाली मौतों में नंबर वन है.

कानपुर (ब्यूरो) स्मार्ट सिटी का नाम आते ही चौड़ी, चकाचक और साफ-सुथरी सड़क पर भागती गाडिय़ों की तस्वीरें हमारे दिमाग में दौडऩे लगती हैं। ऐसी सड़कें बनाने में करोड़ों रुपए खर्च होते हैं, लेकिन जब ऐसी किसी सड़क की भयावह तस्वीरें आपके सामने आ जाएं तो आप क्या कहेंगे? हम बात कर रहे हैं शहर के कुछ ऐसी ही सड़कों की। जहां के हालात बद् से बद्तर है। ये हाल सिर्फ एक जगह का नहीं, बल्कि शहर के तमाम जगहों का है, जहां का नजारा कुछ ऐसा ही दिखेगा, बदहाल सड़के मानों यही कह रही हैं कि सड़क में गड्ढा या गड्ढे में सड़क

15 नवंबर है डेडलाइन
थसर्ड को सीएम योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि 15 नवंबर तक हर हाल में शहर को गड्ढा मुक्त बनाना है। निर्देश आते ही नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, एनएचएआई और आवास विकास जैसे विभाग अलर्ट हो गए हैं। अधिकारियों का दावा है कि गड्ढा मुक्त करने के लिए खाका तैयार लिया गया है। जल्द ही टेंडर कॉल कर शहर को गड्ढा मुक्त किया जाएगा। ऐसे में सवाल है कि महज 39 दिनों में लाखों गड्ढे कैसे भरे जाएंगे? क्योंकि अभी तो इनकी शुरुआत तक नहीं हुई है।

इन जगहों पर सबसे ज्यादा गड्ढे
जीटी रोड, चेन फैक्टरी चौराहा, बर्रा-6 सब्जी मंडी, बर्रा बाइपास, गोल चौराहा, साकेत नगर, शस्त्री नगर, श्याम नगर, रामादेवी, गोविंदपुरी पुल आईसीसीआई बैंक के सामने, पांडु नगर, नवाबगंज, पीरोड, नौबस्ता, यशोदा नगर, किदवई नगर, कल्याणपुर, जरीब चौकी, जाजमऊ, टाटमिल चौराहा, ग्वालटोली, मूलगंज, नई सड़क समेत अन्य जगहों पर गड्ढों की भरमार है।

एक्सीडेंट की सबसे बड़ी वजह
अधिकतर सड़क हादसों के पीछे खराब सड़कें और गड््ढे वजह बनते हैं। अचानक गड्ढा सामने आने पर ब्रेक जल्दी नहीं लग पाता है। गड््ढों के कारण ओवरलोड गाडिय़ां पलट जाती हैं। पिछले दिनों कमिश्नर डॉ। राजशेखर ने भी गड्ढे को लेकर सख्त रवैया अपनाया था, निर्देश दिया था कि सड़क हादसों को रोकने के लिए शहर के खतरनाक गड्ढो को चिन्हित किया जाए।
लाइफ लाइन में हजारों गड्ढे
शहर के ट्रैफिक के लिए लाइफ लाइन मानी जाने वाली जीटी रोड भी गड्ढों से छलनी हो चुकी है। रावतपुर से रामादेवी तक रोड दोनों ओर सड़क खस्ताहाल है। 11.5 किलोमीटर की इस दूरी पर लगभग एक हजार से अधिक गड्ढे हैं। इसकी मुख्य वजह बारिश के साथ-साथ काफी समय से रोड का पैचवर्क न होना। जबकि हर बार अधिकारियों का दावा होता है कि शहर को गड्ढा मुक्त बनाएंगे, लेकिन ईमानदारी से काम करने के बजाए सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।

हाईलाइट्स
50 हजार से अधिक गड्ढे हैं सड़कों पर
39 दिन में इन गड्ढों को भरने का आदेश
15 नवंबर की डेडलाइन दी है सीएम ने
06 जोनों के अधिकारी सड़के कर रहे चिन्हित

कोट
जोनल अधिकारियों से गड्ढो को लेकर खाका तैयार करने को कहा गया है। कई जोन से आंकड़ा आ भी गया है, अब जल्द ही इन गड्ढों को भरने के लिए एस्टीमेट तैयार किया जाएगा।
मनीष अवस्थी, चीफ इंजीनियर नगर निगम

ये दर्द भी दे रहे हैं गड्ढे
-आए दिन एक्सीडेंट की वजह बनते हैं गड्ढे
-पीठ दर्द और अन्य हेल्थ प्रॉब्लम दे रहे गड््ढे
-गड््ढों के कारण धीमी पड़ जाती है वाहनों की चाल
-शहर में जगह-जगह जाम लगता है इसके कारण
-गाडिय़ों का माइलेज गिरता है पेट्रोल की खपत बढ़ती है
-वाहनों के मेंटिनेंस का खर्च भी बढ़ जाता है गड्ढों से

Posted By: Inextlive