शुरू होने से पहले ही सदन निरस्त
कानपुर (ब्यूरो)। उम्मीद थी, सदन में जनता की समस्याएं रखी जाएंगी, विकास के मुद््दों पर चर्चा होगी, चर्चा होगी तो कुछ नतीजा निकलेगाप्रस्तावों पर मुहर लगेगी लेकिन सारी उम्मीदें फिर से टू गईं। क्योंकि लंबे समय बाद बुधवार को नगर निगम का सदन बुलाया गया था। समय पर सभी पार्षद और अधिकारी भी पहुंच गई लेकिन सदन शुरू होने से पहले ही कैंसिल कर दिया गया। इसके बाद विपक्ष के साथ-साथ बीजेपी पार्षदों ने भी हंगामा शुरू कर दिया। जमकर नारेबाजी करते हुए सदन के वेल में आकर धरने पर बैठ गए और सदन शुरू करने की मांग करने लगे।
बीजेपी के पार्षद ही धरने पर
तय समय 11.30 बजे से एक घंटे बाद भी सदन नहीं शुरू हुआ। दो बार अलर्ट अलार्म भी बजा पर महापौर व नगर आयुक्त सदन में नहीं पहुंचे। सदन के एक घंटे बाद भी शुरू न होने और सदन के निरस्त करने की पूर्व सूचना न दिए जाने पर पार्षदों का सब्र टूट गया। पार्षदों ने इसे साजिश के तहत सदन न कराए जाने का आरोप लगाया और हंगामा शुरू कर दिया। सभी ने एक सुर में कहा कि ये पार्षदों का अपमान है। पार्षदों को सदन न शुरू करने का सही कारण तक अधिकारी नहीं बता सके। करीब डेढ़ घंटे तक तक हंगामा चलता रहा। बीजेपी पार्षद भी धरने पर बैठ गए।
मामले में महापौर प्रमिला पांडेय ने भी नाराजगी व्यक्त की। हंगामा कर रहे पार्षदों को महापौर ने समझाने के लिए बीजेपी दल के नेता नवीन पंडित को सदन में भेजा, लेकिन पार्षदों ने उनका भी विरोध शुरू कर दिया। मांग की कि नगर आयुक्त को सदन के अंदर बुलाया जाए। हालांकि पूरे हंगामे के बीच नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जीएन अचानक अवकाश पर चले गए। इससे पार्षदों व अधिकारियों के बीच तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई। मुद्दे लेकर बैठे रह गए पार्षद
सदन में बैठने के बाद भी सदन की कार्रवाई न होने से पार्षदों की तैयारियों पर पानी फिर गया। पार्षद अपने-अपने क्षेत्रों के विकास के मुद्दों को लेकर बैठे रह गए। बीजेपी पार्षद पवन गुप्ता, अरुण गर्ग, हरी स्वरूप तिवारी, नीरज गुप्ता, आरती त्रिपाठी, पवन पांडेय, नीरज बाजपेई, अंकित मौर्या, आलोक पांडेय समेत अन्य पार्षदों ने विरोध दर्ज कराया। सभी पार्षदों ने एक स्वर में जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग उठाई।
महापौर ने प्रमिला सभागार में बुलाई बैठक
पार्षदों के विरोध के बाद महापौर ने सभी पार्षदों को दोपहर 1.30 बजे प्रमिला सभागार में बुलाकर बैठक करने के लिए कहा। विपक्षी पार्षदों ने वहां जाने से इंकार कर दिया। सत्ता पक्ष के सभी पार्षद सभागार पहुंचे। यहां अधिकारियों के सामने सभी पार्षदों की समस्याएं सुनीं। महापौर ने आश्वासन दिया कि सभी पार्षदों की समस्याओं का समाधान कराया जाएगा।
विपक्ष ने बैठक का बहिष्कार किया
प्रमिला सभागार में बैठक के बाद नगर निगम सदन के बाहर सदन स्थगित किए जाने का पोस्टर चस्पा कर दिया गया। सदन में कांग्रेस दल के नेता सुहैल अहमद ने इसका विरोध करते हुए कहा कि हम पार्षदों का ये अपमान है। अधिकारियों को शर्म आनी चाहिए। विपक्ष इसका खुला विरोध करता है।
लोकसभा की कार्यवाही के चलते किया निरस्त
वेडनेसडे को ही दिल्ली में संसद का बजट सत्र शुरू हो गया। बावजूद इसके नगर निगम सदन बुलाया गया। जबकि नियमावली के मुताबिक ऐसा नहीं किया जा सकता है। इसको लेकर पार्षद अब अधिकारियों पर ठीकरा फोड़ रहे हैं कि नियमों का ध्यान क्यों नहीं रखा गया। माना जा रहा है कि कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। पूरे मामले में महापौर ने बताया कि पहले सदन 30 जनवरी को बुलाया गया था। एचबीटीयू में आसरा आवास वितरण का प्रोग्राम था, इसलिए नगर आयुक्त ने 31 जनवरी को सदन करने के लिए कहा तो कर दिया गया। सुबह जब जानकारी हुई तो नियमावली देखी गई। जिसके बाद सदन को स्थगित कर दिया गया।