हार्मोस असंतुलन गर्भपात का सबसे बड़ा कारण
कानपुर (ब्यूरो)। महिलाओं में 50 परसेंट गर्भपात होने के कारण स्पष्ट ही नहीं हो पाता है। यह गर्भपात हार्मोन के कारण हो सकता है। इसमें हार्मोनल, ट््यूमर भी प्रमुख कारण होते हैं। अगर किसी महिलाओं को एक बार गर्भपात हो जाता है तो उसके बाद फिर से गर्भपात होने की संभावना दोगुणा हो जाती है। यह बातें सैटरडे को कानपुर ओब्स एंड गायनी सोसाइटी की ओर से आयोजित सेमिनार में सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ। नीलम मिश्रा ने कहीं।
होटल विजय विला में आयोजित सेमिनार में उन्होंने कहा कि महिलाओं में प्रदर के कारण उनमें संक्रमण हो जाता है। इस कारण समय से पहले गर्भपात, एंडोमेट्राइटिस, च्च्चेदानी का कैंसर की संभावना अधिक हो जाती है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ। किरण पांडेय ने बताया कि इसको बीमारी के रूप में नहीं लेना चाहिए। महिलाओं में मानसिक रूप से स्वस्थ रहना जरूरी है। डॉ। रेशमा निगम ने बताया कि प्रोजेस्टरोन हार्मोस की कमी के कारण महिलाओं में गर्भधारण की समस्या होती है। इस कारण ही महिलाओं में बार-बार गर्भपात हो जाता है। डॉ। मीना अग्निहोत्री ने बताया कि महिलाओं में कई कारण से गर्भपात होता है। इसके 50 प्रतिशत कारण ही पता चल पाते हैं। ऐसी स्थिति में हार्मोन का संतुलन रखना जरूरी है। सेमिनार में स्त्री एवं प्रसूति रोग की डाक्टरों ने विशेषज्ञों से गर्भपात के कारण और बचाव पर सवाल-जवाब किए। इस मौके पर डॉ। उषा गोयनका, डॉ। कंचन शर्मा, डॉ। राशि मिश्रा, डॉ। संगीता सारस्वत, डॉ। कल्पना दीक्षित, डॉ। रेखा गुप्ता, डॉ। कंचन गुप्ता, डॉ। प्रतिमा वर्मा, डॉ। अमृता साहा, डॉ। स्वाति स्वरूप आदि मौजूद रही।