गन फैक्ट्री में 4 दिन से घूम रहा तेंदुआ अभी वन विभाग की पकड़ में नहीं आया है. वन विभाग के अधिकारी तेंदुए को पकडऩे के लिए बड़े स्तर पर अभियान चला रहे हैं. तेंदुए को फंसाने के लिए अब हनी ट्रैप का सहारा लिया जा रहा है. पिंजड़े में मादा तेंदुए की फोटो लगाई गई है. साथ ही मादा तेंदुआ का यूरिन भी पिंजड़े में छिड़का गया है. इसके साथ ही ब्लूटूथ स्पीकर से गुर्राने की आवास भी आएगी.

कानपुर (ब्यूरो) पिछले कई दिनों से दहशत का पर्याय बना तेंदुआ नर है। इसकी पुष्टि होने के बाद वन विभाग ने उसे फंसाने के लिए एक रणनीति बनाई थी। इसके तहत तेंदुए को आकर्षित करने के लिए लोहे के बड़े से पिंजड़े में तेंदुए की डमी (पुतला) को रखने की प्लानिंग थी। साथ ही, चिडिय़ाघर से मादा तेंदुए की यूरिन लाकर उसका छिड़काव किया गया था।

गुर्राने की आएगी आवाज
रेस्क्यू टीम के डॉ। नासिर ने बताया कि दिन भर ढूंढने के बाद भी विभाग को तेंदुए की डमी नहीं मिली तो उन्होंने फ्लैक्स पर उसका चित्र प्रिंट करवाकर पिंजड़े में लगवाया था। इसके अलावा सब कुछ असली लगे इसके लिए ब्लू टूथ स्पीकर के माध्यम से तेंदुए की गुर्राहट के पूरे इंतजाम किए गए थे।

निशाना साधने से पहले
रेस्क्यू टीम के डॉ। नासिर ने बताया कि तेंदुआ कहीं एक जगह नहीं रुक रहा है। ओएफसी ने परिसर में झाडिय़ां साफ कराने को जेसीबी चलवाई थी। इन्हीं साफ झाडिय़ों के गठ्ठर के पास रात करीब साढ़े बारह बजे टीम को तेंदुआ दिखाई दिया। निशाना साधा जाता इससे पहले वह भाग गया। शुक्रवार को स्माल आम्र्स की तरफ और पीछे रेल पटरी की साइड जाल लगवाया गया है।

पूरी रात निगरानी करती रही टीम
अर्मापुर स्थित स्माल आम्र्स और ऑडिनेंस फैक्ट्री में 4 दिन से घूम रहे तेंदुए को पकडऩे को वन विभाग और रेस्क्यू टीमें पिजड़ा लगाकर पूरी रात निगरानी करती रहीं लेकिन तेंदुआ नहीं आया। बता दें कि तेंदुआ पहले आईआईटी देखा गया था। इसके बाद उसने एनएसआई को अपना ठिकाना बनाया। अब वहां गन फैक्ट्री के जंगलों में घूम रहा है।

Posted By: Inextlive