ग्रीन बेल्ट बर्बाद , करोड़ों की गाडि़यां 'कबाड़'
-सिटी में 6 जगहों पर डंप खड़े एटूजेड के व्हीकल की रखवाली कर रहा नगर निगम, 2 शिफ्ट में 6-6 गार्ड करते हैं निगरानी
-हर महीने 1.50 से 2 लाख रुपए होती है गार्ड की पेमेंट, 80 परसेंट से ज्यादा गाडि़यां हो चुकी हैं कबाड़, 2012 से डंप हैं गाडि़यां kanpur@inext.co.inKANPUR : शहर की साफ-सफाई, स्वस्थ एनवॉयरमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है लेकिन नगर निगम के अफसर ही शहर का 'दम' निकाल रहे हैं। अफसरों की लापरवाही के कारण कूड़ा उठाने वाली करोड़ों की गाडि़यां रखे-रखे कबाड़ हो गई। इस वजह से न सिर्फ घरों से प्रॉपर गारबेज कलेक्शन नहीं हो पा रहा है बल्कि शहर की ग्रीन बेल्ट भी चौपट हो रही है। क्योंकि एटूजेड की ये गाडि़यां सिटी में छह जगह ग्रीन बेल्ट में ही डम्प पड़ी हैं। उससे भी ज्यादा हैरत की बात ये है कि कबाड़ हो चुकी इन गाडि़यां की रखवाली में लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं।
कबाड़ गाडि़यों की रखवाली के लिए लिए 6-6 गार्ड दो शिफ्ट में रखे गए हैं। नगर निगम बीते करीब पांच सालों से हर महीने 1.5 लाख रुपए इन गार्ड की सैलरी पर भी खर्च कर रहा है। वहीं ग्रीन बेल्ट को सजाने और संवारने के लिए इन्हें अभी तक शिफ्ट भी नहीं किया गया है। कोई भी अधिकारी इसके लिए रिटेन में आदेश देने को तैयार नहीं है।
2 शिफ्ट में निगरानी सिटी के 6 प्लेसेस पर ये गाडि़यां डंप पड़ी हैं। इन गाडि़यों की उपयोगिता के लिए सर्वे भी हुआ, लेकिन 80 परसेंट गाडि़यां कंडम साबित हुई। वर्कशॉप प्रभारी अंबरीश यादव के मुताबिक डंप साइट की रखवाली के लिए 6-6 होमगार्ड पिछले 5 सालों से लगे हैं। कुल 12 होमगार्ड रोजाना सिक्योरिटी में तैनात होते हैं। इनमें से कुछ बिना बताए गायब भी रहते हैं। हाल ही में नगर आयुक्त अक्षय त्रिपाठी ने भी इन उपयोगिता चेक करने के लिए सर्वे किया, लेकिन अब 100 परसेंट गाडि़यां किसी काम की नहीं हैं। ------------ कोर्ट में चल रहा केस 2012 में बड़े ही जोर-शोर से एटूजेड ने कानपुर में कदम रखा था। सैकड़ों युवाओं को इसमें जॉब भी मिली थी। लेकिन अचानक ही कंपनी काम बंद कर भाग गई। तब से अब तक गाडि़यां जहां की तहां खड़ी हैं। तब से लेकर अब तक गाडि़यां ग्रीन बेल्ट में खड़े-खड़े कबाड़ हो चुकी हैं। ------------ नगर निगम की गाडि़यां भी बर्बादग्रीन बेल्ट में नगर निगम की छोटा हाथी गाडि़यां भी कबाड़ हो रही हैं। 2 साल पहले खरीदी गई 18 से ज्यादा गाडि़यां कबाड़ होने की कगार पर पहुंच चुकी हैं। शास्त्री चौक ग्रीन बेल्ट और नमक फैक्ट्री ग्रीन बेल्ट पर ये गाडि़यां कबाड़ हो रही हैं। गाडि़यों में लगी धूल बयां कर रही हैं कि कितने सालों से ये गाडि़यां वहां कबाड़ बनाने के लिए छोड़ दी गई हैं।
------------ यहां डंप हैं गाडि़यां -नमक फैक्ट्री ग्रीन बेल्ट -शास्त्री चौक ग्रीन बेल्ट -कल्याणपुर चौराहे की ग्रीन बेल्ट -चुन्नीगंज वर्कशॉप -कूड़ा डंपिंग ग्राउंड, भौंती -रामादेवी चौराहे के पास ----------- ये गाडि़यां हैं शामिल -ट्रिपर ट्रक -कॉम्पैक्ट गार्बेज ट्रक -कूड़ा हाथ गाडि़यां -कूड़ा रिक्शा गाड़ी ------------ ग्रीन बेल्ट को हटाने के लिए आज तक कोई रिटेन में आदेश नहीं दिया गया है। कोर्ट में मामला होने की वजह से इस स्थिति को बरकरार रखा जा रहा है। -रफजुल रहमान, प्रभारी रबिश, नगर निगम। ------- गाडि़यों का सर्वे कर वाहनों की उपयोगिता को चेक करने के लिए कहा था। नगर निगम की यूज करने लायक गाडि़यों को उपयोग में लाया जाएगा। गाडि़यों को हटाने के लिए विचार किया जा रहा है। -अक्षय त्रिपाठी, नगर आयुक्त।