साइबर क्रिमिनल के दो स्पेशल वेपन हैं लालच व डर. जिसमें फंस कर लोग ठगी या ब्लैमेलिंग का शिकार बनते हैं. अगर इन दोनों से अपने आप को बचा लिया तो आप साइबर क्राइम से न केवल सचेत रह सकते है बल्कि क्रिमिनल के टारगेट से भी बचे रहेंगे.

कानपुर(ब्यूरो)। साइबर क्रिमिनल के दो स्पेशल वेपन हैं लालच व डर। जिसमें फंस कर लोग ठगी या ब्लैमेलिंग का शिकार बनते हैं। अगर इन दोनों से अपने आप को बचा लिया तो आपके साथ साइबर क्राइम से न केवल सचेत रह सकते है बल्कि उस के टारगेट भी नहीं बन सकेंगे। यह जानकारी क्राइम ब्रांच ईस्ट जोन के साइबर सेल इंचार्ज योगेश कुमार ने फ्राईडे को पूर्णचंद्र विद्यानिकेतन में आयोजित साइबर क्राइम अवेयरनेस प्रोग्राम में बच्चों को दी। उन्होंने बच्चों को साइबर क्राइम की महत्वपूर्ण जानकारी देने के साथ उसने बचाव के टिप्स भी बताए। उन्होंने बताया कि कैसे अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ऑफर देकर लोगों के साथ साइबर फ्रॉड किया जा रहा है।

ऑनलाइन टॉस्क पूरा करने का चैलेंज
आप सब मोबाइल पर ऑनलाइन वीडियोगेम जरूर खेलते होंगे, कई बार टास्क पूरा करने के लिए कुछ वैपन्स भी खरीदे होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिनको खरीदने के लिए ऑनलाइन पेमेंट करते हैं, यह हमारे लिए कितना खतरनाक है। हम अपने पैरेंट्स से कई बार चोरी छिपे उनका अकाउंट, यूपीआई, क्रेडिट कार्ड का यूज कर आसानी से पेमेंट तो कर देते हैं, लेकिन इसी छोटी गलती से साइबर अपराधियों के पास आपके पैरेंट्स की बैंक डिटेल से लेकर सभी डेटा पहुुंच जाता है। जिसका फायदा उठा कर वह बैंक अकाउंट में पड़ा पैसा साफ कर देते हैं। जिसका मैसेज भी मोबाइल में नहीं आता। क्योंकि वह डाटा के जरिए आपके पैरेंट्स के फोन को हैंडल कर रहा होता है।

लिंक क्लिक करते समय रखें सावधानी
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की तरफ से &फेक फ्रेंड्स&य अभियान चलाया जा रहा है। जिसको लेकर फ्राइडे को पूर्णचंद्र विद्यानिकेतन डीजे आईनेक्स्ट व साइबर क्राइम कंट्रोल की टीम पहुंची, यहां बतौर चीफ गेस्ट प्रोग्राम में शामिल हुए क्राइम ब्रांच पूर्वी जोन साइबर सेल के इंचार्ज योगेश कुमार ने 9वीं व 10वीं के स्टूडेंट्स को साइबर क्राइम से बचने और अवेयर करने के साथ दूसरों को बचाने के लिए कई सारे टिप्स बताए। उन्होंने कहा कि हमारे स्मार्टफोन को सब पता है, हम क्या कर रहे हैं। हमें क्या जरूरत है। पहले कौन सी वेबसाइट देखी थीं। फोन पर क्या टाइप कर रहे हैं। किसको गालियां लिख रहे हैं। सब हमारे गूगल डैशबोर्ड पर दिखता है। इसे हम डिलीट भी कर देते हैं, लेकिन कई ऐसे टूल्स है, जिससे यह सब आसानी से पता चल जाता है। इसलिए अंजान वेबसाइट पर क्लिक न करें क्योंकि ऐसा करने से हमारे मोबाइल का सभी पर्सनल डेटा लीक हो जाता है।

साइबर क्राइम को लेकर किया अवेयर
वर्चुअल किडनैपिंग- एक तरीके का फेक ऑडियो वीडियो है। इसमें आपकी आवाज या फिर वीडियो से ऑर्टिफिशियल इंटलिजेंश के माध्यम से काल्पनिक ऑडियो विडियो बनाई जा सकती है।
मॉर्फ- इसमें किसी के भी चेहरे को आसानी से बदला जा सकता है। आपकी छवि खराब करने के लिए आपकी बदली फोटो किसी को भेजने की धमकी देकर ठगी की जाती है।
टास्क गेम्स- आज के समय में कई सारे गेम्स हैं, जो टास्क को पूरा कराने के लिए आपको वैपन्स खरीदने के लिए कहते हैं, जैसे ही इसे हम खरीदते हैं तो अकाउंट की सारी डिटेल हैकर्स के पास चली जाती है।
स्पूफिंग- इसका इस्तेमाल कर कोई भी किसी नंबर से कॉल कर सकता है। इसके लिए हमेशा सतर्क रहने की जरूरत है। आए दिन इस तरह के केस आते रहते हैं।

कैसे करें बचाव
- व्हाटसअप, फेसबुक व इंटा में टू स्टेप वैरीफिकेशन ऑपशन एक्टिव रखे
- अपने मोबाइल, लैपटॉप पर एक एक अच्छा एंटी वायरस को जरूर रखें
- कोई भी ऐसी वेबसाइट को क्लिक न करें, जिसे आप जानते नहीं हैं
- फेसबुक, इंस्टाग्राम पर उन्हीं को अपना दोस्त बनाए, जिन्हे आप जानते हो
- साइबर क्राइम को अलग-अलग एक लाख तरीको से किया जा सकता है, सतर्क रहे

पैरेंट्स इन बातों का रखे ध्यान
- मोबाइल पर हमेशा पैरेंट्स कंट्रोल टूल्स का यूज करना चाहिए
- एक घंटे या फिर आधे घंटे से ज्यादा बच्चों को मोबाइल यूज न करने दें
- ऑनलाइन खरीददारी के लिए बच्चों को अकाउंट की डिटेल प्रोवाइड न कराएं

साइबर ठगी होने पर यहां ले मदद
साइबर कंट्रोल रूम 1930
वेबसाइट- cybercrime.gov.in

बच्चों को स्मार्टफोन से दूर रहना चाहिए। इसको लेकर माता-पिता को भी सख्ती बरतनी चाहिए। बच्चों के हाथ में अगर मोबाइल दिया जा रहा है तो उसका एक टाइम फिक्स कर दें, आधा घंटा या फिर ज्यादा से ज्यादा से एक घंटा ही मोबाइल यूज करने के लिए देना चाहिए।
योगेश कुमार, क्राइम ब्रांच पूर्वी जोन इंचार्ज, साइबर सेल

Posted By: Inextlive