सरकार, हमें असलहा नहीं चाहिए इसे वापस ले लो
कानपुर (ब्यूरो)। एक समय था जब लाइसेंसी असलहा लेकर चलने में लोग अपनी शान समझते थे। रसूखदार लोगों ने तो एक नहीं तीन-तीन असलहों के लाइसेंस ले रखे थे। लाइसेंस तो लोग अपनी सुरक्षा के नाम पर लेते थे लेकिन यूज दबंगई और हर्ष फायरिंग में ज्यादा होता था। लेकिन जैसे-जैसे असलहों को दुरुपयोग बढ़ा, लाइसेंस बनवाने के नियम के साथ इनके मिसयूज पर भी पुलिस सख्त होती चली गई। जिसके चलते अब लाइसेंस बनवाने के लिए नहीं बल्कि सरेंडर करने वालों की संख्या बढ़ गई है। आलम ये है कि तीन सालों में 7853 लाइसेंसी वेपन कैंसिल हो चुके हैैं, वहीं 2000 से ज्यादा कैंसिलेशन पेंडिंग में पड़े हैैं।
एक-एक गोली हिसाब
लाइसेंसी वेपन वापस करने के पीछे की वजह जानने पर पता चला कि लोग अनहोनी की आशंका के चलते लाइसेंसी वेपन सरेंडर कर रहे हैैं। वहीं हर्ष फायरिंग पर पूरी तरह से रोक लग गई। वेपन को रखने और यूज करने के लिए सख्त नियम बना दिए गए। बीते दो दशक में कार्टरिज (कारतूस) के दाम भी चार गुना से ज्यादा हो गए। वहीं वेपन का मेंटिनेंस और रिन्यूअल की फीस भी लगातार बढ़ती रही। एक गोली चलाने पर उसका हिसाब भी देना पड़ता है। जिस वजह से अब वेपन रखना मुश्किल हो गया।
2000 अप्लीकेशन पेंडिंग
विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, जिले में कुल 42000 लाइसेंसी वेपन हैैं। वहीं 7853 लाइसेंसी वेपन अब तक कैंसिल हो चुके हैैं। वहीं 2000 से ज्यादा कैंसिलेशन पेंडिंग में पड़े हैैं। पुलिस ने जो लाइसेंस कैंसिल कराए हैैं उनमें से ज्यादातर में गलत रिपोर्ट लगना, दबंग और क्रिमिनल बैकग्राउंड के लोगों के लाइसेंसी वेपंस कैंसिल किए गए हैैं। आंकड़ों के मुताबिक शहर में 3517 लाइसेंसी वेपन लेकर लोग सिक्योरिटी गार्ड का काम कर रहे हैैं। ये एटीएम वैन, निजी संस्थानों, मॉल्स, बड़ी मार्केट और रसूखदार लोगों के साथ चलते हैैं।
नए लाइसेंस पर सालों से रोक
कमिश्नरेट में बीते कई सालों से नए शस्त्र लाइसेंस बनने बंद हो चुके हैैं। इसी दौरान 2002 में बिकरू कांड हो गया, जिसमें लाइसेंसी वेपन के मामलों में बड़ी धोखाधड़ी पाई गई। जब इसकी जांच शुरू हुई तो 432 फाइलें गुम पाई गई। असलहा बाबू की तहरीर पर केस भी दर्ज किया गया था। मामले में जांच शुरू की गई। दो साल से ज्यादा समय हो गया, अभी तक ये जांच पूरी नहीं हो पाई है। इसी बीच बड़ी संख्या में फर्जी तरीके से लाइसेंस बनवाने में असलहा विभाग के बड़े बाबू का नाम आया। जिसके बाद से शहर में बने सभी लाइसेंसो की जांच शुरू हो गई।
पुलिस सूत्रों की मानें तो पहले एक आदमी के पास अधिकतम तीन वेपन रखने का प्रावधान था। शासन से आदेश जारी हुआ कि जिसके पास तीन असलहे हैैं, वह सिर्फ दो ही रख सकता है। जिनके पास तीन असलहे थे, उन्होंने एक सरेंडर कर दिया। इसके बाद इस व्यक्ति के पास एक वेपन ही रखने का प्रावधान पास किया गया। इससे लाइसेंसी वेपन की संख्या और कम हो गई। तीसरी वजह बताई गई कि जिन अधिकारियों ने कानपुर में तैनाती के दौरान वेपन का लाइसेंस बनवाया था, उनका ट्रांसफर जिस जिले में हुआ है, वहां लाइसेंस ट्रांसफर कर दिया गया।