इंटरस्टेट बस टर्मिनल यानि झकरकटी बस अड्डा सिर्फ पैसेंजर्स और कर्मचारियों के लिए मुसीबत का अड्डा नहीं है बल्कि अपराध और टैक्स चोरी का भी सबसे बड़ा अड्डा है. छोटे बड़े सामान से लेकर ड्रग्स भेजना हो या फिर बारूद बस यहां लेकर आ जाइए. बस में लोड करिए कंडक्टर की जेब में 100 का नोट डालिए और भूल जाइए. आपका सामान सुरक्षित पहुंच जाएगा. जी हां यहां लोग दिन भर ई रिक्शा बाइक स्कूटी आदि से सामान लादकर लाते हैैं और बसों में लाद देते हैं. न पार्सल में बुकिंग कराने की जरूरत न दुनिया भर के सवाल जवाब. इसी तरह रोजाना कंडक्टर और ड्राइवर की मिलीभगत से हजारों रुपए की टैक्स चोरी की जा रही है. थर्सडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने यह पूरा खेल अपनी आंखों से देखा.

कानपुर (ब्यूरो) दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम जब बस अड्डे पहुंची तो विभाग का पार्सल ऑफिस तो बंद मिला लेकिन दलालों का अड्डा जरूर खुला मिला। बसों पर सामान लादते कुली भी मिले और रुपये लेने वाले कंडक्टर भी। रुपये लेने के बाद डेस्टिनेशन तक सामान पहुंचाने की जिम्मेदारी ली और सामान ड्राइवर के कब्जे में चला गया। दरअसल लगेज की आड़ में महंगी दवा, कपड़े की लाट, मुख्य बाजारों से कॉस्मेटिक का सामान, चमड़े के जूते, चप्पल, बेल्ट, पर्स, अंडर शर्ट और अंडर वियर, पेठा, बताशा, खाने का मसाला और दूसरा सामान टैक्स चोरी कर भेजा जाता है।

कर्मचारी से अधिकारी तक मिले
ये सामान 100 से 200 किलोमीटर तक बसों के कंडक्टर और ड्राइवर ले जाते हैैं। एक बड़े कार्टन की कीमत 200 रुपये जबकि छोटे पैकेट की कीमत 50 से 100 रुपये होती है। पहले तो कंडक्टर इस लगेज की टिकट नहीं बनाता है और अगर मजबूरी में बनानी भी पड़ जाए तो आधे दाम की टिकट बना देते हैैं। रही सही कसर रास्ते में बस चेक करने वाला स्टाफ पूरी कर देता है। सवारी चेक करने के दौरान कंडक्टर का नमस्कार चेक करने वाले स्टाफ को सब कुछ समझा देते हैैं।

सरकार को लगा रहे चूना
दरअसल ये पूरा मामला टैक्स चोरी का है। यही सामान नियम के मुताबिक भेजा जाएगा तो 500 रुपये से ज्यादा भाड़ा लगेगा, लेकिन बस से जाने में सरकार का तो नुकसान होता है लेकिन सामान भेजने वाले दलाल और कंडक्टर ड्राइवर की बल्ले बल्ले हो जाती है। अब हम आपको बताएंगे कि ये दलाल कहां मिलते हैैं? बस अड्डे के पीछे वाले गेट पर होटलों की आड़ में कई दलालों के गोदाम हैैं, जिनके अंदर तमाम वैद्य और अवैद्य सामान रखा मिल जाता है। लगभग डेढ़ साल पहले इसी गोदाम से भारी मात्रा में नशीले इंजेक्शन बरामद हुए थे।

अंदर से बाहर तक दलालों का शिकंजा
बस अड्डे के अंदर से बाहर तक दलालों का शिकंजा कसा हुआ है। जिसमें थाना पुलिस से लेकर बस अड्डे के अधिकारियों और कर्मचारियों तक का हिस्सा बंधा है। यही वजह है कि बस अड्डे के अंदर दलाल रिक्शे और ई रिक्शा में सामान लादकर अंदर घूमते रहते हैैं। एग्जिट गेट पर बैठने वाले कर्मचारियों को दो पहिया वाहन अंदर जाते हुए तो दिखाई देते हैैं लेकिन सामान लादकर जा रहे ई रिक्शा कभी नहीं दिखते।

ये हैैं सामान भेजने के नियम
- मौके पर ही सामने पैकेट में पैकिंग होनी चाहिए।
- लगेज की बुकिंग होती है, तरल पदार्थ नहीं जाता है।
- खुला सामान किसी हालत में नहीं ले जाएंगे।
- बिना यात्री के जाने वाला सामान लगेज में बुक होगा।
- ये सामान कंडक्टर को अपनी वे-बिल में चढ़ाना होगा।
- बस के इंजन के पास कोई भी सामान नहीं रखा जाएगा।
- ज्वलनशील पदार्थ किसी हालत में नहीं जाएगा।
- पैकिंग के बाद रोडवेज अधिकारी अच्छी तरह से जांच करेंगे।

Posted By: Inextlive