जब तक अपने मन की इच्छाएं खत्म नहीं होती है तब तक मोक्ष नहीं मिलता है. गीता का सार अपने जीवन में उतारने पर ही मोक्ष मिलेगा. हिंदू वो दर्शन है जो किसी और धर्म को कन्वर्ट नहीं करता है. हिंदू ही वो समाज है जो राष्ट्र को समृद्ध बना सकता है. हिंदू को अगर बचाना है तो श्रीराम और श्रीकृष्ण जी की अराधना बहुत जरूरी है. गीता जैसा कोई ग्रंथ नहीं है इसे पहले ही राष्ट्र गं्रथ हो जाना चाहिए था. यह बात मेगा सीरियल महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण का रोल निभाने वाले नितीश भारद्वाज ने कही.

कानपुर(ब्यूरो)। जब तक अपने मन की इच्छाएं खत्म नहीं होती है, तब तक मोक्ष नहीं मिलता है। गीता का सार अपने जीवन में उतारने पर ही मोक्ष मिलेगा। हिंदू वो दर्शन है, जो किसी और धर्म को कन्वर्ट नहीं करता है। हिंदू ही वो समाज है जो राष्ट्र को समृद्ध बना सकता है। हिंदू को अगर बचाना है तो श्रीराम और श्रीकृष्ण जी की अराधना बहुत जरूरी है। गीता जैसा कोई ग्रंथ नहीं है, इसे पहले ही राष्ट्र गं्रथ हो जाना चाहिए था। यह बात मेगा सीरियल महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण का रोल निभाने वाले नितीश भारद्वाज ने कही। मौका था श्रीमद्भागवत गीता जयंती आयोजन समिति की ओर से ग्रीनपार्क में सामूहिक गीता पाठ का। इस कार्यक्रम में हजारों लोगों ने समवेत स्वर में गीता पाठ किया।

एक साथ किया गीता पाठ
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को गीता का उपदेश देकर मार्ग दर्शन किया। श्रीमद्भागवत गीता के ज्ञान का मर्म समझने के लिए गीता पाठ का आयोजन किया गया। ग्रीनपार्क स्टेडियम में सामूहिक गीता पाठ का शुभारंभ रविवार सुबह साढ़े 11 बजे शुरू हुआ। शंखनाद के बाद शहर के तीन सौ स्कूलों से पहुंचे लगभग 1100 स्टूडेंट्स और वहां मौजूद हजारों लोगों ने सामूहिक गीता के 18 अध्याय का पाठ शुरू किया। जिसे दो बजे तक पूरा किया गया।

कई शहरों से पहुंचे लोग
नितीश भारद्वाज जब कार्यक्रम में पहुंचे तो पूरा स्टेडियम जयकारे से गूंज उठा। हर कोई नितीश को देखने के लिए उत्सुक था। वहां मौजूद लोग उन्हें अपने मोबाइल में कैद करते रहे। चीफ गेस्ट के रूप में आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद जी महाराज (निरंजनी पीठाधीश्वर) और विशिष्ट अतिथि के रूप में महामण्डलेश्वर साध्वीं निरंजन ज्योति (निरंजनी पीठाधीश्वर) मौजूद रही। सामूहिक गीता पाठ पढऩे के लिए लोग कानपुर के अलावा कानपुर देहात, फरुर्खाबाद, रायबरेली, कन्नौज, दिल्ली, हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज समेत अन्य शहरों से आए।
मैं सबसे पहले भारतीय हूं
नितीश भारद्वाज ने कहा कि गीता में चार वर्ण बनाने का जिक्र है, वो कर्म और गुण पर आधारित है। हर किसी में कौशल होता है और मैं यहीं कहता हूं कि कौशल के आधार पर ही मेरी तुलना होनी चाहिए। मैं जब मंत्र पढ़ता हूं तो ब्राह्मण हूं लेकिन जब एक्टिंग करता हूं तब मैं शुद्र बन जाता हूं। ऐसे में हमें समाज में नहीं बंटना चाहिए। हम सब हिंदू हैं। क्रिश्चन कंट्री में कहीं भी सहनशीलता देखने को नहीं मिलती है। अगर कोई मुझसे पूछता है तो मैं खुद को ब्राह्मण नहीं, बल्कि कहता हूं कि मैं सबसे पहले भारतीय हूं। यही बात हम सबको समझनी चाहिए।

अयोध्या हमारी, अब मथुरा की बारी
आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद जी महाराज ने कहा कि हमारी पहचान हमारी संस्कृति होना चाहिए। अगर बार-बार गीता कहा जाए तो त्याग बनता है। वहीं महामण्डलेश्वर साध्वीं निरंजन ज्योति ने कहा कि आजकल कई सारे धर्मांतरण करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अगर कोई रोक सकता है तो वह श्रीमद्भागवत गीता है। लोगों को चाहिए कि अपने आसपास धर्मांतरण करने वालों पर नजर बनाएं रखे। ताकि कोई भी धर्मांतरण न करवा सके। अयोध्या तो हमारी, अब मथुरा की बारी है।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहे
कार्यक्रम के आयोजक डॉ। उमेश पालीवाल ने बताया कि गीता जयंती के मौके पर हुए इस कार्यक्रम में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। इसके लिए स्टेडियम के सभी गेट खोले गए। पुलिस चप्पे-चप्पे पर तैनात रही। इसके अलावा ड्रोन से भी नजर रखी जा रही थी। कार्यक्रम में गीता आरती का आयोजन भव्य तरीके से किया गया। गीता पाठ में कई श्रद्धालु ऑनलाइन भी जुड़े। कुल एक लाख से अधिक लोगों ने सामूहिक गीता पाठ पढ़ा है।

Posted By: Inextlive