एडी माध्यमिक की फर्जी ईमेल से नाम भेजकर फर्जी टीचर्स की भर्ती के मामले में नया और चौकाने वाला खुलासा हुआ है. ये खुलासा बताता है कि फर्जी टीचर्स की भर्ती खेल में डीआईओएस ऑफिस के लोग सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं. क्योंकि फर्जी टीचर भर्ती के मामले में वेरीफिकेशन के लिए उस प्रक्रिया को फॉलो नहीं किया गया जो प्रक्रिया एक महीने पहले बोर्ड से भेेजे गए

कानपुर (ब्यूरो)। एडी माध्यमिक की फर्जी ईमेल से नाम भेजकर फर्जी टीचर्स की भर्ती के मामले में नया और चौकाने वाला खुलासा हुआ है। ये खुलासा बताता है कि फर्जी टीचर्स की भर्ती खेल में डीआईओएस ऑफिस के लोग सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। क्योंकि फर्जी टीचर भर्ती के मामले में वेरीफिकेशन के लिए उस प्रक्रिया को फॉलो नहीं किया गया जो प्रक्रिया एक महीने पहले बोर्ड से भेेजे गए ओरिजन पैनल में शामिल टीचर्स की भर्ती में किया गया। ऐसे में सवाल उठना तो लाजिमी है।

ये प्रॉसेस फॉलो किया
वर्तमान डीआईओएस अरुण कुमार ने बताया कि चार सितंबर को एडी माध्यमिक की मेल से पांच टीजीटी का पैनल(भर्ती के लिए नाम) आया था। इस पैनल का बोर्ड की वेबसाइट से प्रॉपर वेरीफिकेशन कराया गया, उसके बाद 18 सितंबर को उनको चयन पत्र जारी किए गए। इन पांच नामों में एक नाम में रोल नंबर मिसमैच होने पर वेरीफिकेशन देरी से पूरा होने पर 22 सितंबर को चयन पत्र जारी किया गया था। वहीं, 26 अक्टूबर को आई फेक ईमेल वाले पैनल का बोर्ड की वेबसाइट से वेरीफिकेशन नहीं कराया गया। ऐसे में सवाल है कि तत्कालीन डीआईओएस ने सितंबर में जिस प्रोसेस को फालो किया उसे अक्टूबर में क्यों नहीं फॉलो किया।

मैैंने वेरीफिकेशन भेजा, सत्यापन और परीक्षण को भी लिखा
तत्कालीन डीआईओएस इस समय रिटायर हो चुके हैैं। उनका कहना है कि मेल आने के बाद प्रिंट आउट पर उन्होंने प्रधान सहायक को परीक्षणोपरांत और सत्यापनोपरांत प्रोसीडिंग करने की बात कही थी, इसके अलावा पैनल के वेरीफिकेशन के लिए बोर्ड को पत्र भी भेजा था, जिसका जवाब उनके कार्यकाल में नहीं आया है। उनके ऑफिस से ट्रांसफर के बाद फेक ईमेल से आए कैंडीडेट्स को चयन पत्र जारी होने का काम हुआ है। बताते चलें कि मामले में फेक पैनल में शामिल सभी नौ लोगों पर डीआईओएस की ओर से एफआईआर कराई गई है।

डीआईओएस-2 ने जारी किया सिलेक्शन लेटर
इस पूरे मामले में तत्कालीन डीआईओएस सेकेंड भी जांच के दायरे में आ गए हैैं। फेक पैनल से नौकरी पाने वाली आर्यकन्या इंटर कालेज की पीजीटी रिक्षा पांडेय और मदन मोहन अग्रवाल इंटर कालेज की पीजीटी विनीता को बालिका विद्यालय में नियुक्ति मिलनी थी और बालिक विद्यालय का कार्यभार डीआईओएस सेकेंड के पास था। इसके चलते उन्होंने भी बिना वेरीफिकेशन कराए चयन पत्र जारी किया और नियुक्ति दिला दी। यह भी रिटायर हो चुके हैैं।

रमसा के आफिस से निकलवाया था प्रिंट
पूरे मामले में पुलिस ने जो बयान दर्ज करना शुरु कर दिए हैैं। डीआईओएस ने बताया कि कर्मचारियों की ओर से दिए गए बयान में बताया गया है कि तत्कालीन डीआईओएस ने राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (रमसा) के आफिस (डीआईओएस आफिस से लगभग 100 मीटर दूर) के अकाउंटेंट सुशील से वहीं पर फेक ई मेल से फेक पैनल का प्रिंट निकलवाया और हाथों में प्रिंट आउट लेकर डीआईओएस आफिस आए और क्लर्क शिल्पा को डीआईओएस आफिस के रजिस्टर में रिसीव करने को कहा।

25 दिन बाद प्रधान सहायक को दिया
फेक ईमेल 26 अक्टूबर को आई और मेल से प्रिंट भी उसी दिन निकाल लिया गया लेकिन मामले में सस्पेंड किए जा चुके प्रधान सहायक राजन टंडन को परीक्षण और सत्यापन के लिए लेटर 21 नवंबर को दिया गया। सवाल उठ रहा है कि 25 दिन तक लेटर को लेट क्यों किया गया। जबकि सितंबर महीने में आए पैनल कैंडीडेट्स का चयन पत्र 15 दिन बाद ही जारी हो गया था।

Posted By: Inextlive