बैंक अधिकारियों की मिली भगत से खुले थे लॉकर
कानपुर(ब्यूरो)। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की कराचीखाना शाखा के लॉकर्स से माल गायब होने की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है। बैंक के एफजीएम ने ब्रांच के अधिकारियों को भले ही पाक-साफ बताते हुए क्लीन चिट दे दी हो लेकिन ग्राहकों के भरोसे को लूटने का यह खेल बैंक अधिकारियों की सरपरस्ती में ही हो रहा था। पुलिस ने बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों पर शिकंजा कसा और पूरा मामला परत दर परत खुल गया। पुलिस ने अब तक 4 लोगों को हिरासत में लिया है, जिनसे पूछताछ की जा रही है।
9 कस्टमर के ढाई करोड़
15 मार्च को सेंट्रल बैंक की शाखा के लॉकर से जेवर गायब होने का पहला मामला सामने आया था। पुलिस ने एफआईआर लिखकर मामले की विवेचना की। 31 मार्च और पांच अप्रैल को दो अन्य एफआईआर लिखकर मामले को एसआईटी को सौंप दिया गया। इन तीनों मामलों में लॉकरों से सामान गायब था। ग्राहकों के अब तक करीब ढाई करोड़ रुपये का माल लॉकरों से गायब होने का दावा किया।
ऐसे खुला मामला
एसआईटी ने मामले की जांच शुरू की तो बैंक के रजिस्टर व अन्य रिकॉर्ड चेक किए गड़बडिय़ां सामने आ गई हैं। जब लॉकर खोलने वाले कारीगर से विस्तार से पूछताछ कर उन लॉकरों को चिन्हित कराया गया जिन्हें उसने खोला था तो 9 दिसंबर-21 को अनाधिकृत तरीके से 7 लाकरों को तोडक़र खोलने का मामला सामने आया। पूछताछ में पैन कॉमर्शियल गोदरेज कंपनी के चंद्र प्रकाश ने स्वीकार किया कि 9 दिसंबर को 29 लॉकर खोले जिनमें से 10 लॉकरों में सामान निकला। जबकि 19 लॉकर खाली थे। जबकि बैंक के रजिस्टर में मात्र 3 लॉकरों से सामान निकलना दिखाया गया है। यहीं से बैंक के अधिकारी पुलिस के राडार पर चढ़ गए।
9 दिसंबर को हुआ था खेल
लॉकर खोलने में चंद्रप्रकाश के साथ रहे करनराज को बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने खोले गये लॉकरों की पहचान करने को कहा गया तो उसने बताया कि सभी लॉकर 9 दिसंबर को खोले थे। साथ ही उसने बताया कि उसे इस काम के लिये दस हजार रुपये अतिरिक्त दिए गए थे। जबकि चंद्रप्रकाश ने माना कि उसे भी 300 ग्राम जेवर दिये गये थे जो 35 हजार रुपए तोला के हिसाब से बेच दिए। मिली रकम में से पांच लाख की एफडी कराई। जिसका वेरिफिकेशन पुलिस कर चुकी है।
हर कदम पर तोड़े नियम
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के नियमानुसार लॉकर के ब्रेक ओपन की कारवाई के दौरान जो कमेटी गठित होती है, उसमें दो सीनियर मैनेजर, एक लीगल एडवाइजर, दो इंडिपेंडेट विटनेस जो बैंक के ग्राहक और बैंक इंप्लाई न हों। जबकि इनकी कमेटी गठन में इसका पालन नहीं किया गया।
गोदरेज की पैन कॉमर्शियल को लॉकर संबधित मेंटीनेंस कार्य के लिए अधिकृत किया गया था। जिसमें चंद्रप्रकाश ही अधिकृत कर्मचारी हैं। जबकि बैंक अधिकारियों ने करनराज, राकेश व रमेश को लॉकर रूम में लॉकर आपरेशन के लिये जाने दिया जो कि नियमों की भारी अनदेखी है। शिकायत को दबाया
सात जनवरी को पहली शिकायत एक लाकरधारक सीता गुप्ता ने की। बैंक मैनेजर ने इस पर कोई कारवाई नहीं की। फिर दूसरी शिकायत आने के बाद पहली पीडि़ता ने डीसीपी ईस्ट प्रमोद कुमार के ऑफिस में आकर शिकायत की। जिस पर एफआइआर लिखकर दोनों मामलों की जाांच शुरू की गई।