ट्रेडिशनल के साथ वोकेशनल पर फोकस
कानपुर (ब्यूरो) कॉलेजों में चलने वाले वोकेशनल कोर्सेज में कोई भी स्टूडेंट एडमिशन ले सकता है। एडमिशन लेने के लिए स्टूड़ेंट को महज कॉलेज का स्टूडेंट होना आवश्यक हैै। कोर्स पूरा होने के बाद स्टूडेंट को संबंधित कोर्स का सर्टिफिकेट भी दिया जाता है। इसके अलावा कोर्स पूरा होने के बाद कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्तर पर होने वाले रोजगार मेले में स्टूडेंट्स पार्टिसिपेट कर सकते हैैं। कई स्टूडेंट्स को जॉब मिली भी है। वोकेशनल कोर्स की कॉलेज में अलग से क्लासेज भी लगती हैैं।
कॉलेज अलग से भी चला रहे
सिटी के कॉलेज, स्टूडेंट्स को हुनरमंद बनाने के लिए महज वोकेशनल कोर्स तक ही सीमित नहीं हैैं। वह नीलिट, एआईसीटीई, स्किल डेवलपमेंट स्कीम, डीएसटी, एनएसक्यूएफ समेत कई जगहों से अप्रूव्ड कोर्सों को चला रहे हैैं। हालांकि एनईपी के अंडरटेकिंग चलने वाले कोर्सेज के अलावा अन्य कोर्सेज में स्टूडेंट्स को फीस देनी होती है।
यह हैैं एनईपी वाले कोर्स
एडवरटाइजिंग, आफिस आटोमेशन यूजिंग एमएस आफिस, पॉजिटिव साइकोलॉजी एंड काउंसिलिंग, मीडिया रिपोर्टिंग एंड एडिटिंग, बेसिक आफ 3डी एनिमेशन, फंक्शनल इंग्लिश, इंवेस्टमेंट मैनेजमेंट, योगा एंड नैचुरोरपैथी, फूड प्रोसेसिंग एंड प्रीजर्वेशन, कंप्यूटर एप्लीकेशन, फुटवियर डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी, सृजनात्मक हिंदी लेखन, जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन, असिस्टेंट ब्यूटी थैरेपिस्ट, टूरिज्म एंड ट्रैवल मैनेजमेंट, फैशन डिजाइनिंग समेत 36 वोकेशनल कोर्स हैैं। इन कोर्सों में छह महीने से लेकर दो साल तक के कोर्स शामिल हैैं।
कोट
एनईपी के तहत हर सेमेस्टर मेें स्टूडेंट को एक वोकेशनल कोर्स लेना है। सीएसजेएमयू से एफिलिएडेट सभी 680 कॉलेजों में 36 वोकेशनल कोर्स चल रहे हैैं। इन कोर्सों को चलाने का उद्देश्य स्टूडेंट्स को स्किल्ड बनाना है।
डॉ। राजेश कुमार द्विवेदी, डायरेक्टर, कॉलेज डेवलपमेंट काउंसिल