50-50 गज में तान दिए 'मौत' के फ्लैट्स
- केडीए और फायर डिपार्टमेंट की मेहरबानी से नियम ताख पर रखकर बन रहे सैकड़ों फ्लैट्स
- कहीं नहीं आग बुझाने के जरूरी साधन, संकरी सीढि़यों से होता है दर्जनों लोगों आना जानाkanpur : केडीए की मेहरबानी से शहर में एक दर्जन से ज्यादा इलाकों में मौत के फ्लैट्स तान दिए गए हैं। कामर्शियल, रेजीडेंशियल बिल्डिंग के मानक तो छोडि़ए कम से कम जितनी जगह में बिल्डिंग बननी चाहिए उससे क्0 फीसदी से कम भूमि पर मल्टीफ्लोरी बिल्डिंग्स बना कर फ्लैट्स बेंच लिए गए। नियमत: मल्टीस्टोरी बिल्डिंग कम से कम ख् हजार वर्ग मीटर जगह पर होनी चाहिए, लेकिन हालत यह है कि भ्0 से क्भ्0 मीटर भूमि पर बिल्डिंग बना दी गई हैं। इन फ्लैट्स में रहने वालों को इस बात का कतई अंदाजा नहीं है कि किस खतरे के बीच वो अपना आशियाना सजाए हैं। वेडनसडे को गोविंद नगर की घोसी बिल्डिंग जहां भीषण आग लगी वह भी ऐसी ही बिल्डिंग्स में से एक है। केडीए तो छोडि़ए फायर ब्रिगेड की ओर से भी ऐसी खतरनाक बिल्डिंग्स की कभी जांच नहीं की गई। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने शहर के ब् एरियाज का रियलिटी चेक किया। जिसमें चौंकाने वाली हकीकत सामने आई
स्थान : गोविंद नगरदो लोगों के लिए भी सीढि़यों पर जगह नहीं
लगभग क्भ्0 वर्ग गज जमीन पर बने ब् से भ् फ्लोर में फ्लैट्स बनाए गए हैं। एक फ्लोर पर तीन-तीन फ्लैट बने हैं। जिसमें पूरे के पूरे परिवार रह रहे हैं। एक फ्लोर पर अंदर जाने के लिए केवल एक संकरा सा रास्ता है। जिसमें दो लोग एक साथ अंदर नहीं जा सकते। घर की एंट्री भी कुछ इस तरह की कि न तो तेज गति से अंदर जा सकते। चार मंजिला मकान में आग बुझाने का कोई इंतजाम नहीं दिखा। और तो और संकरी सीढि़यों पर रोशनी का भी कोई साधन नहीं था। स्थान : गांधी नगर सिर पर लटक रहे बिजली के तार ये तस्वीर गांधी नगर इलाके में बनी एक मल्टीस्टोरी इमारत की है। बिजली के तार इस इमारत के इतने करीब से गुजर रहे हैं कि कोई हादसा होने पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी भी इस गली में नहीं आ पाएगी। चार मंजिला इमारत में एंट्री और निकलने का एक संकरा सा रास्ता। घर के बाहर और अंदर खड़ी गाडि़यां आने-जाने वालों का रास्ता रोकती दिखी। आग बुझाने के कोई साधन इस अपार्टमेंट में नहीं दिखाई दिए। स्थान : जवाहर नगर न कोई केयर टेक न कोई मालिकबाहर से शानदार दिखने वाली ये इमारत तीन मंजिल की है। कॉमर्शियल बिल्डिंग के लिए जो शर्ते होनी चाहिए वे भी पूरी नहीं हैं, न ही फायर फाइटिंग सिस्टम है और न ही आग बुझाने का कोई दूसरा साधन। पूरी तरह खतरनाक ये फ्लैट्स भले ही जिम्मेदारों की नजर में न आए लेकिन आई- नेक्सट के कैमरे की नजर से न बच सके। सबसे बड़ी बात तो ये है कि एक बार फ्लैट खरीदने के बाद चंदे से इसकी रिपेयरिंग और सफाई होती है। इसका कोई केयर टेकर और मालिक नहीं होता।
स्थान : पी रोड इमरजेंसी में कोई दूसरा रास्ता नहींपी रोड पर बने इस अपार्टमेंट की तस्वीर देखिए। सामने से बिजली के तार जाते साफ दिखाई दे रहे हैं। ऊपर तीन मंजिला इमारत में फ्लैट्स बने हैं। अंदर जाने का एक ही रास्ता है। मेन गेट के एक तरफ ड्राई क्लीनर्स की तो दूसरी तरफ पेंट स्टोर हैं। अंदर जाने के संकरे रास्ते के अलावा कोई दूसरा रास्ता निकलने का नहीं है। ऐशो आराम के सभी साधनों से ये फ्लैट सुसज्जित दिखाई दे रहा हैं, लेकिन फायर फाइटिंग सिस्टम यहां भी नदारद हैं। अगर सीढि़यों पर कोई हादसा होता है तो कितनी कैजु्अल्टी होंगी? इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता।
कॉमर्शियल बिल्डिंग के लिए फायर विभाग की एनओसी के नियम - कॉमर्शियल और रेजिडेंशियल के नियम अलग होते हैं - संबंधित जगह का नक्शा किसी इंजीनियर से बनवाना होगा - इमारत में आने जाने का अलग-अलग रास्ता होना चाहिए - ये रास्ता संकरा नहीं बल्कि ऐसा होना चाहिए कि कि कई लोग आ जा सकें - कमरों की लंबाई और चौड़ाई मानक के हिसाब से होनी चाहिए - बिजली के तार की क्वालिटी और वायरिंग की अवधि भी लिखी हो - फायर फाइटिंग सिस्टम को इंतजाम भी लिखा जाना अनिवार्य है - रहने वाले कितने लोग फायर सिस्टम के जानकार हैं, ये भी लिखना होता है ये हैं बहुमंजिली इमारतों के नियम -डेढ़ सौ से तीन सौ वर्ग मीटर एरिया के प्लॉट में ग्राउंड सहित तीन मंजिला मकान बना सकते है। - इसके अलावा फ्00 से ख्000 वर्ग मीटर तक ग्राउंड सहित चार मंजिला मकान बना सकते हैं। - इसमें हर फ्लोर पर एक किचन होना जरूरी है। साथ ही तीन-तीन मीटर सेट बैक छोड़ा जाना चाहिए। - पार्किंग भी होना चाहिए। फ्लैट के निर्माण के लिए ख् हजार वर्गमीटर से ज्यादा जगह होनी चाहिए।- साथ ही फायर बिग्रेड, नगर निगम, जलकल की एनओसी होनी चाहिए। साथ ही पार्किंग का निर्माण कराया जाए।
केडीए ने अब तक दी नोटिस जोन नोटिस एक ख्ब् दो फ्0 तीन ब्0 चार ख्क्