विज्ञान की ख़ातिर जान पर खेले पांच जांबाज़
बॉमगार्टनर की टीम ज़ोर देकर कहती हैं कि उनका मकसद अत्यधिक उंचाई पर काम करने वाला पैराशूट तैयार करना है जो कि ऐसी स्थिती में काम आ सके जब अंतरिक्ष यात्रियों को स्ट्रैटोस्फ़ेयर में यान छोड़ना पड़े।
विज्ञान की मदद करने के लिए लोगों द्वारा इस तरह के साहसिक कदम उठाने का लंबा इतिहास रहा है। पेश है पांच वो लोग जिन्होंने विज्ञान की मदद के लिए जान दांव पर लगा दी।यूरी ने पृथ्वी की कक्षा में 108 मिनट तक चक्कर लगाया। वो 203 मील की उंचाई पर गए और 27000 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार का सामना किया। इस उड़ान ने साबित किया कि इंसान गंभीर उड़ान, वायुमंडल में दौबारा लौटने और जीरो गुरुत्वाकर्षण वातावरण जैसी कठिन स्थितियों का सामना कर सकता है।
अंतरिक्ष विमान स्पूतनिक के साथ यूरी गगारिन ने मानव सहित अंतरिक्ष यात्राओं के युग की शुरुआत की। उस वक्त कोई ये नहीं जानता था कि जीरो गुरुत्वाकर्षण का मानव शरीर पर क्या असर होगा। माना जाता था कि जीरो गुरुत्वाकर्षण का सामना करने वाला इंसान अपाहिज भी हो सकता है।
1958 से 1975 तक बीबीसी के अंतरिक्ष संवाददाता रहे रेजिनल्ड टर्निल कहते हैं, “ये शुरु से ही निर्धारित किया गया था कि वो अंतरिक्ष विमान को संचालित नहीं करेगें, ये ज़मीन से ही संचालित किया जाना था.”असल में यूरी गागरिन लगभग बेहोंश हो गए थे, बिलकुल अलग वजह से, उनका सर्विस मॉड्यूल उनके कैप्सयूल से अलग नहीं हो पाया और वो चक्कर काटने लगे। इस दौरान उनके स्पेस सूट का तापमान भी खतरनाक स्तर तक बढ़ गया था।इस दौरान उन्होंने 1017 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार हासिल की। उन्होंने शून्य से .45 बोर की गोली की तेज़ गति सिर्फ पांच सेकेंड में हासिल की और सिर्फ 1.4 सेकेंड में शून्य की गति पर आ रुके । जब वो रुके तो उनके शरीर पर गुरुत्वाकर्षण के बल से 46.2 गुना ज्यादा बल पड़ा।
इस परिक्षण ने मानव क्षमताओं की सीमाओं का इम्तेहान लिया। इस मकसद से की कैसे इंसानों के लिए यातायात को सुरक्षित बनाया जाए। इस दौरान उनकी हड्डियां टूट गई और आंख का रैटीना अपनी जगह से हिल गया। लेकिन स्टैप्प ने अपने आप को 29 ऐसे रॉकेट परिक्षणों के लिए उपलब्ध करवाया।इन परिक्षणों से हेलमेट का डिज़ाइन सुधारा गया, हाथ पैर के लिए क्या सुरक्षा होनी चाहिए, वो निर्धारित की गई और विमानों की सीटों को और सुरक्षित कैसे बनाया जाए ये भी निर्धारित किया गया। साथ ही कैसे सीट बैल्ट से शरीर पर पड़ने वाले अतिरिक्त दबाव को सहन किया जाए, ये सुनिश्चित किया गया।स्टैप्प ने कारों में सीट बैल्ट लगाने के लिए अभियान भी चलाए और मांग की लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल होने वाली सुरक्षा प्रणालियों के नागरिक विमानों में भी अपनाया जाए।अमरीकी वायुसेना की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार स्टैप्प को अमरीकी इतिहास में सबसे ऐतिहासिक मुहावरा देने का श्रेय भी दिया है। एक बार स्टेप्प को अपने सहयोगी कैप्टन मर्फी की वजह से चोट का सामना करना पड़ा। इसका पता चलने के बाद स्टैप्प ने कहा, “जो भी ग़लत होना है वो होकर रहेगा” इसके बाद से इसे मर्फी के सिंद्धात के नाम से जाना गया।
विल्सन के मुताबिक इस खोज ने हमारे ग्रह के बारे में हमारी सोच को बदल दिया। इसके अलावा स्कॉट ने एंप्रर पैंग्विन के अंडे भी इक्ठठे किए। इन अंड़ो ने उस सोच को बदल दिया जिसके तहत पहले माना जाता था कि अंड़ा उन विभिन्न क्रमिक विकास के चरणों से गुजरने के बाद बच्चे का रुप लेता है जिन चरणों से होते हुए वो नस्ल गुजरी है। वैज्ञानिकों को उम्मीद थी की ये अंडे डायनासोर और पक्षियों के बीच भी कोई संबध स्थापित करेगें लेकिन ऐसा नहीं हुआ।