4 दशक से नहीं बदला फी स्ट्रक्चर
कानपुर (ब्यूरो) प्रबंधकों को कहना है कि चार दशक में टीचर की सैलरी कई गुना बढ़ चुकी है। अन्य मदों में भी बढ़ोत्तरी की गई है। प्राइवेट कॉलेजों में लाखों में फीस वसूली जा रही है। उनका कहना है यूनिवर्सिटी के परीक्षा शुल्क के तुलना में ही कॉलेजों में फीस का भी निर्धारण होना चाहिए। जिससे कॉलेजों में मेंटीनेंस के लिए किसी तरह की प्राब्लम न आए। जब कॉलेजों के पास पैसा ही नहीं होगा और ग्रांट मिलेगी नहीं तो आधुनिक संसाधन कैसे बढ़ाए जाएंगे।
यूनिवर्सिटी ने बढ़ाया तीन गुना
यूनिवर्सिटी में पहले 685 रुपये वार्षिक परीक्षा में एक बार परीक्षा शुल्क के नाम पर लिया जाता था। अब परीक्षा शुल्क समेत अन्य मदों में एक हजार से अधिक शुल्क लिया जा रहा है वो भी एक सेमेस्टर का। मतलब दो सेमेस्टर में यह लगभग दो हजार रुपये हो जाएगा। यानि यूनिवर्सिटी ने तो अपना शुल्क बढ़ाया है लेकिन कॉलेजों में फीस स्ट्रक्चर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। जबकि समय समय पर फीस का पुन: निर्धारण किया जाना चाहिए।
कॉलेजों में कर्मचारी ही नहीं
कॉलेजों में सालों से गु्रप सी और डी की भर्ती नहीं हुई है। इसकी वजह से प्रबंधन अपने स्तर से ही लैब टेक्नीशियन, डाटा एंट्री आपरेटर, चपरासी सहित अन्य कर्मचारियों को अपने स्तर से ही वेतन दे रहे हैं। भर्ती न होने से कॉलेजों पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है। प्राइवेट कर्मी होने से काम की क्वालिटी पर भी असर पड़ा है।
अनुदानित कॉलेजों में फीस
बीए - 2500
बीएससी - 4000
बीकॉम- 2800
एमए- 5000
एमएससी- 4600
एमकॉम - 4500
एग्जाम फीस 585
नामांकन फीस 200
एलुमिनाई फीस 50
क्रीड़ा फीस 20
प्रैक्टिकल फीस 100
प्रोसेसिंग फीस 50
नोट : एक शुल्क एक सेमेस्टर का है। बोले प्रिंसिपल
कॉलेजों में 40 साल पुराना फीस स्ट्रक्चर चल रहा है। इसमें बदलाव होना चाहिए। इससे कॉलेजों के मेंटीनेंस का काम आसानी से हो सकेगा।
डॉ। विपिन कौशिक, वीएसएसडी कॉलेज कॉलेजों के मेंटीनेंस पर काफी खर्च आता है, फीस से कॉलेजों को मेनटेन किया जाता है। अगर इसमें कुछ बदलाव हो निश्चित कॉलेजों की स्थिति में सुधार होगा।
डॉ। बीडी पांडे, कूटा अध्यक्ष कॉलेजों में काफी पुराना फीस स्ट्रक्चर है। यूनिवर्सिटी स्तर से इसमें सुधार करना चाहिए। नई शिक्षा नीति में कॉलेज को अपडेट किया जाएगा।
प्रो। अरविंद कुमार दीक्षित