पुलिस की जांच के साथ खत्म होता गया भरोसा
- संजीत के गायब होने के बाद से पुलिस के रवैये पर नहीं हो रहा था परिवार को भरोसा, संजीत की तलाश में ढिलाई की कीमत परिजनों ने चुकाई
- संजीत की किडनैपिंग और हत्या के खुलासे पर पहले दिन से उठे सवाल, 10 दिन बाद भी शव नहीं मिलने पर फूट पड़ा था परिजनों का गुस्साKANPUR: बर्रा में लैब टेक्नीशियन संजीत यादव की किडनैपिंग और हत्या की घटना में पुलिस ने शुरू से केस के खुलासे तक हर कदम पर लापरवाही भरा रवैया दिखाया। थानास्तर से लेकर आईपीएस अधिकारी तक ने अपनी भूिमका सही से नहीं निभाई। मामले में फंसता देख अधिकारी खुलासे पर कम खुद को बचाने में ज्यादा लग गए। पूरे घटनाक्रम के खुलासे, आरोपियों की गिरफ्तारी और पुलिस की कहानी पर परिजनों को यकीन ही नहीं हुआ। कानून के जानकारों ने भी माना कि मामले में पुलिस कोई ऐसा ठोस सबूत नहीं जुटा पाई है जिससे कोर्ट में केस को मजबूती से रखा जा सके और आरोपियों को सजा हो सके। वहीं संजीत के शव का नहीं मिल पाना परिजनों का पुलिस पर भरोसा टूटने का सबसे बड़ा कारण बना। मामले में जिन कडि़यों को पुलिस नहीं जोड़ पाई वह कितनी अहम है यह देखना जरूरी है।
इस मामले में अब तक क्या हुआ।
22 जून संजीत यादव का नौबस्ता हाईवे से अपहरण 23 जून- परिजनों की तहरीर पर बर्रा थाने में गुमशुदगी दर्ज 27 जून- रात को किडनैपर्स ने संजीत की हत्या कर दी 29 जून- संजीत के पिता को फिरौती के लिए फोन आया 13 जुलाई- परिजनों ने पुलिस की मौजूदगी में किडनैपर्स को फिरौती की रकम दी 14 जुलाई- संजीत की खोज के लिए क्राइम ब्रांच,सर्विलांस सेल को लगाया गया 16 जुलाई- मामले में लापरवाही के आरोप में बर्रा एसएचओ रणजीत राय सस्पेंड 23 जुलाई- 5 किडनैपर्स पुलिस के हत्थे चढ़े, संजीत की हत्या किए जाने की पुष्टि 24 जुलाई- शासन ने मामला संज्ञान में लिया, एसपी साउथ समेत 10 पुलिस कर्मी सस्पेंड 2 अगस्त- शासन ने मामले की सीबीआई जांच की परिजनों की मांग मानी ----------------------------- पुलिस की जांच और दावों में कमजोर कड़ी- - संजीत के शव का बरामद नहीं होना, फिरौती की रकम और बैग की बरामदगी नहीं - आला-ए-कत्ल की भी बरामदगी नहीं, जिस फोन से फिरौती की कॉल आई वो भी नहीं मिला - फिरौती की कॉल्स की रिकार्डिग में आवाज किसकी है यह अभी तक साफ नहीं- किराए पर लिए गए घर और शव फेंकने में इस्तेमाल हुई गाड़ी की फारेंसिक रिपोर्ट
इंस्पेक्टर की भूमिका संदिग्ध इस पूरे मामले में बर्रा थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर रणजीत राय की भूमिका संदिग्ध रही है। उन पर आरोप है कि उन्होंने सही तरह से कार्रवाई नहीं की। इसके अलावा परिजनों को फिरौती देने के लिए इन्होंने ही एसपी साउथ को भरोसे में लेकर तैयार कराया। 13 जुलाई को जब फिरौती दी जा रही थी, तब वह मौके पर गए ही नहीं बल्कि अपनी प्राइवेट कार में बैठे रहे। किडनैपर्स के बैग ले जाने की खबर के बाद भी उन्होंने कार से उतरना जरूरी नहीं समझा और मौके से चले गए।