'पहले तीन शर्तें मानों, तब मिलेगा क़र्ज़'
इन शर्तों को पूरा करने पर ही ग्रीस को आर्थिक संकट से उबरने लिए एक बार फिर से 130 अरब यूरो की आर्थिक मदद मिलेगी। बैठक की अध्यक्षता कर रहे लक्ज़मबर्ग के प्रधानमंत्री ज्यां क्ला जंकर ने कहा कि वर्ष 2012 में 32.5 करोड़ यूरो की बचत की ज़रूरत होगी।
यूरो मुद्रा वाले देशों के वित्त मंत्री अगले बुधवार को फिर बैठक करेंगे। ग्रीस की संसद को इससे पहले ख़र्चों में कटौती की एक योजना को मंज़ूरी देनी होगी।इतना ही नहीं, ग्रीस के नेताओं को इस बात का पक्का आश्वासन भी देना होगा कि वे अप्रैल में होने वाले चुनाव के बाद भी समझौते की शर्तों का पालन करेंगे।जंकर ने कहा, ''बीते दिनों में कुछ प्रगति करने के बावज़ूद आज फ़ैसला करने के लिए अभी हमारे पास सभी ज़रूरी बातें नहीं हैं.'' उन्होंने कहा, ''आगामी आम चुनावों के बाद भी योजना का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए ये सभी उपाए महत्वपूर्ण हैं.'' जंकर ने कहा, ''इससे पहले कि हम फ़ैसला लें, इन तीन बातों का, जिनका मैंने उल्लेख किया है, होना ज़रूरी है.''
समाचार एजेंसी रॉयर्टस के मुताबिक़, जंकर ने ग्रीस की सरकार इस आश्वासन का स्वागत किया है कि आने वाले दिनों में सभी ज़रूरी कदम उठाए जाएंगे।
कड़ा रुख़ब्रसल्ल में यूरो मुद्रा वाले देशों की बैठक में जर्मनी के वित्तमंत्री वॉल्फ़गेंग ने कहा कि बातचीत के कई दिन बाद ग्रीस का कमज़ोर गठबंधन जिस योजना पर राज़ी हुआ, वो इस चरण पर नहीं है कि जिस पर दस्तख़त किए जा सकें।
नई शर्तों की घोषणा होने से पहले ही इन उपायों के विरोध में ग्रीस में यूनियनों ने शुक्रवार से 48 घंटों की हड़ताल का आह्वान किया है। ब्रसल्स में मौज़ूद बीबीसी संवाददाता क्रिस मौरिस का कहना है कि यूरो मुद्रा वाले देशों के वित्त मंत्री नई आर्थिक मदद और निजी बैंकों के साथ क़रार के बाद भी ग्रीस की अर्थव्यवस्था के टिकाऊ रास्ते पर आने के प्रति आश्वास्त नहीं हैं।ग्रीस आर्थिक संकट से निज़ात पाने के लिए मदद की ख़ातिर यूरोपीय यूनियन और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ से बातचीत कर रहा है।ग्रीस के लिए ये इस तरह की दूसरी आर्थिक मदद है और कर्ज़दाताओं ने कर्ज़ के बदले ख़र्चों में कटौती के ज़्यादा उपाए करने पर ज़ोर दिया है।बीबीसी संवाददाता का कहना है कि यूरो मुद्रा वाले देशों का रूख़ ग्रीस के प्रति सख़्त प्रतीत हो रहा है। आधिकारिक विचार अब भी यही है कि ग्रीस को बचाया जाना चाहिए।
'दर्दनाक उपाए'ग्रीस की सरकार इस हफ़्ते की शुरुआत में जिस योजना पर राज़ी हुई थी, उसमें सार्वजनिक क्षेत्र में 15,000 नौकरियों की कटौती, श्रम क़ानूनों को उदार बनाना, न्यूनतम मज़दूरी में 22 प्रतिशत की कटौती और बैंकों के साथ क़रार शामिल है। लेकिन यूरोपीय यूनियन, आईएमएफ़, और यूरोपीय सेंट्रल बैंक की एक अहम मांग पेंशन प्रणाली में सुधार करने की है।ग्रीस के प्रधानमंत्री लुकास पेपाडेमोस ने पेंशन के मामले में गठबंधन के अपने साझेदारों को सहमत करने की और एक साल में 30 करोड़ यूरो बचाने की कोशिश की है।बातचीत बिना किसी समझौते के टूट गई थी लेकिन अधिकारियों ने बाद में कहा कि एक सहमति बन गई है। लेकिन ये स्पष्ट नहीं है कि 30 करोड़ यूरो की बचत आख़िर कैसे होगी।ग्रीस सरकार को यूरो जोन वाले देशों के वित्तमंत्रियों की मदद की दरक़ार है और क़रार को अंतिम रूप देने से पहले अपनी संसद की मंज़ूरी भी लेनी होगी।आईएमएफ़ के अधिकारियों ने पहले संकेत दिया था कि ख़र्चों में कटौती की नई योजना में प्रमुख संस्थागत सुधारों का अभाव है। वहीं ग्रीस ख़र्चों में कटौती के पहले दौर के असर को महसूस कर रहा है, जिसके एवज़ में उसे मदद देने पर सहमति बनी थी।
इन कटौतियों की वजह से ग्रीस में जगह-जगह हिंसक प्रदर्शन हुए थे। ग्रीस गहरे आर्थिक संकट में फंसा हुआ है जहां बेरोज़गारी अपने चरम पर है।देश की यूनियनें पहले ही कह चुकी हैं कि वो ख़र्चों में कटौती के नए उपायों के विरोध में हड़ताल करेंगी। उन्होंने इन उपायों को दर्दनाक उपाए बताया है जिनसे ग़रीबी पैदा होगी।इसबीच अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने यूरो मुद्रा वाले देशों की अर्थव्यवस्था को स्थायित्व प्रदान करने के लिए अमरीका की इच्छा को एक बार फिर दोहराया है।इटली के प्रधानमंत्री मारियो मोंटी के साथ मुलाक़ात में ओबामा ने यूरोपीय देशों से आर्थिक वृद्धि की रणनीति को बढ़ावा देने के लिए भी कहा है।