चुनावी माहौल में राजनीतिक दलों के नेता और उनके समर्थक एक दूसरे पर जमकर सियासी तीर चला रहे हैं. किसकी जीत होगी और किसकी हार इसका पता तो 10 मार्च को काउंटिंग के बाद ही पता चलेगा. लेकिन पियक्कड़ों की मौज हो गई है. सभी दल उनका पूर ख्याल रख रहे हैं. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सिर्फ जनवरी में ही शहर में 180 करोड़ रुपए की शराब बिक गई. जबकि आबकारी विभाग के आंकड़े बताते हैं कि हर महीने औसतन 100 करोड़ रुपए की शराब बिक्री होती है. लेकिन चुनावी माहौल ने सेल लगभग दो गुनी कर दी है.


(कानपुर ब्यूरो) एक नंबर से शराब खरीदने के साथ ही हरियाणा व अन्य राज्यों से भी तस्करी कर बड़ी मात्रा में शराब शहर लाई जा रही है। चुनाव के चलते अलर्ट कमिश्नरेट और आउटर पुलिस की टीम अवैध शराब की कई बड़ी खेप तस्करों के साथ अब तक पकड़ चुकी है। इसमें, अंग्रेजी, देशी समेत बियर भी शामिल है। हर चुनाव में ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि वोटर्स को लुभाने के लिए बस्तियों में जमकर शराब बांटी जाती है। ऐसे में चुनाव आयोग की तरफ से इस पर सख्ती बरतने का आदेश दिया गया है। जिसके बाद आबकारी विभाग ने अवैध, नकली और तस्करी कर लाई जा रही शराब की धरपकड़ के लिए 12 टीमों का गठन किया है। एक टीम में 5 लोगों को शामिल किया गया है।

टीमें 12,गाडिय़ां सिर्फ 3
राज्य सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व आबकारी विभाग से ही आता हैै। जिसमें कानपुर जनपद का हर वर्ष राजस्व औसतन पन्द्रह हजार करोड़ तक रहता है। बावजूद इसके विभाग में मूल सुविधाओं की कमी है। अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि एरिया में रेड मारने के लिए विभाग के पास सिर्फ तीन ही गाडिय़ां है। जिसमें से दो संविदा और एक सरकारी है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि जब 12 टीमें बनाई हैं, तो गाडिय़ां तीन क्यों? वहीं, आबकारी अधिकारियों के मुताबिक, टीमों की रोस्टर के आधार पर ड्यूटी लगाई जा रही है, जोकि अपने अपने एरिया में कड़ी निगरानी रख रही है।

Posted By: Inextlive