एचबीटीयू के आयल टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में 'नेवर सर्फेक्टेंट फॉर सोप्स एंड डिटरर्जेंटÓ विषय पर दो दिवसीय नेशनल सेमिनार का फ्राइडे को शुभारंभ किया गया. इसमें विशेषज्ञों ने इको फ्रेंडली साबुन और डिटर्जेंट बनाने के टिप्स दिए. ऐसे साबुन और डिटर्जेंट बनाने पर विचार हुआ जिससे प्रदूषण पर नियंत्रण हो सके. देश में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर भी चर्चा की गई.

कानपुर (ब्यूरो) कुलपति प्रो। समशेर ने बताया कि साबुन और डिटर्जेंट के लिए नए सर्फेक्टेंट का चुना गया विषय स्वच्छ भारत अभियान के लिए बहुत उपयुक्त है। प्रतिभागियों को अपने ज्ञान को समृद्ध करके लाभान्वित किया जाएगा। सामान्य अध्यक्ष सम्मेलन और प्रो। डॉ। आरके त्रिवेदी ने बताया की मानव शरीर भी सर्फेक्टेंट पैदा करता है, जिसे पल्मोनरी सर्फेक्टेंट के रूप में जाना जाता है।

उद्योग को आगे बढ़ाना
के टेक मुम्बई के सुभाष ने बताया की केस्टर केमिस्ट्री का पुनरीक्षण के लिए नए सर्फेक्टेंट विकास ओलियोकेमिकल्स में दुनिया में उद्योग को आगे बढ़ाना है। तृतीय वर्ष तेल प्रौद्योगिकी स्टूडेंट्स युगांश जायसवाल व प्रखर गुप्ता ने बताया की रु्रक्चस् का विकल्प ट्राइग्लिसराइड्स (खाद्य तेलों) से भी सम्भव है। संजय त्रिवेदी ने बताया कि दैनिक उपयोग के उत्पादों में सर्फैक्टेंट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सर्फेक्टेंट और विशिष्टताओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

Posted By: Inextlive