इंडस्ट्रीज को साइबर अटैक से बचाएंगे आईआईटी के ‘सोल्जर्स’
कानपुर(ब्यूरो)। इंडस्ट्रीज के साथ सरकारी कंपनियों और विभागों में साइबर अटैक बड़ी समस्या बन गया है। कभी मैलवेयर भेजकर तो कभी कंपनी की ई मेल हैकर साइबर शातिर आए दिन इंडस्ट्रीज को चूना लगा रहे हैं। लेकिन, जल्द ही इस समस्या से निजाद मिल जाएगा। साइबर अटैक से इंडस्ट्रीज को बचाने के लिए आईआईटी कानपुर साइबर सैनिक तैयार करेगा। इसके लिए आईआईटी ने साइबर सिक्योरिटी में ई-मास्टर्स डिग्री प्रोग्राम शुरू किया है। इसमें साइबर अटैक के बढ़ते संभावित खतरे से निपटने के लिए स्टूडेंट्स को आईआईटी के एक्सटपर्ट बारीकियां सिखाएंगे। जिससे ये स्टूडेंट भविष्य में उद्योगों पर साइबर हमलों से बचाने में पूरी तरह से सक्षम होंगे।
14 लाख साइबर अटैक
इंडिया की कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) ने लास्ट ईयर 14 लाख से अधिक साइबर हमले की घटनाएं दर्ज की थीं। इसमें बैंङ्क्षकग सिस्टम, संचार, रेलवे, सशस्त्र बल, बिजली क्षेत्र कुछ महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे शामिल हैं। इसके अलावा, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी तकनीक आने से रैंसमवेयर के खतरे बढ़े हैं। पिछले साल, भारत में रैंसमवेयर हमलों में अनुमानित 120 परसेंट का इजाफा हुआ। हालांकि उनमें से ज्यादातर तीसरे पक्ष के हमलावरों से हैं।
अच्छी स्किल्ड वर्कफोर्स की जरूरत
गार्टनर की रिपोर्ट के अनुसार 2025 तक, 45 प्रतिशत संगठनों को अपनी सॉफ्टवेयर सप्लाई चेन पर हमलों का सामना करना पड़ सकता है। भारत में 2025 तक साइबर सुरक्षा क्षेत्र में 1.5 मिलियन से अधिक रिक्तियां होने वाली हैं। इस आगामी प्रतिभा की कमी को पूरा करने के लिए, भारत को बदलते साइबर सिक्योरिटी सिनेरियो के लिए एक अच्छी स्किल्ड वर्कफोर्स की जरूरत है। जिसे इस प्रोग्राम के जरिये दूर किया जा सकता है।
आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर साइंस और इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रोफेसर डॉ। मणीन्द्र अग्रवाल ने कहा कि जनवरी 2023 से शुरू होने वाले दूसरे बैच के लिए 12 नवंबर तक आवेदन की अंतिम तारीख निर्धारित की गई है। इस प्रोग्राम में वल्र्डक्लास रिसर्चर और एक्सपट्र्स की टीम स्टूडेंट्स को साइबर सिक्योरिटी की पढ़ाई कराती है। एक से तीन वर्षों की अवधि का प्रोग्राम 12 माड्यूल पर आधारित और इंडस्ट्रीज पर फोकस्ड है।
मशीन लर्निंग सुरक्षा
प्रोग्राम में क्रिप्टोग्राफी, मशीन लर्निंग सुरक्षा पर शुरुआत से लेकर उन्नत चरणों तक का मसौदा शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पहले बैच के 85 से अधिक प्रतिभागी इस ई-मास्टर्स प्रोग्राम का लाभ उठा रहे हैं। यह प्रोग्राम एक क्रेडिट ट्रांसफर सुविधा के तहत एमटेक व पीएचडी के लिए 60 क्रेडिट तक की छूट हस्तांतरित की जा सकती है। इससे प्रतिभागियों को आईआईटी कानपुर प्लेसमेंट सेल, इनक्यूबेशन सेल और पूर्व छात्रों के नेटवर्क तक पहुंच प्राप्त होती है।