13 अरब हो गए साफ, फिर भी गंगा मैली
कानपुर(ब्यूरो)। गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए करीब 13.12 अरब रुपए खर्च हो चुके हैं। लेकिन गंगा सफाई के नाम पर खर्च हुई इतनी बड़ी रकम के बावजूद गंगा के हालात जस के तस हैैं। यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से हर महीने जारी की जाने वाली रिपोर्ट की बात करें तो कानपुर में बिठूर से लेकर जाजमऊ तक की गंगा डी कैटेगरी में हैैं। इतनी बड़ी रकम खर्च होने के बाद भी पीना तो छोडि़ए यहां का गंगा जल स्नान योग्य भी नहीं है।
दिखावे की टैपिंग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानपुर की गंगा को निर्मल बनाने के लिए यहां के नालों को टैप कराया था। पीएम ने गंगा में गंदा में रोजाना करोड़ो लीटर सीवर का पानी उगलने वाले ऐतिहासिक सीसामऊ नाले को टैप किए जाने के बाद यहां सेल्फी भी ली थी। घोषणा की थी कि अब नाले गंगा में नहीं गिर रहे हैैं। प्रशासन ने पीएम के सेल्फी लेने वाले स्थान को सेल्फी प्वाइंट घोषित किया था। लेकिन पीएम के बाद दोबारा उस प्वाइंट पर कोई भी सेल्फी नहीं ले पाया है। नाले का गंदा और बदबूदार पानी सीधा गंगा में गिरकर उसकी निर्मलता और अविरलता को दूषित कर रहा है।
यह हाल सिर्फ एक नाले का नहीं बल्कि परमिया, रानीघाट, परमट, गोलाघाट, डबकेश्वर घाट और जाजमऊ आदि का है। यहां पर सिर्फ दिखावे के लिए नालों की टैपिंग कर पीएम के सामने अधिकारियों ने अपने नंबर बढ़ाए थे। ऐसे में 73 करोड़ से यह कैसी टैपिंग हुई जिससे गंदा पानी अभी भी आ रहा है। यह सवाल हर किसी की जुबान पर है।
यह भी हुए काम
गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए सिटी मेें कई काम किए गए हैैं। इन कामों में गंदे पानी को साफ करने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी), डीप सीवर लाइन और नाला टैपिंग शामिल हैं। इसके अलावा 323 करोड़ की लागत से पनका में एसटीपी बन रहा है। ऐसे में अगर हम एसटीपी की बात करें तो जाजमऊ एसटीपी से अक्सर गंदे पानी के गंगा में जाने की खबर अखबारों की सुर्खियां बनती हैैं।
गंगा सफाई के नाम पर अब तक
-166 करोड़ रुपए गंगा एक्शन प्लान के अंतर्गत एसटीपी आदि कार्यो पर खर्च
--750 करोड़ रुपए से जेएनएनयूआरएम में डीप सीवर लाइन, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए
--63 करोड़ रुपए नालों की टेपिंग पर हुए खर्च
--10 करोड़ रुपए से बिठूर में नाले किए गए टेप
- 323 करोड़ से पनका में बन रहा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
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गंगा तो स्वच्छ होकर नहीं बह पाई लेकिन बजट के नाम पर करोड़ों रूपए जरूर पानी की तरह बहाए गए हैैं। अधिकारियों की जेब में भी बजट के पैसों की बाढ़ आई है, इसी वजह से नाले गंगा में गिरते नाले अधिकारियों को नहीं दिखते हैैं।
केशव मिश्रा
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यह कटु सत्य है कि मां गंगा की सफाई को लेकर सिर्फ बड़ी बड़ी बातें होती हैैं। इससे संबंधित विभाग में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हो रहा है। सरकार के साथ साथ हम नागरिक भी इसके लिए जिम्मेदार है। हमारी कानपुर प्लागर्स की टीम 104 वीक से हर संडे गंगा घाटों की सफाई करते हैैं।
अनूप कुमार द्विवेदी, पूर्व महामंत्री, कानपुर बार एसोसिएशन