खर्राटों की वजह से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा 5 गुना
कानपुर(ब्यूरो)। अगर सोते समय आपको खर्राटे आते हैं तो सतर्क हो जाएं। इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल इलाज कराएं। खर्राटों (स्लीप एप्निया) की वजह से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा पांच गुना बढ़ जाता है। इसलिए खर्राटे को कतई हल्के में नहीं लें, इसकी वजह से ही ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ रहे हैं। देश-दुनिया में सर्वाधिक मौतें व विकलांगता की वजह ब्रेन स्ट्रोक ही है। इसकी वजह से ब्रेन की 32 हजार नर्व डैमेज होती हैं। यह जानकारी संडे को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की सब फैकल्टी के सब फैकल्टी आईएमए कालेज आफ मेडिकल प्रैक्टिशनर्स के आठ दिवसीय एनुअल रिफ्रेशर कोर्स के वैज्ञानिक सत्र में मैक्स हास्पिटल के सीनियर डायरेक्टर डॉ। पुनीत अग्रवाल ने दी।
यूथ्स को भी ब्रेन स्ट्रोक
उन्होंने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक अब किसी उम्र वर्ग के लोगों को हो रहा है। युवाओं में टेंशन अधिक होने की वजह से स्ट्रोक की रफ्तार बढ़ी है। ब्रेन स्ट्रोक अचानक होता है, इसलिए स्ट्रोक में छह घंटे का गोल्डेन आवर महत्वपूर्ण है। इस अवधि में इलाज मिलने से मरीज की जान बचाने के साथ उसे विकलांगता से बचाया जा सकता है। वहीं, दिमाग की नसें सूखने से बुजुर्गों में पार्किंसन की समस्या तेजी से बढ़ी है। इसके इलाज की नई तकनीक आ गई है.इसमें डीप ब्रेन स्टिमुलेशन यानी ब्रेन में एक प्रकार का पेसमेकर लगाया जाता है जिसे दिल (हार्ट) पर लगा उपकरण नियंत्रित करता है।
कार्यक्रम के निदेशक डा। सी निहलानी और चेयरपर्सन डा। कुणाल सहाय और डा। बीपी राठौर रहे। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के पूर्व प्राचार्य व वरिष्ठ न्यूरोलाजिस्ट प्रो। नवनीत कुमार ने बताया कि देश में हर साल 10 लाख नए मरीजों को मिर्गी की समस्या हो रही है। इनमें से सिर्फ 25 प्रतिशत ही एक्सपर्ट डॉक्टर के पास पहुंच पाते हैं। अगर समय से इलाज मिल जाए तो 75 प्रतिशत मिर्गी के मरीजों को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। कार्यक्रम के चेयरपर्सन डा। आइएन बाजपेई और डॉ। केके पांडेय रहे।