घबराएं कतई नहीं, दिल का हर छेद नहीं होता ‘जानलेवा’
कानपुर (ब्यूरो) उन्होंने बताया कि इंडिया ने मेडिकल साइंस में बीते चार सालों में काफी विस्तार किया है। वर्तमान में आधुनिक जांचों के माध्यम से मां के गर्भ में ही बच्चे के दिल की बीमारी का पता लगाया जा सकता है। जल्द ही ऐसे बच्चों का ट्रीटमेंट मां के कोख के अंदर ही मेडिसिन से किया जा जाएगा।
लाइफ स्टाइल बड़ा कारणरीवा सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल से आए कार्डियक स्पेशलिस्ट डॉ। सुनील त्रिपाठी ने युवाओं में बढ़ रहे कार्डियक अटैक की दो मुख्य वजह बताई। उन्होंने बताया कि युवाओं में लाइफ स्टाइल व इनवायरमेंट चेंज के कारण कार्डियक अटैक की प्रॉब्लम बढ़ रही है। खानपान, अनियंत्रित लाइफ स्टाइल के साथ प्रदूषण भी हार्ट की विभिन्न बीमारियों का कारण बनता है। लिहाजा युवाओं को अपने लाइफ स्टाइल में चेंज लाने की जरूरत है।
नसों के जरिए पड़ रहा वाल्व
अहमदाबाद गुजरात से आए हार्ट वायल्स स्पेशलिस्ट डॉ। मानिक चोपड़ा ने बताया कि हार्ट के वाल्व के लीकेज होने व सिकुड़ जाने के हालत में वाल्व चेंज करने की जरूरत पड़ती थी। पहले वाल्व चेंज करने में चेस्ट में बड़ा चीरा लगाया जाता था। अब नई तकनीकी से इसका ऑपरेशन तीन इंच के चीरे से किया जा सकता है। वहीं बुजुर्गों में तो बिना ऑपरेशन के पैर की नसों के जरिए हार्ट में वाल्व डाला जा रहा है। जिनकी ऑपरेशन करने की स्थिति नहीं होती है।
रांची राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल से आए कार्डियक सर्जन डॉ। विनीत महाजन ने बताया कि हार्ट के विभिन्न ऑपरेशन अब रोबोटिक होने लगे हैं। नई तकनीकी होने से यह ऑपरेशन अभी कॉस्टली पड़ता है। जोकि भविष्य में सस्ता हो जाएगा। रोबोटिक सर्जरी का सबसे अधिक फायदा पेशेंट को यह होता है कि वह 10 दिन के अंदर अस्पताल से डिस्चार्ज हो जाता है। जिसमें अभी एक-एक माह लग जाता है। 10 दिन के अदंर अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद वह अपने व्यवसाय को चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर सकता है।