आईआईटी के जीएसएमएसटी में होगी डीएम, एमसीएच की पढ़ाई, मेडिकल इक्विपमेंट भी बनेंगे
कानपुर(ब्यूरो)। आईआईटी में बन रहे गंगवाल स्कूल मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (जीएसएमएसटी) में डीएम और एमसीएच की पढ़ाई कराई जाएगी। कैंपस में इन दो कोर्सों को चलाने के लिए आईआईटी ने घोषणा की है। जीएसएमएसटी में देश में चल रहे मेडिकल कॉलेज की तरह परंपरागत तरीके से पढ़ाई नहीं होगी। यहां पर रोगों के निदान के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जाएगा। जीएसएमएसटी में कोर क्लीनिकल डिपार्टमेंट, ओपीडी और अस्पताल समेत सभी चीजों के लिए खाका तैयार कर लिया गया है।
सस्ते इंप्लांट होंगे डेवलप
आईआईटी के जीएसएमएसटी में रोगों के निदान के साथ न्यू टेक्नोलॉजी पर काम करने वाले मेडिकल इंक्विपमेंट और इंप्लांट डेवलप किए जाएंगे। कोशिश है कि मानव शरीर के ऐसे अंगों को विकसित किया जाए, जिससे ट्रांसप्लांट करके इंसान को जिंदा रखा जा सकेगा। यहां डेवलप होने वाले इंप्लांट्स विदेशों से इंपोर्ट होने वाले आने वाले इंप्लांट की अपेक्षा कम दाम का रखा जाएगा।
डाक्टर, इंजीनियर मिलकर
जीएसएमएसटी के डॉ। संदीप वर्मा ने बताया कि इस कॉलेज में डॉक्टर और इंजीनियर साथ मिलकर काम करेंगे। डॉक्टर रोगों के निदान के साथ साथ इंजीनियर्स से न्यू टेक्नोलॉजी वाले इक्यूपमेंट डेवलप करने की डिमांड करेंगे। जिस पर दोनों स्पेशलिस्ट साथ मिलकर काम करेंगे।
जीएसएमएसटी में होंगे यह काम
जीएसएमएसटी में मरीजों को टेलीमेडिसिन की सुविधा रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी के गठजोड़ से मिलेगी। इस अलावा रोगों के निदान में एआई का यूज किया जाएगा। स्कूल में कार्डियोवस्कुलर और कैंसर समेत कई बीमारियों के समाधान पर रिसर्च की जाएगी। इसके साथ साथ आर्थोपेडिक्स, प्रास्थेटिक्स, न्यूरोसाइंसेज, न्यूरोटेक्नोलॉजी, मेंटल हेल्थ, रेडियोडायग्नोसिस, ट्रॉपिकल एंड इंफेक्शियस डिसीज समेत डिसीज, चेकअप और उनसे जुड़ी चीजों पर काम होगा।
न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, कार्डियोलॉजी, कार्डियोवस्कुलर एंड थॉरेसिक सर्जरी, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी और ऑन्कोलॉजी आदि। ये डिपार्टमेंट मिलकर करेंगे काम
बीएसबीई, सीएसई, ईई, एमएसई, एमई, सीई, एनसीफ्लेक्स, केमिकल, मेहता फैमिली सीईएम, साइबर सिक्योरिटी, आईसीएमआर आदि। 450 बेड का होगा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल
जीएसएमएसटी में 450 बेड का अस्पताल होगा। उस अस्पताल का नाम यदुपति सिंहानिया सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल होगा। इसके अलावा 50 बेड का कैंसर केयर और रिसर्च के लिए सेंटर बनेगा। यहां कैंसर के मरीजों को रखा जाएगा। इसके अलावा कैंसर पर रिसर्च की जाएगी।
एकेडमिक के लिए एमओयू
स्कूल में एकेडमिक क्वालिटी को बेस्ट बनाने के लिए द यूनिवर्सिटी आफ मेलबर्न, इंपीरियल कॉलेज स्कूल आफ मेडिसीन और आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी से एमओयू हो चुका है। इसके अलावा ज्वाइंट फैकल्टी अप्वाइंटमेंट, ज्वाइंट प्रोजेक्ट और ज्वाइंट सुपरविजन में काम होगा। इसके अलावा यहां पर सेंटर आफ एक्सीलेंस भी खुलेगा जो कि एआई पर काम करेगा।
यहां पर क्लीनिकल काम के लिए क्लीनिकल एडवाइजरी कमेटी बन गई है। इस कमेटी में बेंगलूरु, मुंबई, तिरुअंतपुरम, कोलकाता, लखनऊ और कानपुर के डॉक्टर शामिल हैं।
दो साल के अंदर जीएसएमएसटी बनकर तैयार हो जाएगा। यहां पर रोगों के निदान के लिए रिसर्च के अलावा मेडिकल इंप्लांट भी डेलवप किए जाएंगे। इस दिशा में काम स्टार्ट भी हो गया है।
- डॉ। संदीप वर्मा, प्रोफेसर इंचार्ज, जीएसएमएसटी