एक्सीडेंट्स ने यंगस्टर्स में बढ़ाया डिसएबिलिटी का खतरा
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KANPUR:अगर किसी हादसे के बाद समय पर इलाज मिल जाए तो आपकी जिंदगी बचने के चांस बढ़ जाते हैं। लेकिन आप अपनी जिंदगी सामान्य तरह से जी पाएंगे, इसके चांसेज काफी कम होते हैं। क्योंकि एक्सीडेंटल केसेस में जान बचने के बाद भी डिसएबिलिटी होती है। इसे सही तरह से हैंडिल नहीं किया गया तो आगे भी बड़ी प्रॉब्लम्स होती रहती हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक रोड एक्सीडेंट्स की वजह से यंगस्टर्स में डिसएबिलिटी का खतरा अब पहले से ज्यादा बढ़ा है।
जान बचने पर भी मुश्िकलें हजार
एम्स दिल्ली के न्यूरो साइंस सेंटर में न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रो। मंजरी त्रिपाठी ने बताया कि एक्सीडेंट्स में घायल होने वालों में यंगस्टर्स की संख्या काफी ज्यादा है। जान बचने के बाद भी उनमें कई तरह की समस्याएं जीवन भर रह सकती हैं। याददाश्त कम हो जाना बड़ी समस्या है। वहीं कन्नौज मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल व सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट प्रो। नवनीत कुमार बताते हैं कि हादसे के बाद जान बचती है तो पेशेंट को नार्मल लाइफ जीने में मदद करने के लिए कई तरह की थेरेपी दी जाती हैं। फिजियोथेरेपी, म्यूजिक थेरेपी के अलावा रिहैब्लिटेशन के कई तरीके हैं, लेकिन लोग इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। जिससे पेशेंट की क्वालिटी ऑफ लाइफ खराब होती है।
हेड इंजरी या फिर लकवा मारने के बाद इसका शरीर पर बड़ा असर पड़ता है। मौजूदा दौर में इसके मामले तेजी से बढ़े हैं, लेकिन जान बचने के बाद पेशेंट की क्वालिटी ऑफ लाइफ बेहतर हो, इसके लिए जरूरी थेरेपीज की मदद लेनी चाहिए।
- प्रो। नवनीत कुमार, प्रिंसिपल कन्नौज मेडिकल कालेज