असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की राह कठिन
- कॉलेजों में क्वॉलीफाइड टीचर्स अप्वाइंट करने के लिए यूजीसी ने नॉर्म्स में किए हैं अहम बदलाव
- सिर्फ पीएचडी होल्डर्स नहीं बन सकेंगे डिग्री कॉलेज में टीचर, नेट क्वॉलिफाई करना भी होगा जरूरी KANPUR: असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का सपना देखने वालों की राह कठिन होने वाली है। साल 2021 से सिर्फ उन्हें ही डिग्री कॉलेज में टीचिंग का मौका दिया जाएगा जिनके पास नेट के साथ साथ पीएचडी की डिग्री भी होगी। सिर्फ पीएचडी करने वाले डिग्री कॉलेज में नहीं पढ़ा पाएंगे। यह नॉर्म्स यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन(यूजीसी) ने बनाए हैं। अब जो कैंडिडेट्स पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन कराएंगे उन्हें नेट भी क्लियर करना होगा तभी वह असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकेंगे। 20-30 परसेंट ही नेट क्वॉलीफाईयूजीसी का फोकस क्वॉलिटी एजूकेशन पर है। जिसके लिए वह प्रोफेशनल, काबिल और मोस्ट क्वॉलीफाइड टीचर्स को कॉलेजों में भेजना चाहती है। ताकि फ्यूचर में जो भी युवा शिक्षा ग्रहण करके निकले वह भी टैलेंटेड हों। यही वजह है कि यूजीसी ने नॉर्म्स में बदलाव किए हैं। बता दें कि सीएसजेएमयू यूनिवर्सिटी का दायरा सीतापुर, लखीमपुर खीरी, हरदोई, फर्रुखाबाद, कन्नौज, उन्नाव, रायबरेली, कानपुर, कानपुर देहात, औरैया, इटावा समेत 11 जिलों में फैला है। इन सभी जिलों को मिलाकर सीएसजेएमयू से करीब 1100 डिग्री कॉलेज संबद्ध हैं। इनमें 52 ऐडेड और 21 गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज हैं। अभी इन डिग्री कॉलेजों मेंें महज 20 से 30 परसेंट टीचर ही नेट क्वॉलिफाई हैं। बाकी पीएचडी होल्डर्स हैं।
---- वर्जन यूजीसी ने नेट के साथ साथ पीएचडी करने वाले कैंडिडेट को ही असिस्टेंट प्रोफेसर बनाने का नियम बनाया है। जो नेट क्लियर होंगे उन्हें पीएचडी भी पूरी करनी होगी तभी वह डिग्री कॉलेज में शिक्षक बन सकेंगे। यह नियम इयर 2021से लागू हो जाएगा। प्रो नीलिमा गुप्ता, वाइस चांसलर सीएसजेएमयू