अगर आपके परिवार का कोई व्यक्ति कई सालों से लापता है और आप उसकी तलाश कर करके हार गए हैैं. तमाम कोशिशों के बाद भी लापता हुए व्यक्ति का पता नहीं चल रहा है. पुलिस भी इनकी तलाश करते करते परेशान हो गई है लेकिन कहीं पता नहीं चल रहा है तो आप डेथ इनफार्मेशन नोटिफिकेशन सर्विस पर रजिस्ट्रेशन कराइए. हजारों परिवार की तलाश इस एप के जरिए या तो पूरी हुई है या तलाश खत्म हो गई है. अब तक ये एप सेंट्रल गर्वमेंट के खाते में था लेकिन यूपी में लगातार लोगों के लापता होने की संख्या बढ़ती जा रही है. लोगों को परेशान होता देख ये एप यूपी कॉप में शामिल किया गया है. इस एप में रजिस्ट्रेशन कराने के बाद आपको अपनों की जानकारी हो जाएगी. हो सकता है राहत मिले और हो सकता है कि आपकी तलाश खत्म हो जाए. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ये कतई नहीं चाहता कि आपको कोई दु:ख की खबर मिले.

कानपुर (ब्यूरो) पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक यूपी में 23700 लोगों की गुमशुदगी दर्ज है। वहीं कानपुर कमिश्नरेट और आउटर के थानों से 654 लोग लापता हैैं, जिनकी तलाश परिजन और पुलिस कर रही है, लेकिन सफलता नहीं मिली। इन्हें तलाशने के लिए परिवार वाले भी दिन रात एक किए हैैं।

इस तरह काम करता है एप
इस एप पर पूरे देश में हुई कैजुअल्टी का डाटा रहता है। सबसे पहले गूगल पर आपको एप का नाम डालना होगा। उसके बाद अपना अकाउंट बनाना होगा। अपने अकाउंट को लॉगिन करना होगा। इसमें यूज फुल लिंक एंड सपोर्ट नाम से एक फाइल मिलेगी। इसे खोलने पर जो भी जानकारी मांगी जाएगी, उसे भरना होगा। कुछ देर सर्च करने के बाद अगर आपके लापता हुए अपने जीवित हैैं तो उनकी जानकारी होगी और दुर्भाग्यवश अगर नहीं जीवित हैैं तो उनकी जानकारी भी दी जाएगी। जानकारी न मिलने की स्थिति में ये कतई न समझें कि कोई कैजुअल्टी हो गई होगी बल्कि हो सकता है कि लापता हुआ व्यक्ति जेल में हो या किसी और की गिरफ्त में हो।

ये जानकारी भरनी होगी एप में
लापता हुए अपने का नाम, हुलिया, कब लापता हुए? लापता हुए व्यक्ति की मानसिक स्थिति क्या है? लापता व्यक्ति की रिश्तेदारी कहां-कहां हैं? लापता हुई तिथि से रजिस्टर करने वाली तिथि तक कहां कहां तलाश की गई? किस- किस एजेंसी की मदद ली गई? एजेंसी की प्रोगे्रेस रिपोर्ट, किस- किस अधिकारी ने काम किया।
अब तक इस तरह होती थी तलाश
वर्तमान में लापता हुए लोगों की तलाश के लिए संबंधित थाने में एक प्रार्थना पत्र देना पड़ता था। साथ में तमाम आकार की कई तस्वीरें देनी होती थी। इन तस्वीरों को आसपास के जिलों के थानों में भेजा जाता था। जहां हादसे में मृत लोगों की तस्वीरों सेे मिलान कराया जाता है। स्थानीय स्तर पर चौकी का इंचार्ज भी लापता की तलाश करता है। डीसीआरबी और एनसीआरबी में तस्वीर भेजकर तलाश कराया जाता है। इसके बाद पोस्टर लगाकर सार्वजनिक रूप से ऐलान किया जाता है।

यूपी कॉप को तकनीकी रूप से मजबूत किया जा रहा है। जिसे लेकर इसमें डेथ इनफार्मेशन (नोटिफिकेशन) सर्विस एप शामिल किया गया है, जिससे पुलिस के साथ-साथ आम आदमी को भी फायदा होगा।
अनूप कुमार सिंह, एसपी टेक्निकल सर्विस

इस तरह काम करता है एप
-इस एप पर पूरे देश में हुई कैजुअल्टी का डाटा रहता है
-सबसे पहले गूगल पर आपको एप का नाम डालना होगा
-एप को डाउनलोड कर अपना अकाउंट बनाना होगा
-डिटेल भरकर अपने अकाउंट को लॉगिन करना होगा
-इसमें यूज फुल लिंक एंड सपोर्ट नाम से एक फाइल मिलेगी
-इसे खोलने पर जो भी जानकारी मांगी जाएगी, उसे भरना होगा
-इसके बाद आपको अपनों की जानकारी मिल जाएगी
-जानकारी न मिलने पर ये न समझें कि कोई कैजुअल्टी हो गई होगी
-हो सकता है लापता हुआ व्यक्ति जेल में हो या किसी की गिरफ्त में

Posted By: Inextlive