Dengue in Kanpur: रंग बदलकर धोखा देता है ये मच्छर
कानपुर (ब्यूरो)। एक मच्छर की चुनौती का सामना करना करने के लिए कैसे दर्जन भर से ज्यादा विभाग हर साल तैयारी करते हैं और फिर भी हार जाते हैं। आखिर क्या है ऐसा जो मच्छर के सामने विभाग यूं घुटने टेक देते हैं। तो आपको बता दें कि ये मच्छर है ही इतना शातिर। ये रंग बदलकर धोखा देने में माहिर है। जब तक इसके एक रंग(स्ट्रेन) को पहचान कर बचाव की रणनीति तैयार होती है, ये स्ट्रेन बदलकर हमला कर देता है। मच्छर से होने वाला जानलेवा डेंगू के वायरस की बात करें तो बीते पांच सालों में यह कई बार बदल(म्यूटेट) हो चुका है। स्ट्रेन को पहचानने के बाद ही इससे बचने की रणनीति तैयार होती है।
किसी भी मौसम में
डेंगू के वायरस के बार बार म्यूटेट होने के कारण ही कुछ साल पहले सिर्फ बरसात के मौसम में डेंगू के आने वाले केस अब अधिक गर्मी व अधिक ठंड को छोड़ सभी मौसम में दिखाई देने लगे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक इसका मुख्य कारण बीते कुछ सालों में हुए वातावरण में बदलाव है। अगर हम पांच साल पहले की बात करें तो वातावरण सामान्य था। यानि चार माह गर्मी, चार माह सर्दी और चार माह मोटे-मोटे बरसात के होते थे। जबकि वर्तमान में बिना मौसम बरसात, गर्मी औ ठंड देखने को मिलती है। यही कारण है कि डेंगू के स्ट्रेन में बदलाव देखने को मिल रहा है।
शॉक सिंड्रोम सबसे खतरनाक
एक्सपर्ट डॉक्टर्स के मुताबिक डेंगू के वायरस की गंभीरता को भी मेडिकल की भाषा में तीन प्रकार में बांटा गया है। जिसमें पहला डेंगू फीवर, दूसरा डेंगू हेमोरेजिक फीवर और तीसरे को डेंगू शॉक सिंड्रोम कहते हैं। डेंगू शॉक सिंड्रोम अधिक खतरनाक होता है। जिसमें पेशेंट शॉक में चल जाता है। प्लेटलेट्स भी काफी गिर जाती हंै। जिसके बाद मसूड़ों से ब्लीडिंग होने की आशंका काफी बढ़ जाती है।