डेंगू...नाम सुनते ही डरना लाजिमी है. बस इसी का फायदा प्राइवेट सेंटर उठाते हैं. अवेयरनेस की कमी के चलते लोग आसानी से इनके झांसे में आ जाते हैं. फिर ये डेंगू के ट्रीटमेंट और जांच के नाम पर मोटी कमाई करते हैं. शहर में ये गोरखधंधा काफी लंबे समय से चल रहा है और जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते खूब फल-फूल भी रहा है. लेकिन हैरानी की बात है कि इसके बाद भी जिम्मेदार आंखें मूंदे बैठे हैं. बताते चलें कि डेंगू का डर दिखाकर जांच व ट्रीटमेंट के नाम पर चार से पांच दिन में ही हजारों रुपए पेशेंट के अटेंडेंट से वसूल लिए जाते हैं. जबकि डॉक्टर्स का मानना है कि डेंगू के वायरस का असर अपने समय अनुसार व नॉर्मल दवाओं से चला जाता है.

कानपुर (ब्यरो)। डेंगूनाम सुनते ही डरना लाजिमी है। बस इसी का फायदा प्राइवेट सेंटर उठाते हैं। अवेयरनेस की कमी के चलते लोग आसानी से इनके झांसे में आ जाते हैं। फिर ये डेंगू के ट्रीटमेंट और जांच के नाम पर मोटी कमाई करते हैं। शहर में ये गोरखधंधा काफी लंबे समय से चल रहा है और जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते खूब फल-फूल भी रहा है। लेकिन हैरानी की बात है कि इसके बाद भी जिम्मेदार आंखें मूंदे बैठे हैं। बताते चलें कि डेंगू का डर दिखाकर जांच व ट्रीटमेंट के नाम पर चार से पांच दिन में ही हजारों रुपए पेशेंट के अटेंडेंट से वसूल लिए जाते हैं। जबकि डॉक्टर्स का मानना है कि डेंगू के वायरस का असर अपने समय अनुसार व नॉर्मल दवाओं से चला जाता है।

डरना है, लेकिन घबराना नहीं
डिस्ट्रिक्ट मलेरिया ऑफिसर डॉ। एके सिंह ने बताया कि डेंगू जानलेवा बीमारी नहीं है, लेकिन समय से बेहतर डॉक्टर्स से ट्रीटमेंट कराया जाए। उन्होंने बताया कि डेंगू जानलेवा तब होता है, जब समय रहते ट्रीटमेंट न कराया जाए। अशिक्षित व आउटर के लोगों में अवेयरनेस कम होती है। लिहाजा, वह बुखार आने के बाद कई दिनों तक झोलाछाप से दवा लेते रहते हंै। झोलाछाप एंटीबायोटिक दवा दे देते हंै, जो डेंगू में खतरनाक होती है। इसलिए डेंगू से डरना है, लेकिन घबराना नहीं है।

हैलट और उर्सला में फ्री में होती डेंगू की जांच
डेंगू की जांच के नाम पर भी सिटी में बड़ा खेल होता है। जितना बड़ा सेंटर, जांच का उतना अधिक पैसा पेशेंट से वसूल किया जाता है। सिटी के प्राइवेट सेंटर्स में डेंगू के केस अधिक निकलने पर जांचों के रेट भी बढ़ जाते हंै। जबकि यह जांच हैलट व उर्सला में फ्री होती है। वहीं प्राइवेट सेंटर्स में डेंगू के जांच के लिए 1500 से 2200 रुपए तक वसूल किया जाता है। डेंगू के डर की वजह से पेशेंट जल्द से जल्द जांच रिपोर्ट मिल जाए। इसके लिए प्राइवेट सेंटर्स में करा लेता है। जबकि हैलट व उर्सला में जांच रिपोर्ट दूसरे दिन मिलती है।


डेंगू के शुरुआती लक्षण
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ। एसके गौतम ने बताया कि डेंगू के शुरुआती लक्षण में पेशेंट को पेट दर्द, उल्टी या मल से खून आना, मसूड़ों या नाक से खून आना, बार-बार उल्टी आना या थकान व बेचैनी होना शामिल है। अगर किसी व्यक्ति में इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत एक्सपर्ट डॉक्टर से चेकअप करा लेना चाहिए।

कैसे जाने आपको डेंगू तो नहीं
डॉक्टर्स के मुताबिक, बरसात के मौसम में तेज बुखार 104 डिग्री आना और हड्डियों के ज्वाइंट में दर्द होने के साथ शरीर में अधिक दर्द हो, इसके अलावा दवा खाने के चार घंटे बाद दोबारा बुखार आ जाए तो आप हैलट व उर्सला हॉस्पिटल में जाकर डॉक्टर्स को दिखाकर निशुल्क डेंगू की जांच करा सकते हैं।

डेंगू में क्या जांच होती है
खून में एंटीजन की उपस्थित या अनुपस्थिति के लिए डेंगू एनएस 1 एंटीजन टेस्ट किया जाता है। एनएस 1 डेंगू वायरस के पैदा किए गए एक टॉक्सिन और प्रोटीन है। यह टॉक्सिन किसी संक्रमित व्यक्ति के खून में मौजूद होता है। जांच में पुष्टि होने पर उसमें डेंगू की पुष्टि हो जाती है।

Posted By: Inextlive