मौत को तो 'सेटलÓ कर दिया खाकी के पापों का क्या होगा
कानपुर (ब्यूरो) सवालों की गुत्थी नवाबगंज पुलिस और रमन नेमानी की मिलीभगत के बाद भी नहीं सुलझ पा रही है। मंगलवार को राज्य महिला आयोग की सदस्य पूनम कपूर और रंजना शुक्ला वन स्टाप सेंटर (आशा ज्योति केंद्र) पहुंची। जहां उन्होंने तैनात कर्मचारी राबिया, अर्चना, रुचिता और मीनाक्षी के बयान दर्ज किए। उन्होंने बताया कि वे अपनी रिपोर्ट डीएम और महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम को सौंपेंगी। वहीं वन स्टॉप सेंटर के रजिस्टर में कहीं भी सुदामा की इंट्री नहीं मिली। इसके बाद भी खाकी खामोश है।
पूरी तरह से अवैध थी हिरासत
राज्य महिला आयोग की सदस्य पूनम कपूर ने बताया कि शनिवार रात में ड्यूटी पर माया वर्मा तैनात थीं। रात ढाई बजे के आसपास नवाबगंज थाने से सबइंस्पेक्टर आलोक कुमार एक महिला सिपाही के साथ सुदामा को लेकर वन स्टॉप सेेंटर पहुंचे थे। उन्होंने माया वर्मा को थाने का कागज थमाया और सुदामा को रखने के लिए कहा। माया ने बिना अधिकारी या कोर्ट के आदेश के रखने से मना कर दिया। इस पर सब इंस्पेक्टर ने जबरदस्ती सुदामा को अंदर कर दिया और चला गया।
चल नहीं पा रही थी सुदामा
नाम न छापने की शर्त पर बताया गया कि सुदामा जब वन स्टॉप सेंटर आई थी तो चल नहीं पा रही थी। इतना ही नहीं उसके चेहरे से पुलिस की दहशत साफ दिखाई दे रही थी। पूनम कपूर ने बताया कि पुलिस ने अवैध तरीके से सुदामा को वन स्टॉप सेंटर में रखा था। दरअसल यहां केवल पॉक्सो और दहेज के मामलों से संबंधित महिलाओं को रखा जाता है। जिले के महिला थाने में सुदामा को रखा जाना चाहिए था, लेकिन पुलिस ने अपनी बला टालने के लिए सुदामा को वन स्टॉप सेेंटर में रखा।
पुलिस कितना भी पिटाई के लिए मना करती रहे लेकिन असलियत यही है कि पिटाई और मेंटल टॉर्चर की वजह से सुदामा दहशत में थी। उसे डर था कि कहीं उसे अगले दिन भी न पीटा जाए। साथ ही ये भी कहा गया था कि पूरे परिवार को बंद कर देंगे। इस पिटाई से बचने और अपने पति व चार बच्चों को सेफ रखने के लिए सुदामा ने टॉयलेट जाने के दौरान साड़ी का फंदा एग्जास्ट से बांधकर जान दे दी।
पूरी रात बनाया प्लान, 5 मिनट में दिया अंजाम
वन स्टॉप सेंटर की मैनेजर और मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता राबिया सुल्ताना के मुताबिक, स्टाफ ने बताया है कि महिला रात भी बाथरूम जाती रही। करीब आठ से दस बार वह बाथरूम में गई। जो घटना सामने आई है, उससे लग रहा है कि वह आत्महत्या की योजना बनाने के लिए ही बार-बार जा रही थी। आखिरी बार सुबह साढ़े नौ बजे वह बाथरूम के अंदर घुसी। 5 मिनट से ज्यादा वक्त के बाद भी बाहर न निकलने पर महिला पीआरडी जवान ने दरवाजा खटखटाया। अंदर से जवाब नहीं मिला तो उसने दरवाजा खोला। अंदर महिला एग्जास्ट पंखे के कुंडे से फांसी की फंदा लगाकर आत्महत्या कर चुकी थी।
रमन नेमानी जिनके घर से 25 लाख रुपये के जेवर चोरी हो गए थे। इस चोरी की जानकारी पुलिस को देना रमन नेमानी की जिम्मेदारी थी, इसके बाद कार्रवाई की जिम्मेदारी पुलिस की थी। लेकिन ये पूरी वारदात रमन नेमानी के लिए बहुत परेशानी वाली थी। पुलिस ने अपना दामन बचाने के लिए नेमानी से चारों बच्चों के खाते मेें ढाई-ढाई लाख रुपये डलवा दिए और पुलिस के कहने से ही 50 हजार रुपये अंतिम संस्कार के लिए भी दिए।
मामले में उठ रहे ये सवाल
- 17 अप्रैल की चोरी की वारदात लेकिन मुकदमा नौ मई को दर्ज किया?
- मीडिया के सामने मृतका के परिजनों को क्यों नहीं लाए गया?
- आखिर मामले में कौन सा सच छिपा रही है पुलिस?
- चोरी के पीडि़त से ही 10 लाख रुपए क्यों दिलवाए?
- 25 लाख की चोरी के मामले में पुलिस या पीडि़त, कौन रहा लापरवाह?
- मृतका को अवैध तरीके से क्यों हिरासत में लिया गया?
- क्या मजबूरी थी जो पुलिस ने सुदामा को महिला थाने में नहीं रखा?
- बताया गया कि मृतका के ससुराल पक्ष के लोग उसे लेने नहीं आए
-जबकि पंचायतनामा व पोस्टमार्टम के दस्तावेज में परिजनों के हस्ताक्षर हैं।
- किशोरी के सामने पुलिस ने उसकी मां से अभद्रता और पटे से पिटाई क्यों की?