साइकिल चलाना एनवायरमेंट के लिए बेहतर है. साइकिलिंग बॉडी को फिट रखने का भी काम करती है. साइकिलिंग से होने वाले इन बेनीफिट्स को तो हम अक्सर सुनते रहते हैं लेकिन पदमश्री प्रो. किरण सेठ की सोच इन सब तथ्यों से ऊपर है.

कानपुर (ब्यूरो)। साइकिल चलाना एनवायरमेंट के लिए बेहतर है। साइकिलिंग, बॉडी को फिट रखने का भी काम करती है। साइकिलिंग से होने वाले इन बेनीफिट्स को तो हम अक्सर सुनते रहते हैं लेकिन पदमश्री प्रो। किरण सेठ की सोच इन सब तथ्यों से ऊपर है। वह साइकिलिंग को मेडिटेशन मानते हैं। उनका कहना है कि साइकिल चलाते समय आप शांत रहें और किसी से बातचीत न करें। यदि आप ऐसा करते हैं तो साइकिलिंग आपको मेडिटेशन की फिलिंग देगी। इनका कहना है कि साइकिलिंग आपके तन, मन और धन को हेल्दी रखेगी। आईआईटी दिल्ली से रिटायर्ड प्रोफेसर और स्पिक मैके के फाउंडर प्रो। सेठ संडे को सीएसजेएमयू कैंपस आए। उन्होंने दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से खास बातचीत में साइकिलिंग से जुड़े अपने एक्सपीरियंस शेयर किए।

13500 किमी साइकिल से की जर्नी

आज के समय में जब स्कूली स्टूडेंट्स साइकिल से तौबा कर चुके है। साइकिलिंग को निम्न स्तर का मानने की वजह से वह मोटरसाइकिल से फर्राटा भर रहे हैं। उसी युग में 75 वर्षीय पद्मश्री प्रो। किरण सेठ ने 13500 किमी की जर्नी साइकिल से पूरी की है। प्रो। किरण ने बताया कि 15 अगस्त 2022 को श्रीनगर से अपनी साइकिल जर्र्नी को शुरू किया था, जो कन्याकुमारी, मुंबई, नागपुर, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड, बंगाल, असम से बिहार होते हुए इस समय यूपी में है। यहां से अब वह दिल्ली जा रहे हैं।

डायरिया हुआ फिर जारी रहा सफर

प्रो। किरण सेठ ने अपनी साइकिलिंग जर्नी के दौरान रास्तों में आए चैलेंजेज को भी शेयर किया। उन्होंने बताया कि एक समय उनको डायरिया हुआ, जो ट्रीटमेंट के बाद ठीक हो गया। इसके बाद सतपुरा क्रॉस करते समय घुटने के दर्द आदि से परेशान किया। अलीगढ़ में घुटनों तक पानी भरा हुआ मिला। प्रो। सेठ ने बताया कि इन सब बाधाओं के बाद भी 75 साल की उम्र में उन्होंने अपनी साइकिल जर्नी को नहीं रोका। उनकी जर्नी आज भी जारी है।

'सिंपल लिविंग हाई थिकिंगÓ को जीवन में उतारना होगा.

अपने साइकिल जर्नी के एक्सपीरियंस को शेयर करते हुए उन्होंने कहा कि तब वह सड़कों और हाइवे से गुजरते हैैं तो प्लास्टिक के ढेर दिखते हैैं। फूड और वाटर वेस्ट होते नजर आता है। प्रो। सेठ का कहना है कि ऐसा अगर लंबे समय तक चलता रहा तो पृथ्वी सपोर्ट नहीं कर पाएगी। वेस्टफुल सोसाएटी से बचने के लिए महात्मा गांधी के सिंपल लिविंग हाई थिकिंग के वाक्य को जीवन में उतारना होगा।

कौन हैं प्रो। किरण सेठ?

किरण सेठ (जन्म 1949) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली में पूर्व प्रोफेसर और प्रोफेसर एमेरिटस हैं, जिन्होंने 1976 से वहां ऑपरेशन रिसर्च के क्षेत्र में शिक्षण और अनुसंधान किया है। उन्हें स्पिक मैके (1977) के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। 2009 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनके पिता भोजराज सेठ एक गणितज्ञ थे और 1951 में स्थापित आईआईटी खडग़पुर के पहले प्रोफेसर थे, जबकि उनकी मां भगवती सेठ एक गृहिणी थीं।

क्या है स्पिक मैके?

स्पिक मैके एक गैर-लाभकारी संगठन है जो दुनिया भर के युवाओं के बीच भारतीय शास्त्रीय संगीत, भारतीय शास्त्रीय नृत्य, लोक रूपों, योग और ध्यान, पारंपरिक हथकरघा और हस्तशिल्प, सिनेमा क्लासिक्स और भारतीय संस्कृति के अन्य पहलुओं को बढ़ावा देता है। सम्मेलनों, बैठकों, व्याख्यान प्रदर्शनों और संगीत समारोहों के माध्यम से भारत में लगभग 500 शहरों और विदेशों में लगभग 50 में सालाना लगभग 5000 कार्यक्रम करता है।

Posted By: Inextlive