-सामान की पेमेंट के लिए क्यूआर कोड स्कैन करते ही अकाउंट खाली

-साइबर थाने में स्टाफ की कमी, एफआईआर लिखने वाले तक नहीं

KANPUR (6 Oct):

अगर आप अपनी पुरानी कार, सोफा, फ्रिज या कोई भी सामान बेचने के लिए ऑनलाइन प्रोसेस करना चाहते हैं तो सावधान रहिए। क्योंकि आपकी मेहनत की कमाई पर सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठे ठग निगाह रखे हैं। जरा सी असावधानी आपके अकाउंट को चंद लम्हों में खाली कर सकती है। डेस्कटॉप से ज्यादा मोबाइल पर सोशल मीडिया यूज करने वाले लोगों की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है। इन्हीं यूजर्स पर साइबर ठगों की नजरें है। सस्ता सामान खरीदने और बेचने का एड देकर यह लोग सोशल मीडिया यूजर्स की जानकारी हासिल कर लेते हैं। फिर बैंक अकाउंट से रकम निकाल लेते हैं।

क्यू आर कोड स्कैन का खेल

साइबर ठग खुद को बैंक आफिसर बता कर अकाउंट डिटेल हासिल कर वारदातें कर रहे थे। लेकिन लोग अवेयर हुए तो इनकी दाल गलना कम हो गई। इसे देखते हुए साइबर ठगों ने अपना ट्रेंड बदल दिया है। पेशेवर इन दिनों क्यूआर कोड को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके जरिए जालसाज कस्टमर को आसानी से फांस रहे हैं। उन्हें कस्टमर बनकर भुगतान के लिए क्यूआर कोड भेजकर स्कैन करने को कहते हैं। क्यूआर कोड स्कैन करते ही खाते में मौजूद रकम साइबर शातिर के खाते में झटके में पहुंच रही है। लिहाजा कोई व्यक्ति आपसे क्यूआर कोड स्कैन करने को कहे तो सावधान हो जाइए। क्यूआर कोड रकम के भुगतान में ही सिर्फ इस्तेमाल होता है, रकम प्राप्त करने के लिए नहीं।

ठगी के लिए यह तरीके चलन में

1. कैसे शुरू होता है पूरा खेल?

घर में पुराने फ्रिज, कूलर, सोफा, बेड आदि बेचने के लिए कई साइट और एप का इस्तेमाल किया जाता हैं। इसके जरिए कस्टमर लोगों से संपर्क साधते हुए सामान की कीमत तय करते हैं। जैसे ही सेलर से रिस्पांस मिलने लगता है, साइबर शातिर एक्टिव हो जाते हैं। अग्रिम राशि के रूप में कुछ रुपए भी सेलर को शिकार बनाने के लिए उनके बैंक अकाउंट में भेज देते हैं। इसके बाद सामान खरीदने के लिए बची हुई रकम को देने का असली खेल शुरू होता है। यही वह समय है जब साइबर शातिर झटके में सेलर के खाते की सारी रकम अपने खाते में ट्रांसफर कर लेता है। ये सब झटके में हो जाता है। सेलर ने क्यूआर कोड को स्कैन किया नहीं कि पल में वह लुट जाता है।

सुझाव और बचाव के तरीके

- क्यूआर कोड केवल रकम के भुगतान में इस्तेमाल होता है।

- इस कोड की स्कैनिंग से लोगों को बचना चाहिए।

- संदिग्ध पते से आई ई-मेल, व्हाट्स एप मेसेज, टेक्स्ट मेसेज का जवाब ही नहीं दें।

-सोशल मीडिया पर मिले लिंक पर क्लिक करने से पहले चेक कर लें।

- अनजान लोगों से मिले कोई भी लिंक को एकसेप्ट ना करें

- न ही क्यूआर कोड को स्कैन करें।

- साइबर कैफे में इंटरनेट बैंकिंग का यूज कतई ना करें।

- गूगल पर हेल्पलाइन नंबर कभी सर्च ना करें

- अपडेटेड वर्जन के साफ्टवेयर का इस्तेमाल करें पायरेटेड नहीं

- वेबसाइट पर लॉगआन करते हैं तो लॉगआउट करना नहीं भूलें

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2 - फेसबुक मैसेंजर पर मांगते रुपए

फेसबुक मैसेंजर पर आपके किसी रिश्तेदार या दोस्त का मैसेज आए और वो ये कहे कि मैं आपका दोस्त बोल रहा हूं। हाल खबर लेने के बाद अगले संदेश में गूगल पे या पे फोन इस्तेमाल करने की जानकारी की जाएगी। इसके बाद शातिर ठग शाम तक के लिए 10 हजार रुपए मांगेगे। इतना ही नहीं एक अकाउंट नंबर भी दिया जाएगा। जिस पर रकम ट्रांसफर करने के लिए कहा जाएगा। आप झांसे में आकर रकम ट्रांसफर कर देते हैं जबकि आपको बिना देर किए उस व्यक्ति से बात करनी चाहिए जो आपका मिलने वाला है।

ये बरतें सावधानियां

- अगर आपको कोई पुलिसकर्मी या अनजान रिक्वेस्ट आए तो पहले पूरी जांच कर ले। अंजान लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करने से बचें।

- कॉमन फ्रेंड को क्रास चेक कर लें कि जिसकी रिक्वेस्ट आई है उसमें से आप किसी को जानते हैं या नहीं।

- मैसेंजर की बातचीत के दौरान किसी को पैसों की लेनदेन ना करें -अगर आपको कोई इस प्रकार से मैसेज भेज रहा है तो तुरंत उस का स्क्रीन शॉट लेकर संबंधित व्यक्ति तक पहुंचाने का प्रयास करें।

- इसकी तत्काल सूचना पुलिस और साइबर क्राइम कंट्रोल टीम को दें।

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इनफोग्राफिक्स

कुल शिकायतें- 784

रिफंड कराई गई रकम - 22 लाख 44 हजार

इस साल हुई ठगी- दो करोड़ रुपए

साइबर क्राइम थाने में दर्ज मुकदमे- 9

कुल स्टाफ- 3 एचसीपी

कम्प्यूटर ऑपरेटर - शून्य

Posted By: Inextlive