कोयल के 5000 किलोमीटर के सफ़र पर नज़र
इन वैज्ञानिकों ने इन पक्षियों के पैरों से उपकरण लगा दिए थे ताकि सैटेलाइट के ज़रिए उनके उड़ान के रास्ते को जाना जा सके। वैज्ञानिकों की इस टीम ने जून महीने में इन पक्षियों को पकड़ा और ये उपकरण लगाए ताकि उनकी उड़ान के रास्तों पर नज़र रखी जा सके। अब ये पांचों कोयल अफ्रीका पहुंच गई हैं। इन पांच कोयलों ने अपनी यात्रा ईस्ट एग्लिया से शुरु की थी और अब ये 3000 किलोमीटर की दूरी पर महाद्वीप में फैल चुकी हैं।
कोयल पर जो ये उपकरण लगाए गए हैं वह अपने आप हर दो दिनों में एक बार दस घंटे के लिए अपने आप ही चालू हो जाते हैं। ये उपकरण रेडियों सिग्नल के ज़रिए इन पक्षियों के ठिकानों के बारे में जानकारी देता है। सैटेलाइट के ज़रिए उपलब्ध हो रही इस जानकारी से अब ट्रस्ट के दफ़्तर में बैठ कर ही ये वैज्ञानिक इन पक्षियों की यात्रा के बारे में जानकारी एकत्र कर रहे हैं।
प्रजनन की चिंतापक्षियों पर नज़र रख रही टीम के अध्यक्ष डॉक्टर ह्यूसन ने बीबीसी को बताया, "अब हम पक्षियों पर लगे उपकरणों के ज़रिए ताज़ा जानकारी हासिल कर सकते हैं। अब हम इन पक्षियों के बारे में तस्वीरों के द्घारा भी जान सकते है कि वह आख़िर है कहां."
डॉक्टर ह्यूसन का कहना है,"चार पक्षी पहले ही सहारा पार कर चुके हैं, दो दक्षिणी चाड़, एक उत्तरी नाइजीरिया और चौथा बरकिना फासो तक पहुंच चुका है। लेकिन इनमें से एक कोयल पीछे है जो अभी तक केवल मॉरक्को तक पहुंची है."लेकिन इन वैज्ञानिकों को इस बात का डर था कहीं सहारा पार करते वक्त इनकी मौत न हो जाए। ये देखा गया है कि सहारा के रेगिस्तान से गुज़रते वक्त पक्षियों की मौत हो जाती है लेकिन अब ये वैज्ञानिक खुश हैं इन सब पक्षियों ने सहीसलामत सहारा पार कर लिया है।वैज्ञानिकों की ये टीम ये पता लगाना चाहती है कि ये पक्षी किस तरह के वातावरण में आश्रित रहते हैं और ये खाने के लिए कहां रुकते हैं।डॉक्टर ह्यूसन का कहना है, "इन प्रवासी पक्षियों की प्रजनन की जगह के साथ-साथ जाड़ो के मौसम में रहने की भी जगह होती है बल्कि उड़ान के वक्त भी उनकी अलग-अलग ठहरने की जगह होती है जहां वह समय बिताते हैं." अब इन वैज्ञानिकों को ये चिंता है कि ब्रिटेन और यूरोप अब गर्म हो रहा है तो इन पक्षियों को अपने प्रजनन के क्षेत्र में वापस लौट आना चाहिए।
डॉक्टर का ह्यूसन का कहना है, "अगर हमें ये पता नहीं चल पाता है कि ये पक्षी कहा हैं, तो हमें ये नहीं पता चल पाता की इन पक्षियों की ब्रिटेन वापसी में कहां समस्या आ रही है."