नैक ग्रेडिंग कराने वाली पहली एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी बनी सीएसए
कानपुर (ब्यूरो) सीएसए एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने रिसर्च वर्क, फैसिलिटीज, एक्सपर्ट फैकल्टी की बदौलत यह उपलब्धि हासिल की है। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डा। डीआर ङ्क्षसह का कहना है कि नैक ग्रेङ्क्षडग के लिए यूनिवर्सिटी ने पूरी तैयारी कर अप्लाई किया था। नैक की टीम ने 27 से 29 जून के बीच परिसर में कई मानकों पर परीक्षण व मूल्यांकन किया। पुराने स्टूडेंट्स और वर्तमान स्टूडेंट्स से बातचीत की। इसके साथ साइंटिस्ट और टीचर्स से बात कर टीचिंग क्वालिटी को चेक किया। रिसर्च और अन्य गतिविधियों के बारे में भी जानकारी ली। नैक की टीम ने पूरा परीक्षण करने के बाद पांच जुलाई को ग्रेड जारी कर दिया।
यूजीसी से बजट की उम्मीद
वीसी डॉ। डीआर सिंह ने बताया कि नैक मान्यता मिलने के बाद अब नेशनल इंस्टीट््यूशनल रैंङ्क्षकग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) से मान्यता लेने के लिए तैयारी करने का फैसला लिया है। मीडिया प्रभारी डा। खलील खान ने बताया कि नैक से ग्रेड मिलने के बाद सीएसए को यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन से बजट मिलने की पूरी संभावना है। यूजीसी विभिन्न रिसर्च के लिए यूनिवर्सिटी को प्रोजेक्ट व बजट दे सकता है।
असंतुष्ट होने पर दोबारा
यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की गुणवत्ता के आधार पर नैक से चार साल के लिए ग्रेड दिए जाते हैं। चार साल बाद फिर से रेङ्क्षटग दी जाती है। नैक ने अस्थायी ग्रेड देने की भी व्यवस्था की है। इसके तहत दो साल के लिए ग्रेड दी जाएगी। अगर कोई कालेज प्रबंधन ग्रेड से संतुष्ट नहीं है तो छह महीने में कमियों को दूर करके दोबारा निरीक्षण करवा सकता है। लेकिन इसके लिए 10 हजार का शुल्क जमा करना होगा। इसके तहत ये ग्रेड सिर्फ दो साल के लिए मान्य होगी।
नैक रेङ्क्षटग से स्टूडेंट््स को शिक्षण संस्थान के बारे में सही जानकारी मिलती है। छात्रों को संस्थान के बारे में शिक्षा की गुणवत्ता, अनुसंधान, बुनियादी ढांचा और संसाधन जैसी जानकारी हासिल करने में आसानी होती है। नैक ग्रेङ्क्षडग के जरिए छात्र अपने लिए बेहतर कालेज तलाश कर सकते हैं। इतना ही नहीं, नैक ग्रेड शिक्षण संस्थानों की दी गई डिग्रियों का मूल्य भी निर्धारित करते हैं।