गंगा में करोड़ों खर्च, फिर भी दामन पर गंदगी के ‘दाग’
कानपुर (ब्यूरो) पिछले कई सालों से गंगा को अविरल बनाने के लिए अभियान चल रहा है। शहर के अलग-अलग हिस्सों पर लगते 19 नालों में 14 नालों को बंद भी कर दिया गया है। हालांकि बीच-बीच में बंद नाले भी गिरते रहते हैं। नालों को बंद करने के लिए लगभग 1500 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो गए हैं। बावजूद अब भी कई नाले ऐसे हैं, जिनमें आए दिन नालों का दूषित पानी सीधे गंगा में गिर रहा है। वहीं, दूसरी तरफ, नगर निगम नालों को बायोरेमिडेशन पद्धति से दूषित पानी को ट्रीट करके गंगा में डालने का दावा कर रहा है।
61 करोड़ की अभी भी डिमांड
वहीं, रानीघाट, सत्ती चौरा नाला, गोला घाट नाला, मैस्कर घाट नाला, रामेश्वर घाट नाले से भी दूषित पानी गंगा में गिर रहा है। बता दें कि पांच नालों को बंद करने के लिए जल निगम ने तीन साल पहले 48 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा था। मंहगाई बढऩे के बाद अब यह 61 करोड़ रुपये हो गया है। मामला नगर विकास मंत्री के समक्ष भी रखा गया, लेकिन आज तक धनराशि नहीं मिली है। जल निगम का कहना है कि यह धनराशि मिल जाए तो नालों को बंद कर दिया जाए।
कॉमन सीवेज पंंपिंग स्टेशन और शीतला बाजार से नाले का दूषित पानी गंगा में गिरते हुए पाया गया है। जल निगम के अधिकारियों को पानी रोकने के लिए कहा गया है।
अमित मिश्रा, रीजनल ऑफिसर, यूपीपीसीबी