खून पतला करने की दवा से बचाई कोरोना पेशेंट्स की जान
- एलएलआर हॉस्पिटल के न्यूरो कोविड आईसीयू में क्रिटिकल पेशेंट्स की जान बचाने में काम आई डॉक्टर्स की तरकीब
KANPUR: एलएलआर हॉस्पिटल में कानपुर के सबसे बड़े लेवल-3 कोविड आईसीयू में पेशेंट्स का रिकवरी रेट बढ़ कर 53 परसेंट तक पहुंच गया है। यहां के डॉक्टर्स का दावा है कि यूपी में लेवल-3 के किसी भी कोविड आईसीयू में यह सबसे बेहतर रिकवरी रेट है। वहीं इस रिकवरी रेट को पाने में डॉक्टर्स ने कई के जतन किए। कोरोना के क्रिटिकल पेशेंट्स की जान बचाने के लिए इलाज में कई तरह के बदलाव किए गए। मरीजों के तीमारदारों की सहमति से कई दूसरी बीमारियों में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं भी दी गई। जिससे काफी क्रिटिकल पेशेंट्स की हालत में सुधार हुआ और उनकी जान बच सकी। डॉक्टर्स ने कोरोना पेशेंट्स को हार्ट डिसीज के मरीजों को दी जाने वाली खून पतला करने की दवा इकोस्प्रिन का भी इस्तेमाल किया। डॉक्टर्स का दावा है कि इससे कोरोना पेशेंट्स के लंग्स में खून के थक्के नहीं बन सके। जिससे उन्हें रिकवर होने में काफी मदद मिली।
क्यों पड़ी इकोस्प्रिन की जरुरतन्यूरो कोविड आईसीयू के नोडल अफसर व मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ.प्रेम सिंह बताते हैं कि आईसीयू में भर्ती होने वाले क्रिटिकल कोविड पेशेंट्स के लंग्स का सीटी स्कैन कराने में उनके लंग्स व उसकी ब्लड वेसल में कुछ जगहों पर खून के थक्के भी बनते दिखते हैं। इस वजह से उनमें सांस लेने की दिक्कत काफी ज्यादा होती हैं। ऐसे कई पेशेंट्स को हमने इकोस्प्रिन दवा का दी। इससे उनका खून पतला रहा। इस वजह से ब्लड वेसल खुली रही जिससे लंग्स में खून के थक्के ज्यादा नहीं बन सके। इस बीच उनकी लगातार मानीटरिंग की जाती रही। खून के थक्के कम होने के साथ ही उनकी रिकवरी और तेज होने लगी।
थ्रम्बोलिटिक थेरेपी पर भी विचारडॉ.प्रेम सिंह ने जानकारी दी कि ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक होने के शुरुआती कुछ घंटों में अगर थ्रम्बोलिटिक इंजेक्शन पेशेंट्स को लग जाए तो खून के थक्के जल्दी डिजाल्व हो जाते हैं। यह एक तरह की थक्कारोधी दवा होती है। केाविड आईसीयू में आने वाले ज्यादातर पेशेंट्स की लंग्स की स्थिति को चेक करने के लिए उनका सीटी चेस्ट कराया जाता है। जिसमें बड़ी संख्या में पेशेंट्स के लंग्स में खून के थक्के जमे मिलते हैं। इन पेशेंट्स में यह इंजेक्शन काफी कारगर हो सकते हैं। चूंकि यह ड्रग महंगी मिलती है। ऐसे में शासन से अगर मदद मिलती है तो इस थेरेपी से भी लंग्स के डैमेज को रोकने में काफी मदद मिल सकती है।
कोविड आईसीयू में कई पेशेंट्स को खून पतला करने वाली ड्रग इकोस्प्रिन दी गई। इसके काफी बेहतर नतीजे मिले हैं। आईसीयू में रिकवरी रेट बेहतर हुआ है। - प्रो.पे्रम सिंह, नोडल अफसर, न्यूरो कोविड आईसीयू