कोरोना प्रकोप से बढ़ी ब्लड की क्राइसेस
- शहर के ब्लड बैंक तेजी से हो रहे खाली, ब्लड डोनेशन कैंप नहीं लगने से थैलीसीमिया समेत गंभीर बीमारियों वाले पेशेंट्स को होने लगी ब्लड की क्राइसेस
KANPUR: सिटी में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच ब्लड बैंकों में ब्लड की किल्लत बढ़ती जा रही है। ब्लड डोनेशन कैंप नहीं लगने से ब्लड बैंकों में सामान्य ग्रुप का खून भी आसानी से नहीं मिल पा रहा है। सबसे ज्यादा प्रॉब्लम ब्लड कैंसर, थैलीसीमिया और एनीमिक पेशेंट्स को हो रही है। जिन्हें ब्लड की जरूरत ज्यादा होती है। शहर के तीन प्रमुख ब्लड बैंकों में ही संडे को कुल 527 यूनिट ब्लड (पैक्ड रेड ब्लड सेलल)बचा था। इसमें सबसे बड़े जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में कुल 109 यूनिट ब्लड था। जहां प्रतिदिन 70 से 80 यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ती है। आम तौर पर निगेटिव गु्रप का ब्लड वैसे भी कम ही स्टॉक में रहता है,लेकिन इस बार पॉजिटिव गु्रप के ब्लड स्टॉक की भी कमी है।
नहीं लग पा रहे कैंपजीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ब्लड बैंक के सीनियर मेडिकल अफसर डॉ.मनीष यादव ने जानकारी दी कि सबसे ज्यादा ब्लड डोनेशन कॉलेजों में ही होता है, लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच कॉलेज परिसरों में सन्नाटा हो रहा है, इस वजह से वहां ब्लड डोनेशन कैंप नहीं लग पा रहे हैं। कोरोना की क्राइसेस के दौरान प्लाज्मा की डिमांड भी बढ़ी है, लेकिन इसके लिए जरूरत पड़ने पर ही कोरोना संक्रमित रह चुके लोगों से डोनेशन के लिए संपर्क किया जाता है। आईएमए चैरिटेबल ब्लड बैंक के कोऑर्डिनेटर डॉ.प्रवीन कटियार जानकारी देते हैं कि लगातार सामाजिक संस्थाओं से संपर्क कर ब्लड बैंक में ही कैंप लगवा रहे हैं। इस दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान दे रहे हैं, लेकिन अभी उतनी संख्या में ब्लड डोनेशन नहीं हो पा रहा है जितना पहले होता था।
पॉजिटिव का स्टॉक खत्मउर्सला हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में ए और बी निगेटिव ब्लड नहीं है। इसी तरह एबी और ओ निगेटिव ब्लड की भी केवल 8 यूनिट रह गई है। पॉजिटिव ग्रुप की सबसे ज्यादा डिमांड रहती है। सभी ब्लड पॉजिटिव ग्रुप मिलाकर केवल 99 यूनिट ही बचा है। सोर्सेज की मानें तो डिमांड के मुताबिक अधिकतम 3 दिन में ब्लड का स्टाक खत्म हो जाएगा। वहीं सिटी का सबसे बड़ा ब्लड बैंक जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में है, इसमें सभी पॉजिटिव ग्रुप को मिलाकर केवल 25 यूनिट ही ब्लड बचा हुआ है। ए और ओ पॉजिटिव ग्रुप का ब्लड केवल 3-3 यूनिट है। राहत की बात यह है कि आईएमए चैरिटेबल ब्लड बैंक में पॉजिटिव ग्रुप का ब्लड है। हालांकि निगेटिव ब्लड ग्रुप के स्टॉक की स्थिति खराब है।
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