देश को बदनाम करने के लिए रची साजिश
कानपुर (ब्यूरो) नूपुर शर्मा के एक विवादास्पद बयान के बाद कानपुर की नई सड़क, दादा मियां का हाता आदि क्षेत्रों में जमकर उपद्रव हुआ था। पथराव में सात लोग गंभीर और 30 अन्य मामूली रूप से घायल हुए थे। पुलिस ने प्रकरण में मौलाना मोहम्मद अली जौहर (एमएमए) फैन्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हयात जफर हाशमी और तीन अन्य साथियों जावेद, सुफियान, राहिल को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। चंद्रेश्वर हाता का मामला स्थानीय मुद्दा था और उपद्रवियों ने एक तीर से दो निशाने साधे। इसके संकेत पुलिस द्वारा हयात जफर हाशमी के रिमांड आवेदन में दी गई दलीलों से मिले हैं। सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने कोर्ट को दिए प्रार्थना पत्र में कहा है कि यह ङ्क्षहसा भारत को विश्वभर में बदनाम करने की साजिश थी।
वीवीआईपी थे शहर में मौजूद
कानपुर से बवाल की शुरुआत शुरुआत की वजह उस दिन प्रेसीडेंट राम नाथ कोविन्द, पीएम नरेन्द्र मोदी, गवर्नर आनंदीबेन पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ की कानपुर में मौजूदगी थी। उस दिन जुमा का दिन भी था। उपद्रवियों को पता था कि इस दिन ङ्क्षहसा हुई तो विवादास्पद बयान का मामला तत्काल तूल पकड़ लेगा और भारत की बदनामी होगी। उपद्रव की साजिश रचने वालों की यह योजना सफल भी हुई, क्योंकि तीन जून के बाद अचानक से ये मुद्दा इतना बड़ा हो गया कि खाड़ी देशों के अलावा अलकायदा जैसा आतंकी संगठन भी विवाद में कूद पड़ा और भाजपा को नुपुर शर्मा व नवीन ङ्क्षजदल को पार्टी से बाहर करना पड़ा।
उपद्रव में डी-टू (डिस्ट्रिक्ट लेवल नंबर-2) गिरोह के अफजाल की मिलीभगत की जांच कर रही पुलिस को हथियारों के बड़े तस्कर बाबर के भी शामिल होने की जानकारी मिली है। पता चला है कि बाबर ने ही ङ्क्षहसा कराने के लिए आधुनिक असलहों का इंतजाम किया था। भीड़ में आगे चल रहे किशोर उम्र के लड़कों की मौजूदगी से अफजाल के शूटर सीधी गोलीबारी नहीं कर सके। वह केवल हवाई फायर करके ही रह गए। बाबर जरायम की दुनिया में बड़ा नाम रहे रईस बनारसी का भांजा है। वर्ष 2012 में इसे एटीएस ने हथियारों की तस्करी में गिरफ्तार कर जेल भेजा था। मध्याचंल और पूर्वांचल के माफिया को तस्करी के हथियार सप्लाई करता था और सात साल की सजा काटने के बाद हाल ही में जेल से छूटा है। अब पुलिस बाबर की तलाश कर रही है।