कानपुर जेल में अपनी मां के साथ रह रहे मासूमों का बचपन संवारने का काम किया जा रहा है. इन बच्चों की पढ़ाई और मनोरंजन का पूरा इंतजाम जेल में किया गया है. कुछ मामलों जेल में मौजूद टीचर जहां बच्चों को ए बी सी डी और वन टू हंड्रेड पढ़ा रहे हैैं. वहीं जेल मैनुअल के मुताबिक इन मासूमों के मनोरंजन के लिए चिल्ड्रेन पार्क बनाया गया है. इस पार्क के चारों ओर की दीवारों पर व्हाइट और क्रीम कलर की पेंटिंग की गई है हरियाली और गुलाब के फूल की महक से वातावरण सुगंधित हो रहा है. गार्डेन के चारों ओर जेल में वेस्ट पड़े पाइपों को रंगीन कर बाउंड्री बनाई गई है. इस बाउंड्री में इनर और आउटर साइड पर ट्रांसपेरेंट पर्दा लगाया गया है. जिससे आने जाने वाले खेलते हुए बच्चों पर नजर रख सकें. रंगीन झूलों में बच्चे झूल कर बचपन का आनंद ले रहे हैैं.


कानपुर (ब्यूरो) जेल अधीक्षक डॉ। बीडी पांडेय ने बताया कि चिल्ड्रेन पार्क में खेल रहे बच्चों की सुरक्षा के लिए पार्क में लेडी कांस्टेबिल की तैनाती की गई है। वर्तमान में जेल में अपनी मां के साथ आए सात बच्चे हैैं। जिनकी उम्र 6 साल से कम है। इनकी संख्या बढ़ती भी रहती है। चिल्ड्रेन पार्क में झूलों के अलावा बच्चों को समय-समय पर जेल मैनुअल के हिसाब से आउटिंग पर भी ले जाया जाता है। इस पार्क के मेंटिनेंस के लिए दो लोगों की ड्यूटी लगाई गई है, जो निर्धारित समय पर इस पार्क में पानी देने, घास लगाने और कलर्ड फ्लॉवर्स उगाने का काम कर रहे हैैं। सुबह शाम निर्धारित समय पर पार्क की देखभाल की जाती है। इसी दौरान बच्चों को ऐतिहासिक बातें बताई जाती हैैं और भारतीय संस्कृति की जानकारी भी दी जाती है।ये है जेल मैनुअल
जो महिलाएं किसी भी अपराध में पकड़ी जाती हैैं। उनके बच्चे की उम्र छह साल से कम हैैं और उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। उन बच्चों को मां के साथ जेल भेजा जाता है। महिला बंदियों की देखभाल के लिए महिला जेलकर्मी रहती हैैं साथ ही उनके बच्चों का भी ध्यान रखती हैैं।

जेल में बच्चों के लिए चिल्ड्रेन पार्क बनाया गया है, जिसकी शुरुआत कर दी गई है। बच्चों की सुरक्षा के लिए जेल कर्मी रहते हैैं।डॉ। बीडी पांडेय, जेल अधीक्षक कानपुर जेल

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