सांसों के लिए जहर बन चुके डस्ट पॉल्यूशन पर अब होगा केमिकल एक्शन
-धूल-मिट्टी को उड़ने से रोकने के लिए रोड्स पर डाला जाएगा जाएगा डस्ट सप्रेसेंट
-डस्ट पूरी तरह से बैठ जाएगी और पानी के मुकाबले ज्यादा वक्त तक उड़ने से रोकेगी KANPUR: कानपुराइट्स की सांसों के लिए जहर बन चुके पॉल्यूशन को कम करने के लिए अब केमिकल एक्शन की तैयारी हो रही है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के निर्देश पर नगर निगम सड़कों पर डस्ट को उड़ने से रोकने के लिए डस्ट सप्रेसेंट का यूज करेगा। इसे एंटी स्मॉग गन और जलकल के टैंकर के थ्रू सड़कों पर डाला जाएगा। इससे डस्ट पूरी तरह से बैठ जाएगी और पानी के मुकाबले ज्यादा वक्त तक डस्ट को उड़ने नहीं देती है। इसका यूज हर दिन किया जाएगा। नगर आयुक्त अक्षय त्रिपाठी ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी और चीफ इंजीनियर को इसके यूज के लिए निर्देश दिए हैं। कानपुर में सबसे ज्यादा डस्टसेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने यूपी के 16 नॉन-अटेनमेंट सिटीज में कानपुर को भी शामिल किया है। सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में सबसे ज्यादा डस्ट पॉल्यूशन कानपुर में है। इसको रोकने के लिए कदम उठाए जाने बेहद जरूरी है। पॉल्यूशन लेवल बढ़ने पर ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान भी बनाने के लिए कहा गया है। सिटी की सड़कों किनारे न तो सफाई की जा रही है और न ही डस्ट को उठाया जा रहा है। इससे पॉल्यूशन को लगातार नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।
75 माइक्रॉन तक डस्ट पार्टिकल सीपीसीबी की रिपोर्ट में आईआईटी की रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया है। जिसके मुताबिक कानपुर में 75 माइक्रॉन तक के डस्ट पार्टिकल हवा में सस्पेंडेड पार्टिकल के रूप में मिले हैं। जो लोगों की सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं। इसके अलावा गार्बेज बर्निग और कंस्ट्रक्शन एंड डिमॉलेशन वेस्ट भी सिटी में पॉल्यूशन का बड़ा कारण हैं। रोड डस्ट पर यूं कसी जाए लगाम -नगर निगम क्षेत्र में सभी सड़कों को गड्ढामुक्त किया जाए। -रोड साइड पटरी पर इंटरलॉकिंग टाइल्स या घास लगवाई जाए। -शहर की मुख्य सड़कों की मशीनों से मैकेनिकल स्वीपिंग की जाए। -सड़कों की वाशिंग संभव न हो वहां पानी का छिड़काव कराया जाए। -डस्ट को उड़ने से रोकने के लिए डस्ट सप्रेसेंट का यूज किया जाए। -रोड की वॉशिंग व छिड़काव के लिए ट्रीट सीवेज का यूज हो -सिल्ट सूखने के बाद तत्काल उठवाकर उसको डिस्पोजल हो 30 मिनट में कूड़े में आग बुझाए -नगर निगम सभी क्षेत्र में डोर-टू-डोर वेस्ट कलेक्शन हो-कूड़े ढोने वाले वाहनों को कवर करे ले जाया जाए।
-कूड़े में आग सूचना के मैक्सिमम 30 मिनट में बुझाई जाए
-कूड़ा जलने से रोकने के लिए वार्डो में टीमों का गठन हो निर्माण सामग्री का हो निस्तारण -भवन सामग्री और मलबा सड़क पर खुले में न डाला जाए। -निर्माण वाले स्थान पर ग्रीन कवर होने के बाद ही काम हो। -निर्माण सामग्री खुले में रखने वालों पर कार्रवाई की जाए। फाउंटेन चालू कराएं -प्रमुख चौराहों पर फव्वारों को वर्किंग रखा जाए -कूड़ा न जलाने के लिए जागरूक किया जाए -पॉल्यूशन बढ़ने पर ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान पर कार्य हो सिटी में बढ़ते पॉल्यूशन को रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। डस्ट सप्रेसेंट के यूज करने के निर्देश मिले हैं। इसको भी शुरू कराया जाएगा। -एसके सिंह, चीफ इंजीनियर, नगर निगम। डस्ट सप्रेसेंट को पानी के साथ मिलाकर डस्ट को उड़ने से रोकने के लिए यूज किया जाता है। सीपीसीबी ने इसके लिए डायरेक्शन जारी की है। जल्द इसका यूज किया जाएगा। -आरके पाल, पर्यावरण अभियंता, नगर निगम।