इंडिया के मिशन चन्द्रयान टू की उलटी गिनती शुरू हो गई है.

- चन्द्रयान टू के लिए पाथ डिटेक्ट करने वाली टेक्नोलॉजी के साथ मैप जनरेटिंग सिस्टम पर भी आईआईटी कानपुर ने किया है काम

- दो सीनियर प्रोफेसर्स के साथ टीम में 10 रिसर्च स्कॉलर स्टूडें्ट भी शामिल, आईआईटी ने खुद खर्च किए हैं प्रोजेक्ट पर 30 लाख रुपए

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KANPUR: 15 जुलाई की रात 2 बजे चन्द्रयान टू अपने मिशन के लिए रवाना होगा और ठीक 23वें दिन चंद्रमा के साउथ एरिया में लैंड करेगा। अभियान पर पूरे देश और विश्व के साथ खासतौर पर कानपुराइट्स की निगाहें लगी हुई हैं। क्योंकि इस अभियान में आईआईटी कानपुर का महत्वपूर्ण योगदान है। चन्द्रयान टू के लिए पाथ डिटेक्ट करने वाली टेक्नोलॉजी के अलावा मैप जनरेटिंग सिस्टम पर भी आईआईटी के दो सीनियर प्रोफेसर्स की टीम समेत 10 स्टूडें्टस ने काम किया है। यहां तक कि इस प्रोजेक्ट पर आईआईटी ने अपने पास से 30 लाख रुपए खर्च किए हैं।

10 साल पहले एमओयू साइन किया
आआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के सीनियर प्रो। डॉ। आशीष दत्ता ने बताया कि 10 साल पहले विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर(वीएसएससी) के डायरेक्टर और आआईटी कानपुर के डीन ऑफ रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रो। के मुरलीधर ने 2 एमओयू साइन किए थे। पहला एमओयू मैप जनरेशन के लिए और दूसरा पाथ प्लानिंग के लिए किया गया था। चन्द्रयान टू जैसे ही 6 सिंतबर को चंद्रमा के साउथ डार्क एरिया में लैंड करेगा तो वह मैप जनरेट करने का काम शुरू कर देगा। स्ट्रक्चर लाइट का यूज करके मैप जनरेट करेगा, जिसमें स्कैनिंग लेजर का यूज करेगा। मैप बनाकर वह कंट्रोल रूम को जानकारी देगा। जहां से पाथ डिटेक्ट करके अपलोड किया जाएगा तो च्रंद्रयान उस पर आगे का सफर करेगा। एक बार में वह दस मीटर का सफर तय करेगा। एक सेकेंड में करीब 5 सेमी चलेगा।

आसानी से टारगेट पर
आईआईटी कानपुर ने मिशन चंद्रयान-2 में पावर सेविंग, सेफ्टी और कम टाइम में ज्यादा सफर करने पर फोकस किया गया है। टारगेट पर आसानी से पहुंच जाए इसका भी ध्यान रखा गया है। चन्द्रयान-टू एक साल तक वर्क करेगा। इसमें जो बैट्री लगाई गई है वह एक साल तक चलेगी। चन्द्रयान टू का वेट 25 किलोग्राम है। आआईटी कानपुर में प्रोटो टाइप चन्द्रयान टू डेवलप किया गया है जिस पर करीब 50 लाख रुपए खर्च हुए हैं। जिसमें कि 30 लाख आईआईटी ने और 20 लाख वीएसएससी ने खर्च किए हैं। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रो। केएस वेंकटेश ने मैप जेनरेटिंग व स्ट्रक्चर लाइट पर काम किया है। पाथ प्लांिनंग पर प्रो। आशीष दत्ता ने काम किया है। करीब दस सीनियर रिसर्च स्कॉलर स्टूडेंट्स भी शामिल हैं जिसमें डॉ। महेश सिंह चौहान, डॉ। रेखा राज, विश्वनाथ पांडा आदि हैं।

दुनिया का तीसरा देश होगा इंडिया
चंद्रयान-टू के रूप में मून पर रोबोट भेजने की उपलब्धि हासिल करने वाला इंडिया दुनिया का तीसरा देश होगा। इसके पहले रूस व चाइना ने मून पर रोबोट भेजे हैं। वहीं यूएसए के 6 एस्ट्रोनॉट मून पर जा चुके हैं। रूस ने रोबोट 1970 में मून पर भेजा गया था। चीन ने करीब तीन साल पहले रोबोट मून पर लैंड कराया था। वहीं अमेरिका ने 1969 से 1972 तक के 6 एस्ट्रोनाट मून पर भेजे थे।

2009 मे आआईटी व वीएसएससी ने मिशन के लिए एमओयू साइन किया

30 लाख रुपए प्रोजेक्ट पर आईआईटी और 20 लाख वीएसएससी ने खर्च किए

15 जुलाई की रात 2 बजे भेजा जाएगा चन्द्रयान टू , 6 सितंबर को मून पर लैंड करेगा

5 सेमी का सफर तय करेगा चन्द्रयान टू का रोवर एक सेकेंड में

10 मीटर का सफर तय करेगा एक बार में, इसके बाद जर्नी ब्रेक करके मैप जनरेट करेगा

12 महीने तक करीब लगातार वर्क करता रहेगा चन्द्रयान टू मून पर

2 मोटर लगाई गई हैं चन्द्रयान टू के रोबोट के प्रत्येक पहिया में

3 देश दुनिया का बनेगा इंडिया ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाला चंद्रयान टू के लैंड करते ही

Posted By: Inextlive