जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग को बच्चों के इलाज का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने की तैयारी शुरू हो गई है. यहां पर जच्चा-बच्चा के एक ही छत के नीचे इलाज के अलावा प्रदेश के 30 मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पतालों के डाक्टर्स व पैरा मेडिकल स्टाफ को ट्रेनिंग भी दी जाएगी. ट्रेनिंग के दौरान उन्हें दिखाया जाएगा कि किस तरह से नई विधा से गंभीर पेशेंट का ट्रीटमेंट करना है. ट्रेनिंग के दौरान उन्हें नई टेक्नालॉजी के बाबत भी जानकारी दी जाएगी. यही नहीं आसपास के जिलों के गंभीर पेशेंट्स के इलाज के लिए पीडियाट्रिक आईसीयू भी बनाया जा रहा है. नेशनल हेल्थ मिशन के तहत यह सेंटर बनेगा. अगर सब कुछ सही रहा तो तीन महीने में बाल रोग विभाग की सूरत अत्याधुनिक हो जाएगी.

कानपुर (ब्यूरो) बाल रोग विभाग में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने के लिए नेशनल हेल्थ मिशन की ओर से प्रदेश के बड़े मेडिकल कॉलेज को चिन्हित किया गया है। इसके लिए सीसीटीवी कैमरे, वैब कैम, बिग स्क्रीन और अन्य तरह के उपकरणों का बजट मिल गया है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को उन्नाव, फतेहपुर, हमीरपुर, समेत अन्य मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों की जिम्मेदारी मिली है।

नवजात की मृत्यु दर में आएगी कमी
बाल रोग विशेषज्ञ के मुताबिक काफी समय से बच्चों की प्री मेच्योर, संक्रमण की चपेट में आने या बीमारियों के चलते मृत्यु हो जाती है। इस पर अंकुश लगाने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने का प्लान बनाया गया है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस प्रोजेक्ट के तहत जच्चा व बच्चा को एक ही छत के नीचे ट्रीटमेंट मिल सकेगा। डाक्टर्स का मानना है कि यहां इलाज से नवजातों की मृत्यु दर में निश्चित रूप से कमी आएगी।

45 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के मुताबिक बाल रोग विभाग के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में 45 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू तैयार किया जाएगा। जिसके लिए जल्द ही उपकरण आ जाएंगे। वहां पर अत्याधुनिक मशीनें लगाई जाएंगी। जिनके सहारे अन्य मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर्स को प्रशिक्षित किया जाएगा। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का नोडल अधिकारी बाल रोग के विभागाध्यक्ष प्रो। डॉ। यशवंत राव को बनाया गया है।

प्री मेच्योर बच्चों की संख्या बढ़ी
बाल रोग विशेषज्ञों के मुताबिक प्री मेच्योर बच्चों की संख्या बीते कुछ सालों में काफी बढ़ी है। इसका मुख्य कारण खानपान है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं पौष्टिक आहार के स्थान पर जंक फूड का अधिक यूज करती है। जो उनके साथ गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी काफी नुकसानदायक होता है।

तीन तरह से देंगे ट्रेनिंग
- ऑनलाइन वर्कशाप
- ऑनकॉल
- ऑफलाइन

'' बाल रोग विभाग को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने के उपकरण के लिए 30 लाख का बजट पास हो गया है। उपकरण जल्द खरीद लिए जाएंगे.उम्मीद है कि तीन माह के अंदर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में यह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस शुरू हो जाएगा.ÓÓ
प्रो। डॉ। संजय काला, प्रिंसिपल, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive