सार्वजनिक स्थानों पर या किसी कार्यक्रम के दौरान चर्चित व्यक्तियों का कुछ अनोखा कहना ख़बर बन जाता है. लेकिन कई बार इन मशहूर शख़्सियतों का बड़बोलापन उनकी परेशानी बढ़ा देता है.
By: Inextlive
Updated Date: Fri, 31 Aug 2012 05:45 PM (IST)
कई बार माइक्रोफ़ोन पर फुसफुसाए उनके शब्द सुनाई दे जाते हैं और फिर अच्छा-ख़ासा बखेड़ा खड़ा हो जाता है। कई बार लोग अपनी विवादित टिप्पणी के कारण सफ़ाई देते फिरते हैं, तो कई लोगों को शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ता है। इनमें कुछ ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो माइक्रोफ़ोन को बंद समझकर कुछ ऐसी बातें कह देते हैं, जिनका ख़ामियाज़ा उन्हें अपनी नौकरी गँवा कर भुगतना पड़ता है।
गँवानी पड़ी नौकरीइसी ताज़ा कड़ी में याहू के वॉशिंगटन ब्यूरो प्रमुख डेविड चैलियन का नाम जुड़ गया है, जिन्हें अमरीका में राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार मिट रोमनी के बारे में बोलना महंगा पड़ा और नौकरी गँवानी पड़ी।
चैलियन हरिकेन आईज़ैक के बारे में चर्चा कर रहे थे। ये तूफान लुजियाना में आया है, जहाँ रिपब्लिकन पार्टी का सम्मेलन चल रहा था और इसी सम्मेलन में आधिकारिक रूप से मिट रोमनी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है।
शायद चैलियन को इसका अंदाज़ा नहीं था कि माइक्रोफ़ोन ऑन था। मिट रोमनी और उनकी पत्नी के फुटेज के साथ चैलियन को ये कहते सुना गया- 'ये लोग चिंतित नहीं। काले लोगों के डूबने के कारण वे तो पार्टी देकर ख़ुश हैं.'
याहू ने तुरंत अपने को इस टिप्पणी से अलग किया और चैलियन को कंपनी से। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि खुले माइक्रोफ़ोन ने कई मशहूर शख़्सियतों की नींद उड़ा दी है और कई को माफ़ी मांगनी पड़ी है।
राजीव शुक्ला की सलाहहाल ही में भारत के केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला जब राज्यसभा के नवनियुक्त उपसभापति पीजे कुरियन के कान में जाकर फुसफुसाए, तो उन्हें पता नहीं था कि उनकी बात सब सुन रहे हैं। पीजे कुरियन को राज्यसभा में नया उपसभापति चुना गया। वे सदन की कार्यवाही का संचालन करने पहुँचे।लेकिन कोयला आबंटन को लेकर बवाल के बीच राजीव शुक्ला ने पीजे कुरियन की कान में जाकर कहा- सदन की कार्यवाही स्थगित कर दीजिए। उन्होंने सदन की कार्यवाही स्थगित भी कर दी। लेकिन इसे लेकर काफ़ी हंगामा हुआ।
जब जोंस ने अमला को 'आतंकवादी' कह दिया.
वर्ष 2006 में श्रीलंका और दक्षिण अफ़्रीका के बीच मैच के दौरान पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर और कमेंटेटर डीन जोंस ने दक्षिण अफ़्रीका के क्रिकेटर हाशिम अमला को 'आतंकवादी' कह दिया था। इसे लेकर काफी विवाद उठा। डीन जोंस ने इस मामले पर माफ़ी तो मांगी, लेकिन उन्हें टीवी चैनल ने अपनी कमेंट्री टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
डीन जोंस का कहना था कि उन्होंने ये समझा था कि माइक्रोफ़ोन बंद है। उस समय हाशिम अमला ने कुमार संगकारा का कैच लपका था। हाशिम अमला दक्षिण अफ़्रीकी टीम के पहले मुसलमान खिलाड़ी हैं।
'हम रूस पर बमबारी करने जा रहे हैं'लेकिन वर्ष 1984 में शीत युद्ध के समय अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन की एक टिप्पणी को लेकर भी काफ़ी बवाल मचा था। दरअसल रीगन को उस समय एक रेडियो इंटरव्यू में हिस्सा लेना था।साउंड चेक करते समय उनसे जब कुछ बोलने के लिए कहा गया था। तो उन्होंने रूस के बारे में टिप्पणी की। उन्होंने कहा- मेरे प्यारे अमरीकीवासियों, मुझे आपको ये बताने में खुशी हो रही है कि मैंने उस विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिससे रूस को हमेशा के लिए बाहर कर दिया जाएगा। हम पाँच मिनट में बमबारी शुरू कर रहे हैं। हालाँकि उनकी ये टिप्पणी कभी प्रसारित नहीं हुई। लेकिन अफ़वाह के रूप में धीरे-धीरे फैल गई और रूस ने इस पर आपत्ति की।
बुश की भद्दी भाषा
वर्ष 2000 में चुनाव प्रचार के दौरान जॉर्ज डब्लू बुश ने न्यूयॉर्क टाइम्स के एक रिपोर्टर के लिए भद्दी भाषा का इस्तेमाल किया था। दरअसल तत्कालीन उप राष्ट्रपति के उम्मीदवार डिक चेनी के लिए प्रचार करने आए बुश ने भाषण से पहले न्यूयॉर्क टाइम्स के रिपोर्टर एडम क्लाइमर के लिए ग़लत भाषा का इस्तेमाल किया।
लेकिन इसका ऑडियो सार्वजनिक हो गया। इसके बाद इसे लेकर मीडिया में खूब चर्चा हुई। बाद में जॉर्ज बुश ने स्वीकार किया कि उन्होंने ये बातें निजी तौर पर चेनी को कही थी। उन्होंने इस पर खेद जताया कि ये सार्वजनिक हो गईं।बुश और ब्लेयर की फुसफुसाहटवर्ष 2006 में सेंट पीटर्सबर्ग में जी-8 सम्मेलन के दौरान अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के बीच निजी बातचीत सार्वजनिक हो गई थी। दरअसल उस समय इसराइल और लेबनॉन के हिज़्बुल्लाह के बीच संघर्ष को लेकर काफी तनाव था।
इसी दौरान आयोजित जी-8 सम्मेलन में बुश को ब्लेयर से ये कहते सुना गया कि संयुक्त राष्ट्र को सीरिया से बातचीत करना चाहिए ताकि हिज्बुल्लाह को रोका जा सके। इसका संदर्भ हिज़्बुल्लाह पर सीरिया के प्रभाव को लेकर था। बुश ने ये भी कहा था कि ऐसा करने से ये संकट ख़त्म हो जाएगा। उन्होंने कोंडोलीज़ा राइस के इलाक़े के दौरे का भी ज़िक्र किया था।
पुतिन का 'रेप जोक'वर्ष 2006 में रूस के तत्कालीन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसराइली प्रधानमंत्री एहुद ओल्मर्ट से आधिकारिक बैठक की। लेकिन उस समय इसराइली राष्ट्रपति मोसे कात्सव पर की गई उनकी टिप्पणी एक पत्रकार ने सुन ली और इस पर भी काफी बवाल मचा।इस बातचीत में पुतिन को कात्सव के पौरूष की प्रशंसा करते और ये कहते सुना गया- हम सब को उनसे ईर्ष्या होती है। उस समय कात्सव पर अपने कर्मचारियों के साथ बलात्कार के आरोप लगे थे। बाद में रूस के राष्ट्रपति कार्यालय ने माना कि ऐसा हुआ था, लेकिन मज़ाक में और पुतिन का मकसद बलात्कार पर कोई टिप्पणी करना नहीं था।
'झूठे' नेतन्याहूवर्ष 2011 में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति निकोला सारकोज़ी और अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच बातचीत भी सुनी गई। इसने भी मीडिया में ख़ूब सुर्ख़ियाँ बटोरीं। सारकोज़ी और ओबामा इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू की आलोचना करते सुने गए। सारकोज़ी ने नेतन्याहू को झूठा तक कह दिया तो ओबामा ने इस पर नाखुशी जताई कि उन्हें नियमित तौर पर नेतन्याहू से निपटना पड़ता है।
ओबामा को समय चाहिएवर्ष 2012 के मार्च में अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा और रूस के तत्कालीन राष्ट्रपति डिमित्री मेदवेदेव के बीच मिसाइल सुरक्षा प्रणाली पर हुई खुसफुस सार्वजनिक हो गई। इस बातचीत में ओबामा को ये कहते सुना गया कि उन्हें इस मामले में थोड़ा समय की ज़रूरत है। ओबामा ने विवादित मिसाइल रक्षा प्रणाला का ज़िक्र किया और कहा कि इसका समाधान निकल सकता है।लेकिन मेदवेदेव के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे उन्हें समय दें। मेदवेदेव ने ये कहा कि वे ये बात समझते हैं। बराक ओबामा ने आगे कहा- ये मेरा आखिरी चुनाव है। इसके बाद वे ज़्यादा उदार रहेंगे। मेदवेदेव ने आगे कहा कि वे उनकी बात व्लादिमीर पुतिन तक पहुँचा देंगे।
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