भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए शासन से लगातार सख्ती की जा रही है. अधिकारियों को सख्त निर्देश हैं कि विभागों में पारदर्शिता हो और भ्रष्टाचार करने वालों कार्रवाई. भ्रष्टाचार के मामलों में ट्रैप और कार्रवाई के लिए बाकायदा शहर में एंटी करप्शन थाना मौजूद है. जिसमें एक इंस्पेक्टर और तीन दरोगा सहित 15 पुलिसकर्मियों का स्टाफ है. जिनकी सैलरी और संसाधनों पर ही हर साल 50 लाख रुपए से ज्यादा खर्च होता है. लेकिन चौकाने वाली बात ये है कि बीते तीन साल में यहां सिर्फ 4 मामले दर्ज किए गए. जबकि यह पूरे मंडल का अकेला थाना है. अब इसे क्या कहा जाए? जिले में भ्रष्टाचार खत्म हो गया है या फिर विभाग ने आंखें बंद कर ली हैं. कुल मिलाकर एंटी करप्शन थाना सफेद हाथी साबित हो रहा है.

कानपुर (ब्यूरो) सभी विभागों में सीनियर ऑफिसर्स के पास आए दिन रिश्वत मांगने और अवैध वसूली करने की शिकायतें आती रहती हैं। लेकिन क्या कारण है कि एंटी करप्शन थाने में बीते तीन साल में केवल चार मामले ही आए हैैं। 2022 में दर्ज हुए दो मामलों में एक मामला औरैया से बीएसए को ट्रैप कर गिरफ्तारी का है और दूसरा मामला हमीरपुर से खनन अधिकारी को रंगे हाथ पकडऩे का है। जनवरी 2021 में रिश्वत लेते हुए फतेहपुर कानूनगो को चकबंदी विभाग से पकड़ा गया था। इसके बाद एंटी करप्शन की टीम कई दिनों तक नया ट्रैप करने की कोशिश करती रही लेकिन सफलता नहीं मिली।

हुए तो कई मामले लेकिन एंटी करप्शन को नहीं मिला एक भी
एंटी करप्शन डिपार्टमेंट के आंकडों पर गौर करें तो लगता है कानपुर शहर के साथ पूरे मंडल से ही भ्रष्टाचार लगभग समाप्त हो गया है। सकरारी अफसरों और कर्मचारियों ने रिश्वत लेना ही बंद कर दिया है। जबकि हकीकत ये है किभी भी विभाग में चले जाएं, बिना चढ़ावा चढ़ाए काम होना मुश्किल है। समाधान दिवस पर तो सीनियर ऑफिसर्स के पास पुलिस, राजस्व, बिजली आदि विभागों की शिकायतों का अंबार लग जाता है। वहीं कानपुर कमिश्नरेट की बात की जाए तो रिश्वत लेने के आरोप में और आरोप सिद्ध होने में 2022 में 31 पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। वहीं कलक्ट्रेट में भी तीन शिकायतें हुईं, अधिकारियों के निर्देश पर कलक्ट्रेट कर्मियों ने कोतवाली में तीन मामले दर्ज कराए, लेकिन इसकी जानकारी एंटी करप्शन को न हो पाई।

सात जिलों में है एक थाना
कानपुर मंडल के सात जिलों के बीच एक ही एंटी करप्शन का थाना है। यहां की टीम का दायरा औरैया, इटावा, फर्रुखाबाद, कानपुर देहात, कानपुर नगर और फतेहपुर तक है। कानपुर मंडल के किसी भी जनपद में कोई सरकारी अधिकारी या कर्मचारी रिश्वत मांगता है तो पीडि़त को शिकायत करने के लिए कानपुर आना पड़ता है। क्योंकि जब तक थाने में लिखित शिकायत नहीं दी जाती है तब तक एंटी करप्शन टीम कार्रवाई नहीं करती है।

गोपनीय जांच के बाद करते ट्रैप
एंटी करप्शन थाना प्रभारी केपी सिंह ने बताया कि उनके पास यदि कोई लिखित में शिकायत करता है तो पहले गोपनीय ढंग से जांच की जाती है। यदि शिकायत झूठी पाई जाती है तो आगे कार्रवाई नहीं करते और यदि शिकायत सही पाई जाती है तो रिश्वत मांगने वाले को ट्रैप किया जाता है। रंगे हाथ रिश्वत लेते पकडऩे के बाद लोकल पुलिस थाने में आरोपी के विरुद्ध भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज कराया जाता है। मामले की विवेचना एंटी करप्शन यूनिट ही करती है। भ्रष्टाचार के मामले की सुनवाई स्पेशल कोर्ट में होती है।

एंटी करप्शन की टीम मुझे रिपोर्ट करती है लेकिन इसका ऑपरेशन शासन से होता है। कानपुर में शिकायतों पर ट्रैप किया जाता है।
बसंत लाल, एडीसीपी एलआईयू

फैक्ट फाइल: एंटी करप्शन थाना
-कानपुर मंडल के सात जिलों में अकेला एंटी करप्शन थाना
- एंटी करप्शन थाना में एक इंस्पेक्टर, तीन दारोगा, 9 पुलिसकर्मी और एक ड्राइवर
- सुरागरसी और पतारसी दिखाकर थाने का ज्यादातर स्टाफ रहता है गायब
- 2022 में आए सिर्फ दो करप्शन के मामले, जनवरी 2021 में रिश्वत लेते पकड़ा कानूनगो
- 2021 से लेकर जनवरी 2023 तक किए चार ट्रैप, ट्रेस और कंप्लेंट पर काम करती है टीम
- सैलरी और अन्य संसाधनों पर हर साल खर्च होता है 50 लाख रुपए से ज्यादा

Posted By: Inextlive